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इंदौर की घटना से ग्वालियर के परिवहन अधिकारियों ने नहीं लिया सबक

इंदौर की घटना से ग्वालियर के परिवहन अधिकारियों ने नहीं लिया सबक
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फिटनेस के नाम पर खानापूर्ति, शाखा प्रभारी आरटीआई कार्यालय से गायब


ग्वालियर, न.सं.। परिवहन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और रिश्वतखोरी के चलते इंदौर में हुई हृदय विदारक घटना से ग्वालियर के परिवहन अधिकारियों ने सबक नहीं लिया है। मासूम स्कूली बच्चों की मौत से जहां पूरा प्रदेश गमगीन है तथा परिवहन विभाग के रिश्वतखोर और लापरवाह अधिकारियों के विरुद्ध कर्रवाई की मांग की जा रही है। इस सब से बेफ्रिक विभागीय मुख्यालय ग्वालियर में परिवहन विभाग की फिटनेस शाखा का आलम यह है कि यहां रिश्वत लेकर खटारा वाहनों और ओवरलोड ट्रकों तक को बिना जांच किए फिटनेस प्रमाण पत्र थमाया जा रहा है। खास बात यह है कि जिस परिवहन निरीक्षक रूप शर्मा को फिटनेस शाखा का जिम्मा दिया गया है वह शाखा में बैठने की बजाय मोतीमहल स्थित परिवहन आयुक्त कार्यालय से शाखा का संचालन कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि इंदौर डीपीएस स्कूल की जिस खटारा स्कूल बस के कारण पांच मासूमों ने जान गंवाई है, वह बस 15 वर्ष पुरानी एवं अनफिट स्थिति की पाई गई। हालांकि पांच परिवारों के चिराग बुझा देने वाली परिवहन विभाग की लापरवाही पर मुख्यमंत्री के आदेश के बाद इंदौर के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को मुख्यालय में अटैच कर विभाग ने इतिश्री तो कर ली, लेकिन अधिकारियों ने इस घटना से सबक नहीं लिया। खास बात यह है कि ग्वालियर में परिवहन विभाग का प्रदेश मुख्यालय है। इसके बावजूद यहां विभाग की फिटनेस शाखा में खुलेआम दलाली और रिश्वतखोरी जारी है। अब भी यहां अनफिट और अनियमित तरीके से खटारा वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र थमाए जा रहे हैं। फिटनेस शाखा प्रभारी परिवहन निरीक्षक रूप शर्मा फिटनेस शाखा में ही नहीं जाते, जबकि नियमानुसार शाखा प्रभारी परिवहन निरीक्षक को स्वयं फिटनेस की जांच करनी चाहिए।

नारायण दलाल बना शाखा प्रभारी

ग्वालियर परिवहन विभाग की फिटनेस शाखा वर्षों पुराने एक स्थाई दलाल के भरोसे चल रही है। अधेड़ उम्र का यह दलाल नारायण ही वाहन के दस्तावेजों से लेकर वाहन की खराबियों और कमियों को चैक करता है। वाहन जितनी खराब स्थिति में होता है, रिश्वत की राशि उतनी अधिक होती है। खास बात यह है कि यह दलाल ही तय करता है कि वाहन की कंडीशन के हिसाब से फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए वाहन मालिक को कितनी राशि रिश्वत में देनी है। कार्यालय में बैठे बाबू अथवा अधिकारी इस दलाल की हरी झंडी के बिना फाइल को पास नहीं करते। इस दलाल की हरी झंडी मिले बिना किसी भी वाहन को परिवहन विभाग से फिटनेस प्रमाण पत्र मिल पाना संभव नहीं है। इस रिश्वत की राशि को न तो विभाग का कोई अधिकारी हाथ लगाता है और न ही शासकीय अथवा कम्पनी का कर्मचारी। आवेदकों को रिश्वत की राशि के साथ वाहन के दस्तावेज और फीस भी इसी दलाल के हाथों में थमानी होती है। प्रतिदिन शाम को इस रिश्वत की राशि का बंदरबांट होता है। हालांकि शाखा की व्यवस्थाएं संभालने के लिए तीन लिपिक भी यहां पदस्थ हैं, लेकिन यह लिपिक सिर्फ दस्तावेजी निरीक्षण और विवाद की स्थिति निपटाने के लिए हैं।

मौन रहकर मौत के प्रमाण पत्र बंटवा रहे हैं अधिकारी

ग्वालियर परिवहन विभाग की फिटनेस शाखा में खुलेआम चल रहे रिश्वत के खेल और अनफिट वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र बांटे जाने जैसी गड़बड़ी से अधिकारी भी अनभिज्ञ नहीं है। समाचार पत्रों और शिकायतों के माध्यम से कई बार यह बात अधिकारियों के संज्ञान में लाई गई है। लेकिन घूसखोर अधिकारी विभागीय गड़बड़ियों के संज्ञान में आने पर भी मौन रहकर मौत के प्रमाण पत्र बंटवा रहे रहे हैं।

‘आरटीआई रूप शर्मा को फिटनेस शाखा का प्रभारी बनाया गया है। वाहनों की फिटनेस के समय उन्हें रहना आवश्यक है। वह क्यों नहीं जा रहे हैं मैं पूछता हूँ तथा उन्हें उपस्थित रहने के लिए बोलता हूँ। लोडेड और अनफिट वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र किस आधार पर दिया जा रहा है मैं इस संबंध में जानकारी लेता हँॅॅू। ऐसा किया जा रहा है तो संबंधितों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। ’

एस.पी.एस.चौहान,

क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, ग्वालियर

Updated : 9 Jan 2018 12:00 AM GMT
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