सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी संक्रांति, शुभ कार्य 4 फरवरी से होंगे
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मकर संक्रांति इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी। 14 जनवरी को महापर्व मनेगा। इस दिन दोपहर 11.47 बजे सूर्य का प्रवेश मकर राशि में होगा। ज्योतिषियों के अनुसार प्रदोष व्रत होने से इस दिन भगवान शिव व सूर्य की उपासना श्रेष्ठ फलकारी रहेगी। इस बार संक्रांति का प्रवेश दोपहर में होने से पूरा दिन पुण्यकाल रहेगा। जातक दिन में कभी भी दान-पुण्य कर सकेंगे। जरूरतमंदों को कंबल देने और खिचड़ी बनाकर खिलाने से पुण्य में ज्यादा बढ़ोतरी होगी। सूर्य के उत्तरायण होते ही ही वातावरण में गर्माहट आना शुरू हो जाएगी। पं. राजेंद्र शर्मा ने बताया इस बार संक्रांति का वाहन भैंसा और उप वाहन ऊंट है। संक्रांति के लक्षण आदिवासियों, अल्पसंख्यक वर्ग, गरीब व्यक्तियों के लिए शुभकारी रहेंगे।
धार्मिक गुरुओं, शिक्षकों व सुरक्षाकर्मियों के लिए यह कष्टकारी हो सकता है। वैसे तो मकर संक्रांति से ही मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाती है। शुक्र तारा अस्त होने के कारण अभी ऐसा नहीं होगा। मंगल कार्य 4 फरवरी के बाद होंगे। संक्रांति का पर्व सूर्यदेव का है। इस दिन रविवार व सर्वार्थ सिद्धि योग होने से इसकी महत्ता चार गुना अधिक रहेगी, स्नान-दान का विशेष महत्व है।
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को संक्रांति कहते हैं। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय सौर मास कहलाता है। वैसे तो 12 सूर्य संक्रांति हैं, लेकिन चार महत्वपूर्ण हैं। ये हैं मेष, कर्क, तुला व मकर संक्रांति। मकर संक्रांति पर शुभ मुहूर्त में स्नान, दान व पुण्य विशेष फलदायी माना जाता है। मकर संक्रांति पर गुड़ व तिल लगाकर नर्मदा में स्नान करना लाभदायक है। इसके बाद दान संक्रांति में गुड़, तेल, कंबल, फल व छाता आदि दान करने से ज्यादा पुण्य मिलता है। 14 जनवरी से सूर्य दक्षिण के बजाय उत्तर की दिशा में बढने लगता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण तरफ गमन करता है तब तक उसकी किरणें कम असरकारी होती हैं। पूर्व से उत्तर की ओर गमन करते ही वे सूर्य की किरणों की उपयोगिता सेहत की दृष्टि से बढने लगते है।