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विवेकानंद जी के विचारों को आगे बढ़ा रहा है संघ: सुप्रदीप्तानंद जी

विवेकानंद जी के विचारों को आगे बढ़ा रहा है संघ: सुप्रदीप्तानंद जी
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सक्षम के दो दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग का समापन


ग्वालियर, न.सं.। भारत सहित अन्य देशों में लगभग छह प्रतिशत आबादी शारीरिक रूप से बाधित है। भारत में तीन करोड़ बाधित आबादी चिन्हित है। परिवार में एक व्यक्ति भी शारीरिक रूप से बाधित हो तो पूरा परिवार बाधित हो जाता है। दिव्यांगों को दया और करुणा से ज्यादा सेवा भाव की जरूरत है। यदि उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार मिल जाए तो वे हमसे ज्यादा अच्छा करके दिखा सकते हैं।

यह बात रविवार को नागपुर से आए समदृष्टि क्षमता विकास एवं अनुसंधान मंडल (सक्षम) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. सुकुमार जी ने एहसास विद्यालय में सक्षम की ग्वालियर जिला इकाई द्वारा आयोजित मध्य भारत प्रांत के दो दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग के समापन सत्र में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही। डॉ. सुकुमार जी ने कहा कि दिव्यांगजन सामान्य व्यक्ति से किसी भी दृष्टि से कम नहीं हैं। इसके लिए उन्होंने कई ऐसे लोगों का उदाहरण दिया, जिन्होंने दिव्यांग होते हुए भी ऊंचाइयों को छुआ। उन्होंने बताया कि सूरदास जी ने गोस्वामी तुलसीदास जी का मार्गदर्शन किया। ऋषि अष्टाबक्र जी राजा जनक के गुरु थे। दिव्यांग विन्सटन चर्चिल प्रसिद्ध कूटनीतिज्ञ, प्रखर वक्ता, इतिहासकार, लेखक, कलाकार थे। वे इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बने और उन्हें नोबोल पुरस्कार मिला। इसी प्रकार दिव्यांग होते हुए भी स्टीफन हॉकिंग महान वैज्ञानिक बने। फ्रांस के लुई बे्रल दृष्टि बाधितों के चक्षु बन गए। उन्होंने दृष्टि बाधितों के लिए लिखने-पढ़ने की प्रणाली विकसित की। उन्होंने और भी कई ऐसे दिव्यांगों के बारे में विस्तार से बताया, जिन्होंने करोड़ों का कारोबार स्थापित कर तमाम दिव्यांगों को रोजगार दिया है। डॉ. सुकुमार जी ने कहा कि इस दो दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में लभगत 22 जिलों से कार्यकर्ता समय निकालकर आए हैं। यह अच्छा संकेत है। निश्चित रूप से यह प्रशिक्षण वर्ग और इसमें शामिल हुए कार्यकर्ता दिव्यांगजनों के क्षेत्र में काम करने के लिए ऊर्जा का एक बड़ा केन्द्र बनेंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को शासन व समाज और विषय विशेषज्ञों की मदद से दृष्टि, श्रवण, बुद्धि व अस्थि बाधित और कुष्ठ रोगी आदि प्रकल्पों पर दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ काम करते हुए लोगों को इन व्याधियों से मुक्त दिलाने के लिए प्रेरित किया।

विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत सह कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर ने कहा कि दिव्यांगों की सेवा के लिए जो लोग संगठन से जुड़े हैं। निश्चित रूप से यह हमारे पूर्व जन्मों का पुण्य फल है। ईश्वर ने हमें अच्छे कार्य करने की प्रेरणा और अवसर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले तक संगठन का यह कार्य पहुंचे। इसके लिए जो संरचना खड़ी की है, उसके लिए मैं आप सभी को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि जिनको आवश्यकता है, वह तो हमारे प्रयास से सेवित होंगे ही, साथ ही हम भी धन्य होंगे। हमारे साथ सशक्त संगठन और समर्पित कार्यकर्ता खड़े हैं, इसलिए हम निश्चित रूप से अपने उद्देश्य में सफल होंगे। कार्यक्रम में सक्षम के मध्य भारत प्रांत के अध्यक्ष रविन्द्र कोपरगांवकर ने भी अपने विचार रखे।

विवेकानंद जी के विचारों को आगे बढ़ा रहा है संघ: सुप्रदीप्तानंद जी

मुख्य अतिथि रामकृष्ण आश्रम के स्वामी सुप्रदीप्तानंद जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक तरह से रामकृषण मिशन का ही प्रतिरूप है क्योंकि दोनों का मिशन एक ही है। रामकृष्ण मिशन अचल स्वरूप है तो संघ उसका चलायमान स्वरूप है, इसलिए संघ के प्रति हमारा भारी आदर भाव है। स्वामी जी ने कहा कि रामकृष्ण मिशन ऊर्जा का स्रोत है और संघ जैसे संगठन उस ऊर्जा को गतिशीलता प्रदान करने वाले सशक्त माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी का जो विचार और चिंतन है, उसे लोगों के आचरण और जीवन में लाने वाला यदि कोई है तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। उन्होंने कहा कि ‘उठो जागो और तब तक चलते रहो, जब तक लक्ष्य न मिल जाए।’ संघ और रामकृष्ण मिशन दोनों ही स्वामी जी के इसी ध्येय वाक्य को आत्मसात कर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने दिव्यांगों के क्षेत्र में काम कर रही संस्था सक्षम को रामकृष्ण मिशन की ओर से हर संभव सहयोग देने की बात भी कही। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत सक्षम के प्रांत सचिव केबीएल श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम का संचालन जिला एवं प्रशिक्षण संस्थान के वरिष्ठ व्याख्याता ओ.पी. दीक्षित ने एवं आभार प्रदर्शन सक्षम के जिलाध्यक्ष आलोक पुरोहित ने किया।

Updated : 8 Jan 2018 12:00 AM GMT
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