Home > Archived > विटामिन उत्पादों में अनेक भ्रांतियां

विटामिन उत्पादों में अनेक भ्रांतियां


सभी जीवों को विटामिन, आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और ये भोजन के माध्यम से आने चाहिए। यदि आप स्वस्थ हंै तो विटामिन की थोड़ी अतिरिक्त खुराक का आपके लिए बहुत कम पोषणात्मक लाभ होगा, परंतु यदि आप में विटामिन की कमी है तो आपको पूरक पोषण चाहिए होंगे ताकि आपकी कोशिकाएं तथा टिशू सही प्रकार से बढ़ सकें। विटामिन से रसायनिक अभिक्रियाएं होती हंै जिससे अन्य चीजों के साथ-साथ त्वचा, हड्डी तथा मांसपेंशियां बनती हंै। यदि इनमें से किसी एक या अधिक पोषक तत्वों की गंभीर कमी होती है तो आपको कोई कमी वाला रोग हो सकता है। यहां तक कि हल्की कमी से भी स्थायी नुकसान हो सकता है। विटामिन की कमी से होने वाले कुछ प्रमुख रोगों में बेरीबेरी, पेलागरा, स्कर्वी तथा रिकेट्स शामिल हैं।

वर्ष 1910 में विटामिन बी1 (थियामिन) की खोज जापानी वैज्ञानिक उमातारो सुजुकी द्वारा की गई थी और इसका भोजन स्रोत चावल का चोकर था। 1913 में विटामिन ए (रेटीनॉल) आया और इसका भोजन स्रोत मछली का तेल था। 1920 तथा 1948 के मध्य अन्य सभी विटामिनों को अलग किया गया था। सबसे आखिर में खोज किया गया विटामिन बी 12 (कोबालमिन) था और इसका स्रोत यकृत, अंडे तथा अन्य पशु उत्पाद थे।
1930 के दशक में पहली बार वाणिज्यिक यीस्ट से निकाला गया विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और अर्ध-सिंथेटिक विटामिन सी सप्लीमेंट गोलियां बेची जानी प्रारंभ हुई। तब से लेकर अब तक विटामिन तथा मल्टी-विटामिन का उपभोग कई घरों में एक आम बात हो गई है। वर्तमान में 13 विटामिनों की पहचान की गई थी और हरेक का एक विशिष्ट कार्य है। कुछ एंटीआॅक्सीडेंट के रूप में कार्य करते हैं, विशेष रूप से बी समूह में, तथा एन्जाइम के कार्य करने में सहायता देते हैं। विटामिनों को ए, बी (बी1 थियामीन, बी2 रीबोफ्लेविन, बी3 नियासिन, बी5, बी6 (पाइरीडॉक्सिन), बी7 बायोटीन, बी9, बी12 कोबालमीन सहित), सी, डी, ई और के में बांटा गया है। जैसे-जैसे सप्लीमेंट हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनते जा रहे है, यह जानना महत्वपूर्ण है कि वे कहां से आते हैं। बी समूह में कुछ अन्य आम नाम है जो पैकेजिंग लेबल पर होते है: (थियामिन, रीबोफ्लेविन, नियासिन, पैंथोथेनिक एसिड, बायोटीन, विटामिन बी-6, विटामिन बी-12 और फॉलेट)।

अधिकांश भारतीय यह जान कर चकित होंगे कि कितने विटामिनों को पशुओं से निकाला जाता है और शाकाहारी नहीं है। उत्पाद पर दिए गए विवरण सदैव ठीक नहीं होते हंै। जहां विधि के अनुसार विनिर्माताओं को अपने उत्पादों पर सामग्रियों को दर्शाने का निर्देश है, उनके लिए इन अवयवों के स्रोत को प्रदर्शित करना बाध्यकारी नहीं है। कई विटामिन सप्लीमेंट शाकाहारी नहीं हैं। कोई इन विटामिनों का उपयोग जारी रखना चाहता है या नहीं, यह तो उसकी व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करेगा परंतु आपको पशु तत्व की जानकारी होनी चाहिए। विटामिन गोली या कैप्सूल में आमतौर पर ऐसे योज्य शामिल होते हैं जो विनिर्माण प्रक्रिया या शरीर द्वारा विटामिन को पचाए जाने के तरीके में सहायता करते हैं। इनमें से कुछ ये हैं: जिलाटिन विटामिन सप्लीमेंटों में प्रयोग किया जाने वाला सबसे आम पशु अवयव है। यह अधिकांश कैप्सूल शेल का आधार बनाता है और इसका उपयोग गोलियों की परत तथा उन्हें भरने के लिए भी किया जाता है। जिलाटिन को सुअरों, गायों तथा बकरियों के खुर, पेट तथा अन्य टिशू लाइनिंग से निकाला जाता है।

