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लापरवाही से निजी हाथों में जा रही है सरकारी भूमि, गंभीरता से रोकें

लापरवाही से निजी हाथों में जा रही है सरकारी भूमि, गंभीरता से रोकें
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शासकीय जमीनों का निजीकरण रोकने जिलाधीश ने अनुविभागीय अधिकारियों को लिखा चेतावनी पत्र

ग्वालियर| भू-माफिया और अधिकारियों की मिली भगत के चलते निजी संपत्तियों में परिवर्तित होती रहीं शासकीय भूमियों को बचाने जिलाधीश ने अपने अधीनस्थ सभी अनुविभागीय अधिकारियों को सख्त चेतावनी पत्र लिखा है। जिलाधीश ने लिखा है कि न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में आपकी ओर से विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस कारण शासन की कीमती भूमि निजी हाथों में चली जाती है।

ग्वालियर जिले के लश्कर, ग्वालियर सिटी, झांसी रोड, मुरार, ग्वालियर ग्रामीण, घाटीगांव, डबरा, भितरवार को जिलाधीश राहुल जैन द्वारा लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि आपके क्षेत्राधिकार अंतर्गत शासकीय भूमियों के संबंध में उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय तथा अन्य न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वर्तमान में यह भी देखने में आया है कि समय पर जवाब नहीं लगाने या अपील पेश न करने के कारण शासन की कीमती भूमि निजी हाथों में चली जाती है। जबकि आपका दायित्व है कि आपके अनुविभाग क्षेत्र में विभिन्न न्यायालयों में कितने प्रकरण लंबित हैं। किन-किन प्रकरणों में शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत किया जाना है। निर्धारित प्रपत्र में जानकारी प्रत्येक माह की 5 तारीख को भिजवाने हेतु लिखा गया था तथा वर्तमान जानकारी 31.12.2017 की स्थिति में प्रस्तुत करने हेतु संदर्भित पत्र द्वारा निर्देश दिए गए थे। किन्तु आपकी ओर से जानकारी प्रस्तुत नहीं की गई है। और न ही राजस्व अधिकारियों की बैठक में जानकारी प्रस्तुत की गई, जिसके कारण बैठक में उक्त बिन्दु पर गहन समीक्षा नहीं की जा सकी। शासकीय भूमियों को बचाने के लिए जिलाधीश द्वारा लिखे गए इस पत्र का पालन अनुविभागीय अधिकारियों द्वारा मासिक रूप से किया जाता है तो निश्चित भ्रष्ट अधिकारियों की घृणित मंशा पर अंकुश लगेगा तथा शासकीय भूमियों का निजी हाथों में जाने का क्रम थम सकता है।

शिवपुरी लिंक रोड पर गंवाई अरबों की भूमि
शिवपुरी लिंक रोड पर ग्वालियर विकास प्राधिकरण की अरबों रुपये कीमत की भूमि प्राधिकरण द्वारा न्यायालय में मजबूती से पक्ष नहीं रखे जाने के कारण निजी हो चुकी है। इसी प्रकार शिवपुरी लिंक रोड पर ही आशाराम आश्रम और कैंसर पहाड़ी के अंतिम छोर पर स्थित करीब पांच बीघा से अधिक भूमि जो परिवहन विभाग को कार्यालय के लिए आवंटित की गई थी। इस भूमि को एक अभिभाषक ने परिवहन विभाग से छीन लिया। यहां भी परिवहन विभाग के अधिकारियों ने न्यायालय में समय पर और मजबूती से पक्ष नहीं रखा। इसी प्रकार जीडीए अधिकारियों की मिलीभगत से पत्रकारों के लिए आवंटित मामा माणिकचन्द्र वाजपेयी पत्रकार कॉलोनी की भूमि भी आज की स्थिति में निजी हाथों में है।

अधिकारियों की सांठगांठ से लुटती रहीं शासकीय भूमि
ग्वालियर जिले में शासकीय भूमियों का निजी हाथों में चले जाने का पुराना इतिहास रहा है। हालांकि 1995 के बाद से शासकीय भूमि को लूटने का क्रम जिस अंधेरगर्दी से शुरू हुआ, उसके परिणाम स्वरूप आज दर्जनों कॉलोनियां शासकीय भूमि पर होकर भी निजी हैं। वर्ष 2000 के बाद शासकीय भूमि को लीज कराने के लिए सैकड़ों आवेदन किए गए तो कई स्वीकृत भी हुए। वहीं इसी अवधि में भू माफिया की राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की सांठगांठ के चलते अरबों रुपये की शासकीय भूमि को अभिलेखों तक में निजी दर्शा दिया गया। इसी प्रकार विभिन्न विभागों को आवंटित भूमि को माफिया हड़प गया। खास बात यह रही कि राजस्व सहित अन्य विभागों ने जब-जब अपने हिस्से की शासकीय भूमि पर अधिपत्य दर्शाने का प्रयास किया, माफिया ने न्यायालय की शरण ली। न्यायालय में अधिकारियों ने शासन के पक्ष में समय पर जवाब एवं दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए। परिणाम स्वरूप न्यायालय ने भू-स्वामी होने के निर्णय माफिया के पक्ष में कर दिए। इस तरह विगत कई वर्षों से शासकीय भूमि को ठिकाने लगाने का क्रम निरंतर जारी है।

Updated : 20 Jan 2018 12:00 AM GMT
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