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जिन्हें किसी ने नहीं अपनाया, उन्हें शिव ने स्थान दिया

जिन्हें किसी ने नहीं अपनाया, उन्हें शिव ने स्थान दिया
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ग्वालियर, न.सं.। मनोरंजनालय मैदान हजीरा में आयोजित राष्ट्रीय रामायण मेला एवं श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा व्यास संत श्री प्रेमभूषण महाराज ने शिव विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि शिवजी को कौन सजा पाया है। देवाधिदेव महादेव अंदर से सजे हुए हैं। उन्होंने तो काल को अलंकार बनाकर गले में धारण कर जगत को अपनाने का संदेश दिया है। कथा व्यास प्रेमभूषण महाराज ने शिव बारात प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि जिन्हें किसी ने नहीं अपनाया, उन्हें शिव ने स्थान दिया है। भोलेनाथ शिव की बारात में सब जगह से अछूत गण शामिल हुए। शिव समरसता के देवता हैं। जिसे कोई नहीं अपनाता है, उसे शिव अपना आशीर्वाद दे देते हैं। महादेव अपनी बारात में खुद पीछे चले, ताकि दूसरे देवी-देवता दिख सकें। जगत में शिव से बड़ा त्यागी, दानी और भोला कोई नहीं है। इसके बाद राम जन्म की कथा हुई, जिसमें श्रद्धालुओं ने भाव विभोर होकर नृत्य किया।

हाथी घोड़ा पालकी, जय रघुवरलाल की:- कथा में राम का जन्म होते ही हाथी घोड़ा पालकी, जय रघुवरलाल की... मंगल गीत से पूरा पंडाल गूंज उठा। श्रद्धालुओं के साथ मेला के संस्थापक अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया एवं संत समाज ने रामलला को पालने में झुलाया।

जीवन को निर्मल बनाती है राम कथा
राष्ट्रीय रामायण मेला में रविवार से मानस सम्मेलन शुरू हुआ। सर्व प्रथम संत विश्वभूषण दास महाराज ने अपने प्रवचनों में राम कथा की विभिन्न चौपाइयों का वर्णन करते हुए कहा कि राम कथा जीवन को निर्मल बनाती है। महामंडलेश्वर राजेश्वरानंद महाराज ने उपस्थित धर्म प्रेमियों को आशीर्वचन देते हुए कहा कि तुलसीदास जी की पावन कृति श्रीरामचरित मानस के रूप में जगत को भगवान शिव का प्रसाद मिला है। जगत का मंगल प्रयास करने से नहीं प्रसाद से होता है। यह जगत का मंगल करने वाली कथा है। उन्होंने कहा कि रामनाम का जो भक्त स्मरण करेगा, उसे मुक्ति के लिए कहीं नहीं जाना पड़ेगा।

मां कनकेश्वरी देवी ने मानस सम्मेलन में व्यासपीठ को नमन करते हुए कहा कि प्रभु कुछ विशेष कराना चाहते हैं, इसलिए यह दिव्य आयोजन हो रहा है। मयार्दा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम जगत में अनुकरणीय एवं अतुलनीय चरित्र वाले हैं। उन्होंने भारत देश की परंपरा बताते हुए कहा कि इस देश में चित्र की नहीं, हमेशा चरित्र की पूजा हुई है। मां कनकेश्वरी देवी ने रामनाम को जीवन बताते हुए कहा कि आपको सबसे पहले जीवन चाहिए, इसलिए रामनाम का भजन कीजिए। रामनाम का जीवन पाने के बाद ही आप कृष्ण चरित्र का आनंद और महादेव शिव शंकर की स्थिति और आनंद पा सकते हैं।

Updated : 19 Feb 2018 12:00 AM GMT
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