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सशक्त होते भारत के कदम



अपनी मजबूती की बात स्वयं की जाए तो स्वाभाविक रुप से उस पर संदेह हो सकता है, लेकिन जब यही बात कोई दूसरा करता है तो उस पर विश्वास करना ही पड़ता है। वर्तमान में भारत एक नई शक्ति के साथ उभरकर सामने आ रहा है, यह बात केन्द्र सरकार यानी भारत की ओर से नहीं, बल्कि चीन की ओर से कही गई है। चीनी विदेश मंत्रालय से संबद्ध थिंक टैंक चाइना इंस्टिट्यूट आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज के उपाध्यक्ष रोंग यिंग ने कहा है कि जब से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बने हैं, तब से भारत शक्ति संपन्न होने की दिशा में बढ़ता जा रहा है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण ही भारत की विदेश नीति में व्यापक और मजबूत परिवर्तन आया है। इसका आशय साफ है कि वर्तमान में विदेशों में भारत की साख ने बहुत बड़ी छलांग लगाई है। विश्व के कई देशों ने भारत को अब शक्तिशाली रुप में मान्यता देना प्रारंभ कर दिया है। चाहे वह विश्व की महाशक्ति अमेरिका हो, जापान हो, रुस हो या फिर दुश्मन देश चीन ही क्यों न हो। इन तीन सालों में सबने भारत की शक्ति को पहचाना है। यह सब वर्तमान केन्द्र सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्पों के कारण ही संभव हुआ है। हम यह भी जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब भी विदेश यात्रा पर जाते हैं तो उनका पूरा संबोधन भारत की समुच्चय शक्ति को प्राकट्य करता हुआ ही नजर आता है। जो इससे पहले कभी नहीं हुआ था। इससे पहले की सरकारों के समय भारत अंतिम छोर पर खड़ा हुआ दिखाई देता था। नरेन्द्र मोदी जब भी विदेश गए हैं, तब कई देशों ने अपने नियमों और परंपराओं में परिवर्तन करके दिल खोलकर स्वागत किया। उस समय ऐसा ही लगता था कि जैसे उनकी धरती पर विश्व का शासक आया है।

अमेरिका के मेडीसन स्क्वायर में मोदी के कार्यक्रम की गूंज अभी तक वातावरण में विद्यमान है। इसके साथ ही अन्य देशों में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कुछ न कुछ अलग ही करके आए हैं। मोदी ने विश्व में भारत को एक नई पहचान दिलाई है। वर्तमान में मोदी सरकार द्वारा भारत में जिस प्रकार के कार्यक्रमों को अंजाम दिया जा रहा है, वह भले ही खतरे से भरे हों, लेकिन इन्हीं खतरों के बीच भारत सामर्थ्यवान बनकर सामने आया है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खतरों का खिलाड़ी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं कही जाएगी। मोदी के अभी तक के कार्यकाल को देखते हुए यह आसानी से कहा जा सकता है मोदी खतरों से डरने वाले नहीं, बल्कि देश का भविष्य सुधारना चाहते हैं। इसी कारण आज चीन की ओर से भारत की बढ़ती हुई ताकत का गुणगान किया जा रहा है। भारत में राजनयिक रह चुके रोंग यिंग ने यह भी माना है कि चीन भारत के लिए बाधा नहीं, बल्कि एक अवसर है। चीन की ओर से रोंग द्वारा लिखा गया लेख यह प्रमाणित कर रहा है कि भारत के प्रति चीन का रवैया परिवर्तित हो रहा है।

उसने नकारात्मकता के स्थान पर सकारात्मक रुख अपना लिया है। चीन का यह बदला हुआ रुप निश्चित रुप से भारत की बढ़ती हुई ताकत का परिचायक है। इससे यह भी साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है कि अब चीन को यह लगने लगा है कि भारत से दुश्मनी का भाव रखते हुए चीन अपने प्रयासों में सफल नहीं हो सकता। पिछले तीन वर्ष में चीन का भारत विरोधी हर प्रयास असफल ही हुआ है, इसलिए अब उसने भारत के सुर में सुर मिलाते हुए भारत की ताकत को मान लिया है। चीन के रोंग ने यह भी स्वीकार किया है कि चीन की ओर से पैदा किए डोकलाम विवाद के कारण दोनों देशों के संबंध तनातनी वाले हो गए थे, जिसके कारण संबंधों में खतरा भी उत्पन्न हो गया था। चीन ने डोकलाम के मामले में भारत से हमेशा मुंह की खाई है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अब भारत और चीन को एक-दूसरे के विकास के लिए समर्थन की रणनीति पर आम सहमति बनानी चाहिए। चीन के इस बदले हुए रुख में सबसे बड़ा सच यह भी हो सकता है कि वर्तमान में भारतीय बाजार में चीनी उत्पादों के प्रति अविश्वसनीयता का वातावरण बन रहा है, जिसके परिणाम स्वरुप चीन के सामान की बिक्री में गिरावट भी देखी जा रही है। इसलिए यह भी संभावना हो सकती है कि चीन ऐसा करके अपने बाजार की संभावनाओं को फिर से जगाने का काम कर रहा हो। खैर... जो भी हो भारत को पहले की तरह ही चीन से हमेशा सावधान रहना होगा।

Updated : 2 Feb 2018 12:00 AM GMT
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