विटामिन सप्लीमेंट के फिलर के अन्य घटक तथा परत की ल्यूब्रीकेंट मैग्नीशियम स्टीअरेट तथा कैप्रीलिक एसिड है। मैग्नीशियम स्टीअरेट को स्टीयरिक एसिड से निकाला जाता है, जो सुअर, चिकन, गाय, मछली, दूध तथा मक्खन में पाया जाने वाला फैटी एसिड है। कैप्रीलिक एसिड बकरी, गाय तथा भेड़ से आता है। कई गोलियों को देखने में आकर्षक बनाने के लिए उन पर रंग लगाया जाता है। इनमें से कई रंग पशु आधारित होते हंै। आमतौर पर प्रयोग किया जाने वाला लाल रंग कारमीन से बनाया जाता है, जिसे बीटल्स जैसे स्केल कीड़ों के मृत शरीरों से बनाते हैं। विटामिन डी सप्लीमेंट बनाए जाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक अन्य पशु स्रोत सामग्री लैनलिन है। इसे ऊन वाले पशुओं से प्राप्त किया जाता है (डी3 को मछली के तेल से भी बनाया जाता है। यह खतरनाक है क्योंकि इसमें मरक्यूरी तत्व छिपा हो सकता है।) एलगी से प्राप्त किए जाने वाले वेगन विटामिन डी3 सप्लीमेंट एक व्यवहार्य विकल्प है। या धूप सेंका करें।

एक अन्य महत्वपूर्ण अवयव मछली का तेल है जिसका उपयोग विटामिन ए तथा विटामिन डी के स्रोत के रूप में किया जाता है। यह कॉड मछली के यकृत से निकाले गए तेलों से आता है। विटामिन बी12 (कोबालमिन) को अक्सर अंग के मांस से निकाला जाता है, विशेष रूप से मेमने के यकृत, बछड़े के मांस, भैंसे के मांस तथा टर्की, मछली के अंडे, सीपी, छोटी समुद्री मछली तथा केकड़े के मांस से। विटामिन बी2, बी3, बी5, बी6, बी7 के साथ भी ऐसा ही है। ओमेगा-3 सप्लीमेंट के लिए आमतौर पर मछली, मछली तेल, अंडे, मांस आदि का उपयोग किया जाता है। महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के पचाने में सहायता करने के लिए कई विटामिनों में डूडोनम पदार्थों का उपयोग किया जाता है। इन्हें गायों तथा सुअरों के पाचन तंत्रों से निकाला जाता है।
लिपासे पाचन एन्जाइम सप्लीमेंट में प्रयोग किया जाने वाला एक अवयव है। यह बछड़ों तथा मेमने की जीभों से आता है। पेप्सिन जिसे कभी-कभी शामिल किया जाता है, सुअरों की पेट की आंत से आता है। कुछ विटामिन सप्लीमेंटों में कैल्शियम के स्रोत के रूप में हड्डियों के भोजन का उपयोग किया जाता है। यह मूलत: पशुओं की हड्डियों का चूरा है।

कैल्शियम सप्लीमेंट गोलियों में ग्लीसरीन होता है जिसे सोया या पाम से निकाला जा सकता है परंतु इसे आमतौर पर पशु की चर्बी से निकाला जाता है। सभी विटामिन सप्लीमेंटों में प्रयोग किए जाने वाले चोलकैल्सीफरोल को भेड़ की ऊन से निकाला जा सकता है। ऐसा कोई विटामिन नहीं है जो केवल मांसाहारी भोजन में पाया जाता है। प्रत्येक विटामिन के पौधा आधारित विकल्प मौजूद है। सब्जी के सेल्यूलोस कैप्सूल जिलाटिन का एक विकल्प है। फिलर के रूप में उपयोग किए जाने वाले स्टीरिएटस तथा परत पर ल्यूब्रीकेंट को पशुओं के बजाय पॉम आॅयल से प्राप्त किया जा सकता है। कैप्रीलिक एसिड के सब्जी स्रोत भी है जिसे नारियल या पॉम आॅयल से प्राप्त किया जा सकता है। विटामिन डी के वैकल्पिक स्रोतों में यीस्ट से निकाला जाने वाला एर्गोस्टेरॉल, एलगी और त्वचा का धूप से संपर्क शामिल है। सोया से निकलने वाले सिनकोबेलामिन का उपयोग विटामिन बी12 सप्लीमेंट के रूप में किया जा सकता है। किवी फल के बीज का तेल, तुलसी के बीज, अंजीर के बीज का तेल, अलसी तथा काली रसभरी ओमेगा-3 विटामिन के अच्छे स्रोत है। विटामिन ए गाजर से प्राप्त किया जा सकता है।

Updated : 1 Feb 2018 12:00 AM GMT
Next Story
Top