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विद्या वही जो मनुष्य को मनुष्य बनाए: अरावकर

विद्या वही जो मनुष्य को मनुष्य बनाए: अरावकर
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कन्या सरस्वती उमावि में शारीरिक प्रकट समारोह आयोजित

भैया-बहनों ने दी एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक प्रस्तुति



ग्वालियर, न.सं.। शिक्षा ऐसी होना चाहिए, जो व्यक्ति को विनम्र बनाए, सेवा का भाव जगाए, मनुष्य को मनुष्य बनाए। जिस शिक्षा से व्यक्ति में इन गुणों का विकास न हो। ऐसी शिक्षा बेकार है। विद्या भारती अपने विद्यालयों में बच्चों को ऐसी शिक्षा देती है, जो विमुक्ति की ओर ले जाती है। अज्ञानता, दरिद्रता, दुर्गुणों, गलत आदतों से मुक्त करती है, विनम्र बनाती है, सेवा का भाव जगाती है, मनुष्य को मनुष्य बनाती है। यह बात विद्या भारती के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीराम अरावकर ने कन्या सरस्वती उ.मा. विद्यालय नदीद्वार में बुधवार को आयोजित शारीरिक प्रकट समारोह में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही।

कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वदेश के समूह संपादक अतुल तारे ने की। मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान के निदेशक डॉ. संदीप कुलश्रेष्ठ, विशिष्ट अतिथि के रूप में विद्या भारती के जिला समन्वय सुनील दीक्षित एवं सरस्वती शिक्षा समिति ग्वालियर के अध्यक्ष गोपीशरण अग्रवाल उपस्थित थे। मुख्य वक्ता श्री अरावकर ने वर्तमान शिक्षा की दिशा-दशा पर चर्चा करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्य है कि आज पैकेज की शिक्षा हो गई है। आज छात्रों की हालत यह है कि अच्छी सरकारी नौकरी मिल जाए, इसलिए पढ़ते हैं, लेकिन सरकार सभी को नौकरी नहीं दे सकती। यह संभव भी नहीं है। इस कारण युवा निराश होकर बेरोजगार घूमते हैं। आज इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त हजारों-लाखों युवा बेकार घूम रहे हैं। इनमें से अधिकांश ने ऐसे महाविद्यालयों से डिग्री प्राप्त की है, जहां पढ़ाई नाम मात्र की होती है, इसलिए उन्हें जो ज्ञान प्राप्त होना चाहिए था, वह नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा ऐसी है, जिसमें जो सफल हो जाते हैं, वे अपने माता-पिता की भी चिंता नहीं करते हैं क्योंकि उनमें जो सेवा का भाव होना चाहिए, वह नहीं है। अत: आज की शिक्षा संस्कारहीन होने के कारण मनुष्य को पशुता की ओर ले जा रही है, इसलिए शिक्षा में संस्कार होना जरूरी है और विद्या भारती ऐसी ही शिक्षा दे रही है। विद्या भारती सभी विषय पढ़ाने के साथ बच्चों को शारीरिक, योग, आध्यात्मिक, नैतिक और संस्कृत की शिक्षा भी देती है।

