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शिवाजी हैं इन दिनों सीमा पार भी ‘आॅन लाइन’

शिवाजी हैं इन दिनों सीमा पार भी ‘आॅन लाइन’
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संघ के अखिल भारतीय अधिकारी अनिल ओक की अभिनव पहल


विशेष प्रतिनिधि/ग्वालियर। उम्र के चौथे या पांचवे पड़ाव को पार कर चुके लोगों को एक सामान्य सी शिकायत इन दिनों दिखाई देती है। वे परेशान हैं, यह देखकर कि उनके बच्चों के कानों में ईयरफोन है, हाथ में एंड्राइड है और वे चेटिंग में व्यस्त हैं। घर हो या दफ्तर, सुबह की सैर हो या रात किसी होटल में, यह दृश्य आम है और ऐसा नहीं है कि सिर्फ युवा ही इसकी गिरफ्त में है। प्रौढ़ या बुजुर्ग भी पीछे नहीं है। देश में तेजी से आई इस संचार क्रांति का सकारात्मक उपयोग किस प्रकार हो, वे किस प्रकार देश की जड़ों से खेल-खेल में जुड़े, राष्ट्रीय महत्व के विषय उन तक सरलता से किस प्रकार पहुंचे इसकी एक अभिनव पहल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने की है। श्री ओक इन दिनों वीर छत्रपति शिवाजी के जीवन पर आॅन लाइन प्रतियोगिता आयोजित कर रहे हैं। इस प्रतियोगिता में देश के लगभग प्रत्येक प्रांत के प्रतियोगी तो हैं ही बल्कि सीमा पार के प्रतिभागी भी हैं।

अपने व्यस्त ग्वालियर प्रवास के बीच श्री ओक ने स्वदेश से अनौपचारिक बातचीत में प्रतियोगिता के विषय में विस्तार से जानकारी दी। श्री ओक ने बताया कि देश भर में संघ कार्य के चलते प्रवास रहता ही है, इसके चलते एक अनुभव आया। अनुभव यह कि देश अपने प्रेरणा पुरुषों के जीवन से अनभिज्ञ है। वह देश के नायकों के चरित्र भी नहीं जानता। ‘जाणता राजा’ (शिव चरित्र) के सफल मंचन का अनुभव ले चुके श्री ओक ने शिवाजी के चरित्र को आॅन लाइन देश भर में प्रेषित करने का एक अभिनव एवं साहासिक निर्णय किया। अभिनव इसलिए कि यह अपने आप में देश भर में पहला प्रयोग है। साहसिक इसलिए कि श्री ओक का देशभर में नियमित प्रवास है। संघ कार्य की उन पर एक महती जवाबदेही है। ऐसे में यह प्रतियोगिता नियमित रूप से प्रतिदिन अतिरिक्त समय एवं ऊर्जा मांगती है। पर संकल्प के धनी श्री अनिल ओक ने निर्णय लिया। श्री ओक ने औपचारिक रूप से संघ के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत भी की। बकौल श्री ओक सभी ने प्रस्ताव को स्वीकृति तो दी पर साथ ही यह भी कहा कि विचार कर लें पर यह एक कठिन प्रयोग है। श्री ओक ने कहा संगठन का पीठ थपथपाना ही मेरे जैसे कार्यकर्ता के लिए पर्याप्त था और मैंने अपने विचार को क्रियान्वित किया।

श्री ओक ने बताया कि शिवाजी देश के एक ऐसे नायक हैं जिनके विचार, जिनकी कार्यपद्धति आज भी प्रासंगिक है। आपने बताया कि प्रतियोगिता के लिए उन्होंने बाबा साहेब पुरंदरे के शिव चरित्र को आधार बनाया है। प्रतियोगिता के लिए चार समूह बनाए गए हैं। आयु वर्ग के आधार पर 8 साल से 15 साल, 16 साल से 25 साल, 26 साल से 40 साल एवं 41 साल से ऊपर तक का समूह बनाया गया है। श्री ओक ने बताया कि प्रतियोगिता में कुल 2116 प्रतियोगी भाग ले रहे हैं। सबसे कम आयु वर्ग का प्रतियोगी 7 साल का है, वहीं 83 वर्ष के बुजुर्ग भी प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं।
श्री ओक ने बताया कि वे श्री पुरंदरे के शिव चरित्र पर आधारित ग्रंथ के आधार पर वे रोज 10 प्रश्न अपने सूचीबद्ध प्रतियोगी समूह को व्हाट्सएप पर भेजते हैं। अपेक्षा यह रहती है कि एक दिन वे स्वयं शिवाजी के चरित्र को पढ़ें एवं सवालों के जवाब ढूंढे। श्री ओक ने बताया कि दूसरे दिन वे उन्हीं प्रश्नों का उत्तर भी भेजते हैं। यह एक सरल एवं अनोखा तरीका है, शिवाजी को समझने का, जानने का। आपने बताया कि एक निश्चित समय बाद वे पहले प्रायोगिक एवं फिर अंतिम प्रतियोगिता लेने की तैयारी कर रहे हैं और ये प्रतियोगिता शुरु भी हो चुकी है। विजयी प्रतियोगियों के लिए क्रमश: 5000, 3000 एवं 2000 के नगद पुरस्कार भी प्रत्येक समूह के लिए रखे हैं।

श्री ओक ने बताया कि सर्वाधिक प्रतियोगी राजस्थान से हैं 538, वहीं बंगाल से 5 प्रतियोगी है। केरल एवं पूर्वोत्तर में नागालैण्ड को छोड़ दें तो देश के लगभग सभी प्रांतों के प्रतियोगी इसमें उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं। आपने बताया 2 प्रतियोगी विदेश से भी हैं। श्री ओक ने बताया कि प्रतियोगिता को लेकर अनुभव बेहद उत्साहजनक है। अगर सुबह 5 बजे तक पोस्ट कहीं गलती से भी नहीं पहुंच पाई तो उनके पास मोबाइल आने लगते हैं। प्रतियोगिता में 313 महिलाएं हैं एवं 15 मुसलमान भी हैं। आॅन लाइन पोस्ट रोज करने में कितना समय लगता है और यह कैसे संभव हो पाया है आपने बताया कि सभी समूह की ब्राड क्रास्ट सूची है। अगर मैं यात्रा में भी हूं तो टेÑन से भी मैं कर देता हूं। यह प्रक्रिया सुबह 3.30 बजे शुरु होती है जो 5 बजे तक चलती है। श्री ओक ने बताया कि शिवाजी के बाद वह स्वामी विवेकानन्द, गुरु गोविंद सिंह एवं कृष्णदेवराय के जीवन चरित्र पर प्रतियोगिता शुरु करने का विचार कर रहे हैं।

Updated : 14 Feb 2018 12:00 AM GMT
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