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संकल्प से होगा भ्रष्टाचार का अंत


संकल्प लेकर बुराई का नाश करने के लिए प्रयास किया जाए तो वह सार्थक परिणाम देने वाला ही सिद्ध होगा। इस प्रयास में समय भले ही लग जाए, लेकिन सफलता निश्चित ही मिलेगी। देश में कई काम ऐसे हैं जिनके कारण आम जन के समक्ष समस्याओं का विकराल रुप सामने आया, हालांकि उसमें अब कुछ कमी भी देखी जाने लगी है। उस कमी के पीछे एक ही कारण माना जा रहा है, वह है सरकार का संकल्प। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर से युवा शक्ति से आह्वान करते हुए कहा है कि युवाओं का भविष्य सुरक्षित करने के लिए देश को भ्रष्टाचार से मुक्त होना ही चाहिए। इसके लिए देश की युवा शक्ति को आगे आना होगा। कुछ दिनों पहले भी केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी मोदी सरकार को भ्रष्टाचार के विरोध में कार्यवाही करने के लिए प्रतिबद्ध बताया था। इससे यह बात सिद्ध होती है कि सरकार देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की दिशा में अभूतपूर्व कदम उठा रही है। केन्द्र सरकार के पिछले साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल का अध्ययन किया जाए तो यह सामने आता है कि सरकार ने भ्रष्टाचार उन्मूलन की दिशा में कई कार्य किए हैं। जिनका सार्थक परिणाम भले ही तुरंत सामने नहीं आया हो, लेकिन भविष्य में ऐसा हो सकता है, इसके संकेत दिखाई देने लगे हैं। सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार नहीं होना, इसका सबसे बड़ा प्रमाण माना जा सकता है। अब जनता को भी कुछ समय तक धैर्य रखने की आवश्यकता है। क्योंकि केवल सरकारी तंत्र में बदलाव लाने से ही भ्रष्टचार का सफाया नहीं किया जा सकता, इसके लिए आम जनता को भी संकल्प बद्ध होना होगा, तभी इस बुराई पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए देश की जनता को अपनी मानसिकता में भी व्यापक परिवर्तन लाना होगा। यह तभी संभव हो सकेगा, जब केन्द्र की तरह ही राज्य की सरकारें भी इस दिशा में अच्छी योजना बनाएं।

इस मामले में राज्य सरकारों को केंद्र सरकार से सबक सीखना चाहिए, क्योंकि यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार पर एक बड़ी हद तक लगाम लगाने का काम कर दिखाया है। इसलिए वर्तमान में हर स्तर पर भ्रष्टाचार के विरोध में संकल्प लेने की आवश्यकता है। जब यह सरकारों, अधिकारियों और आम जनता के स्वभाव में आएगा, तब स्वाभाविक रुप से भ्रष्टाचार की खाई को पूर्णत: पाटने में आश्चर्यजनक सफलता मिल सकती है। इसके लिए केन्द्र सरकार को यह भी अभियान चलाना चाहिए कि राज्य इस दिशा में किस प्रकार से आगे बढ़ें। अगर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता लगती हो तो वह भी करना चाहिए। राज्य सरकारों को अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन इसलिए बढ़-चढ़कर करना चाहिए, क्योंकि एक तो राज्यों के मौजूदा तंत्र में भ्रष्ट तौर-तरीकों के लिए गुंजाइश बनी हुई है और दूसरे, आम जनता रोजमर्रा के जिस भ्रष्टाचार से दो चार होती है वह मुख्यत: राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों में ही व्याप्त है। बेहतर होगा कि केंद्र सरकार राज्यों को उन तौर-तरीकों से परिचित कराए जिनके जरिये भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि राज्य सरकारें उच्च स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए संकल्पबद्ध हों और उसके सकारात्मक परिणाम सामने आने शुरू हो जाएं तो इसका असर न केवल निचले स्तर की नौकरशाही पर पड़ेगा, बल्कि आम जनता को भी यह संदेश जाएगा कि उसे भ्रष्ट तौर-तरीकों के खिलाफ सक्रिय होना है। आम जनता भ्रष्टाचार से लड़ने की मानसिकता में तभी आ पाएगी जब उसे यह दिखाई देगा कि शासन-प्रशासन में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार को खत्म करने की ठोस पहल हो रही है। इसके लिए आम जनता को भी पहल करनी होगी, अच्छे काम की पहल कोई भी व्यक्ति कर सकता है और करना भी चाहिए। अभी एक अच्छी बात यह भी है कि केन्द्र सरकार इस दिशा में काम कर रही है, इसलिए स्वाभाविक ही है कि उसे भ्रष्टाचार के विरोध में काम करने के लिए सरकारी संरक्षण भी मिल सकता है।

Updated : 30 Jan 2018 12:00 AM GMT
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