श्री अरावकर ने उपस्थित बच्चों को समय और परिश्रम का महत्व समझाते हुए कहा कि समय का सदुपयोग करें क्योंकि यह समय बाद में नहीं मिलेगा। जीवन में बिना परिश्रम के कोई सफल नहीं हो सकता। कड़ा परिश्रम ही सफलता का मूल मंत्र है। उन्होंने कहा कि जो लोग समय को बर्बाद करते हैं, उसे विद्या नहीं मिलती है और जो धन को बर्बाद करते हैं, उनके पास धन नहीं बचता है। उन्होंने कहा कि समय का सदुपयोग करो। सरल जीवन जियो। श्रेष्ठ नागरिक, श्रेष्ठ मनुष्य, श्रेष्ठ भारतीय बनो, तभी भारत जग सिरमौर बनेगा। संपूर्ण विश्व में भारत की जय हो। यह हम और आप पर ही निर्भर है।
मुख्य अतिथि डॉ. संदीप कुलश्रेष्ठ ने कहा कि भारत कभी सोने की चिड़िया और विश्व गुरु रहा है। ऐसे देश में जन्म लेना, परिवार, समाज, राष्ट्र के लिए कार्य करना हमारे लिए गौरव की बात है। उन्होंने समुद्र में सेतु के निर्माण में गिलहरी की भूमिका का उदाहरण देते हुए कहा कि हम लोग जब भी श्रीरामचरित मानस पढ़ते हैं, तब उस नन्ही गिलहरी की भूमिका को जरूर याद करते हैं। ऐसे ही हम भी राष्ट्र के नवनिर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वदेश के समूह संपादक अतुल तारे ने कहा कि जो अभिभावक बाजारवाद से परे अपने बच्चों को सरस्वती शिशु मंदिरों में पढ़ा रहे हैं, उनका यह सराहनीय निर्णय है। आज जीवन में जो चुनौतियां हैं, फिसलन है, भटकाव है, उसे कोई थाम सकता है और संस्कार गढ़ सकता है तो वह सरस्वती शिशु मंदिर हैं। उन्होंने लार्ड मैकाले का जिक्र करते हुए कहा कि मैकाले ने ब्रिटिश संसद में कहा था कि भारत को यदि लम्बे समय तक गुलाम बनाकर रखना है तो भारत की शिक्षा प्रणाली पर प्रहार करना पड़ेगा। उसकी यह सोच आज बड़े-बड़े शिक्षा संस्थानों को देखकर सफल होती दिख रही है। ऐसी विषम चुनौतियों के बीच भी सरस्वती शिशु मंदिर भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षण पद्धति अपनाकर मनुष्य को मनुष्य बनाने का काम कर रहे हैं। यह हम सभी के लिए गौरव की बात है।

वाटर कूलर का किया लोकार्पण

शारीरिक प्रकट समारोह में वार्ड 42 के पार्षद एवं पूर्व सभापति गंगाराम बघेल द्वारा पार्षद मौलिक निधि से विद्यालय को भेंट किए गए वाटर कूलर का अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया।

भैया-बहनों ने किया मनमोहक नृत्य व योग का प्रदर्शन

शारीरिक प्रकट समारोह में भैया-बहनों ने एक के बाद एक और एक से बढ़कर एक मनमोहक योग व नृत्य का प्रदर्शन किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत गणेश वंदना से हुई, जिसमें सामूहिक रूप से बहनों ने योग प्रदर्शन के साथ गणेश वंदना प्रस्तुत की तो उपस्थित अतिथियों और अभिभावकों ने तालियां बजाकर बहनों का उत्साहवर्धन किया। इसके बाद नन्हे-मुन्हे बच्चों ने गुब्बारों के साथ योग का मनोहारी प्रदर्शन किया। इसी क्रम में भैया-बहनों ने सामूहिक योग, बेम्बू योग, चक्र योग, साड़ी ड्रिल, विभिन्न योगासन, पिरामिड आदि का बेहतर प्रदर्शन किया। भैया-बहनों ने योग के माध्यम से ओम, स्वास्तिक, त्रिशूल आदि का प्रदर्शन किया। इसी क्रम में बहनों ने गुजरात के लोक प्रिय डांडिया नृत्य तो पूर्व छात्राओं ने एकता में अनेकता का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न गानों पर मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी। प्रारंभ में दीप प्रज्जवलन एवं सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात विद्यालय समिति की सदस्य श्रीमती रितु नामधारी ने अतिथियों का परिचय दिया। सरस्वती शिक्षा समिति के सचिव नीलेन्द्र तोमर, विद्यालय की व्यवस्थापक श्रीमती महिमा तारे एवं श्रीमती नीलम गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। अंत में विद्यालय समिति की उपाध्यक्ष श्रीमती मनीषा इंदापुरकर, सुनीता पाठक, सरस्वती शिशु मंदिर सरस्वती नगर के प्राचार्य सुरेन्द्र मौर्य, सरस्वती शिशु मंदिर संस्कारधाम मुरार की प्राचार्य श्रीमती मनीषा शर्मा ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती ममता शर्मा, बहन उन्नति त्रिपाठी एवं सलौनी ने किया। आभार प्रदर्शन विद्यालय इकाई की प्रमुख श्रीमती सीमा गुप्ता ने किया। अंत में विसर्जन मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम में विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती शारदा बलौदी एवं श्रीमती कल्पना शर्मा सहित समस्त विद्यालय परिवार, अभिभावक, माता-बहनें एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।



Updated : 4 Jan 2018 12:00 AM GMT
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