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आम बजट का बाजार पर नहीं होगा असर, इनकम टैक्स में मिल सकती है बड़ी राहत

आम बजट का बाजार पर नहीं होगा असर, इनकम टैक्स में मिल सकती है बड़ी राहत
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भोपाल। केंद्र सरकार द्वारा आगामी एक फरवरी को पेश किया जाने वाला बजट देश के साथ-साथ मध्यप्रदेश के लोगों के लिए इनकम टैक्स के मामले में राहत देने वाला हो सकता है। लोगों ने बजट से काफी उम्मीदें लगा रखी हैं, खासकर नौकरीपेशा लोगों को उम्मीद है कि आम बजट में आयकर की सीमा बढ़ सकती है। इसके अलावा बाजार पर इसका कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद बाजार का कंट्रोल जीएसटी काउंसिल के हाथ में है। वित्त मंत्री अरुण जेटली इस बजट को पांच राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए बजट में इनकम टैक्स की सीमा बढ़ाकर लोगों को राहत देने का प्रयास कर सकते हैं।

केंद्र सरकार लगातार दूसरे साल रेल और आम बजट को एक साथ एक फरवरी को पेश करेगी। यह वित्त मंत्री अरुण जेटली का पांचवां और 2019 के आम चुनाव के पहले अंतिम पूर्ण बजट होगा। इससे मध्यप्रदेश के लोगों को भी काफी उम्मीदें हैं। पहले लोग बजट में यह देखते थे कि कौन-कौन सी चीजें सस्ती की गई हैं और कौन-सी महंगी, बजट में केंद्रीय उत्पाद शुल्क यानी एक्साइज ड्यूटी और सेवा कर यानी सर्विस टैक्स में कितना बदलाव किया गया है, लेकिन अब लोगों को यह देखने को नहीं मिलेगा, क्योंकि पूरे देश को एक बाजार बनाने के लिए केंद्र सरकार ने जीएसटी व्यवस्था लागू की गई है। इसके लागू होने के बाद केंद्र सरकार का यह पहला बजट होगा, जिसका बाजार पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, इससे बजट के स्वरूप में कई तरह के बदलाव देखने को मिल सकते हैं। दरअसल, अभी बाजार में उपलब्ध वस्तुओं के रेट तय करने का जिम्मा जीएसटी काउंसिल के हाथ में है। हाल ही में कई वस्तुओं पर जीएसटी की दरें घटाई गई थीं, जिससे बाजार में कई वस्तुएं सस्ती हो गई हैं। इसीलिए बजट में इसीलिए वस्तुओं कम-ज्यादा होने की संभावना कम ही रहेगी।

इस बार के आम बजट में देश के साथ-साथ मध्यप्रदेश के नौकरीपेशा लोगों को भी इनकम टैक्स में राहत मिल सकती है। बता दें कि फिलहाल ढाई लाख रुपए सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता और ढाई से पांच लाख की आय पर पांच फीसदी इनकम टैक्स जमा करना पड़ता है। वहीं, पांच लाख से 10 लाख रुपए तक सालाना कमाने वाले लोगों को अभी 20 फीसदी इनकम टैक्स देना पड़ता है, जबकि सालाना 10 से ज्यादा कमाने वालों से 30 फीसदी टैक्स वसूल किया जाता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली इस बार आम बजट में टैक्सपेयर्स को टैक्स स्लेब में बदलाव कर बड़ी राहत दे सकते हैं। नौकरीपेशा लोगों को इस बार इनकम टैक्स में छूट मिलने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले आम बजट में मध्यम वर्ग को थोड़ी राहत दी थी, जो उम्मीद के मुताबिक नहीं थी। उन्होंने ढाई से पांच लाख रुपए सालाना आय पर टैक्स को 10 से घटाकर पांच फीसदी कर साढ़े बारह हजार रुपए तक की छूट दी थी, लेकिन उसमें पांच लाख तक की आमदनी वालों की पांच फीसदी की विशेष छूट को खत्म कर अपने खजाने का ध्यान भी रखा था। इसीलिए इस बार नौकरीपेशा लोगों ने केंद्र से उम्मीद लगा रखी है कि वह इनकम टैक्स छूट का स्लैब में बदलाव करेगी और उन्हें अधिक से अधिक राहत देगी। वैसे भी मध्यप्रदेश में मध्यम वर्गीय परिवारों की संख्या ज्यादा है। यहां के लोगों का मानना है कि पिछले तीन सालों से सरकार टैक्स स्लैब में मामूली बदलाव कर केवल झुनझुना पकड़ा रही है। अब अगले साल लोकसभा के चुनाव होने हैं और मोदी सरकार का चुनाव से पहले यह अंतिम पूर्ण बजट है, इसलिए नौकरीपेशा लोगों को लुभाने का प्रयास किया जाएगा और टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

प्रदेश के प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. जयंतीलाल भंडारी का मानना है कि यह बजट एनडीए सरकार के कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा। ऐसे में वित्त मंत्री नोटबंदी, जीएसटी और पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों की मुश्किलों एक बीच अर्थव्यवस्था को गतिशील करने तथा 8 राज्यों की विधानसभाओं एवं आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर नए बजट में सभी लोगों और सभी क्षेत्रों के लिए लाभकारी योजनाओं की सौगात देते हुए दिखाई देंगे। यह बजट लोक हितकारी योजनाओं से भरपूर होगा। इसके अलावा बजट उद्योग और कारोबार के परिदृश्य के मद्देनजर प्रोत्साहित करने वाला हो सकता है।

डॉ. भंडारी का मानना है कि आम बजट में आयकर और कॉरपोरेट टैक्स में रियायत मिलने की भी उम्मीद है। आयकर छूट की जो अधिकतम सीमा ढाई लाख रुपए है, उसे बढ़ाकर बढ़ाकर 4 लाख रूपये किया जा सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत बच्चों के स्कूल, कॉलेज की फीस, बीमा प्रीमियम और विनियोग आधारित लाभ के लिए कटौती डेढ़ लाख रुपए है, उसे बढ़ाकर ढाई लाख रुपए करने की उम्मीद है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि 10 लाख रूपये तक की आय पर आयकर की दर 10 फीसदी का जा सकती है। उन्होंने कहा कि कारपोरेट टैक्स रेट से अधिक निवेश को प्रोत्साहन मिलता है और नौकरियां पैदा होती हैं। इसी के मद्देनजर वातावरण सुधारने के लिए बजट में वित्त मंत्री द्वारा कारपोरेट टैक्स दरें 30 से घटाकर 25 प्रतिशत किए जाने की भी उम्मीद है।

Updated : 30 Jan 2018 12:00 AM GMT
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