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आबकारी अधिकारियों ने खूंठी पर टांगे नियम-कानून

आबकारी अधिकारियों ने खूंठी पर टांगे नियम-कानून
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धार से काली सूची में शामिल सोम डिस्टलरीज को लाभ पहुंचाने


ग्वालियर, न.सं.। वर्ष 2018-19 की आबकारी नीति में शासन ने यह तय किया है कि प्रदेश के किसी भी जिले से काली सूची में शामिल ठेकेदार अथवा किसी भी फर्म में उसका सहभागी रहा अन्य ठेकेदार भी काली सूची में शामिल होगा तो भी उसे शराब दुकान का ठेका अथवा दुकान का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। न ही उसे टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने का अधिकार होगा। शासन का करोड़ों रुपये हड़प कर जाने के कारण धार जिले से वर्ष 2007-08 में काली सूची में डाली गई सोम डिस्टलरीज लिमिटेड, सेहतगंज, जिला रायसेन विगत 10 वर्षों से धड़ल्ले से शराब कारोबार कर रही है। सोम के संचालक अलग-अलग फार्में बनाकर शराब दुकानों के ठेके लेते रहे हैं। इसके बावजूद काली सूची में शामिल सोम डिस्टलरीज लिमिटेड को वर्ष 2018-19 के क्षेत्रीय शराब प्रदाय व्यवस्था (सीएस-1) की टेंडर प्रक्रिया में शामिल करने की तैयारी की जा रही है।

क्षेत्रीय शराब प्रदाय व्यवस्था (सीएस-1) की टेंडर प्रक्रिया आगामी 20 फरवरी को आयोजित होनी है। इसके लिए प्रदेशभर में की कई कम्पनियों ने टेंडर फार्म खरीदे हैं। धार कलेक्टर द्वारा काली सूची में डाली गई सोम डिस्टलरीज लिमिटेड के संचालकों ने भी सीएस-1 के टेंडर फार्म खरीदे हैं तथा वह टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने की तैयारी कर चुके हैं। खास बात यह है कि आबकारी आयुक्त सहित आबकारी विभाग के प्रदेशभर के अधिकारियों को इसकी जानकारी है। इसके बावजूद सोम डिस्टलरीज को लाभ पहुंचाने के लिए नई आबकारी नीति के नियमों से अनजान बन रहे हैं।

महाधिवक्ता से अब क्यों नहीं लिया अभिमत?

नई आबकारी नीति के अनुसार प्रदेश के किसी भी जिले से काली सूची में शामिल (डिफाल्टर) ठेकेदारों को प्रदेशभर के किसी भी जिले में फुटकर शराब ठेके की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा। न ही अब तक आवंटित शराब दुकान समूहों का नवीनीकरण किया जाएगा। ऐसी स्थिति में प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक जिलाधीशों ने इस संबंध में आबकारी आयुक्त से अभिमत चाहा तो उन्होंने सीधे ही अभिमत नहीं दिया। बल्कि महाधिवक्ता को पत्र लिखकर अभिमत प्राप्त किया। महाधिवक्ता ने काली सूची में शामिल ठेकेदारों को फुटकर शराब के ठेके/नवीनीकरण से स्पष्ट मना कर दिया। आबकारी विभाग के ठेकेदारों में चर्चा है कि आबकारी आयुक्त का यह प्रयास प्रदेशभर के विभिन्न जिलों में करीब 500 करोड़ से अधिक की शराब दुकानों का ठेका लिए बैठे सोम डिस्टलरीज के संचालकों को बचाने का रास्ता निकालने के लिए उठाया गया कदम था। अब सवाल उठ रहा है कि आबकारी आयुक्त ने सीएस-1 के ठेकों में भी महाधिवक्ता से पूर्व की भांति अभिमत क्यों नहीं मांगा है। जिससे यह स्पष्ट हो सके कि फुटकर के समान ही सीएस-1 और सीएस-1 बी के ठेकों में उन ठेकेदारों को टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया जाए अथवा नहीं जो फुटकर शराब बिक्री के प्रकरण में प्रदेश के किसी भी जिले से काली सूची में शामिल हैं।

काली सूची से बाहर नहीं हो सकी सोम

वर्ष 2004-05 में आबकारी विभाग की 3 करोड़, 38 लाख रुपये से अधिक राशि चुकता नहीं करने वाली सोम डिस्टलरीज लिमिटेड, सेतहगंज जिला रायसेन को धार जिलाधीश ने वर्ष 2007-08 में काली सूची में डाला था। इसी प्रकार मैसर्स लक्ष्मीनारायण एण्ड संस ग्राम जैतपुरा, धार को भी धार कलेक्टर ने काली सूची में डाला था। 9 नवम्बर 2017 को धार जिला आबकारी अधिकारी ने काली सूची में शामिल इन दोनों कम्पनियों को काली सूची से बाहर करने के लिए आबकारी आयुक्त को पत्र लिखा। इस पत्र के जवाब में आबकारी आयुक्त ने 14.11.2017 को धार जिला आबकारी अधिकारी को पत्र लिखकर कहा कि इसका अधिकार जिला समिति को है। इस कारण दोनों फर्मों को काली सूची से बाहर करने की कार्रवाई जिला समिति के माध्यम से की जाए। इसके बाद 25.01.2018 को धार कलेक्टर ने आबकारी आयुक्त को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि दोनों फर्मों को काली सूची से बाहर किए जाने के संबंध में प्रस्ताव जिला आबकारी अधिकारी द्वारा जिला समिति की बैठक में रखा गया। लेकिन इन आसवकों/बकायादारों का नाम विभाग की काली सूची से विलोपित किए जाने के संबंध में प्रस्ताव को जिला समिति द्वारा अमान्य करते हुए निरस्त कर दिया गया। इस तरह दोनों ही फार्मों को काली सूची से बाहर नहीं किया गया है।

इनका कहना है

‘आप अपनी जानकारी अपडेट करें, सोम डिस्टलरीज लिमिटेड धार जिले से फुटकर विक्रय में काली सूची में शामिल है। सीएस-1 के ठेकों में यह नियम लागू नहीं होते। सीएस-1 के ठेकों के लिए आबकारी नीति में क्या प्रावधान है यह दिखवाना पड़ेगा।’

अरुण कोचर,

आबकारी आयुक्त म.प्र. शासन

Updated : 18 Feb 2018 12:00 AM GMT
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