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कहीं हम अनजाने में मांसाहार तो नहीं ले रहे

व्यक्तिगत तौर पर मुझे अंडे को खाने के विचार के प्रति ही विद्रोह करने का मन होता है। यह मुर्गी के मासिक धर्म का रक्त है और यदि आप अंडे को तोड़े तथा इसे कुछ मिनट के लिए हवा में रखे तो इसकी गंध वैसी ही होगी जैसी सैनीटरी टॉवल से आती है। मैं अपने दैनिक भोजन में कोलेस्ट्रोल क्यों शामिल करूं? परंतु अंडों का उपयोग कई सारी चीजों में किया जाता है। यदि आप उन्हें सीधा न भी खाते हों, आप उन्हें किसी न किसी रूप में खा रहे होंगे। अंडों के छिलकों का चूरा बनाया जाता है और उसका उपयोग ब्रेड तथा कन्फेक्शनरी, फलों के पेय, पटाखों, मसालों में मजबूती हेतु किया जाता है। यदि आपको किसी वस्तु या ब्रेड पर चमक दिखे तो जान लीजिए कि यह अंडा है। अंडे की मेम्ब्रेन के प्रोटीन का उपयोग कई सौन्दर्य प्रसाधनों में साफ्टनर के तौर पर एक अवयव के रूप में किया जाता है। अंडे की जर्दी का उपयोग शैम्पू तथा कंडीशनरों और कभी-कभी साबुन में भी किया जाता है। कोलेस्ट्रोल, लेसीथिन और अंडों के कुछ फैटी एसिड का उपयोग रिवाइटलाइजर, मेक-अप फाउन्डेशन तथा यहां तक कि लिपस्टिक जैसे त्वचा देखरेख उत्पादों में किया जाता है।

लुई-डेजीरे ब्लेनक्वार्ट-एवरार्ड ने 19वीं सदी में फोटोग्राफिक प्रिंटिंग हेतु 1850 में एलबुमिन का उपयोग करते हुए एक प्रक्रिया विकसित की थी। कागज को एलबुमिन तथा नमक के मिश्रण पर रखा गया था। जब यह सूखा तो चमकीली परत वाला कागज बन गया। यह इतना लोकप्रिय हुआ कि कागज के वाणिज्यिक उत्पादकों ने अपने स्थान पर ही चिकन पालने प्रारंभ कर दिए!
पेंटरों द्वारा अंडों का उपयोग पिगमेंट को लगाने के लिए बाइंडर के रूप में किया जाता है। पिंगमेंट रंग का उत्पादन प्रकृति में पाए जाने वाली सामग्रियों से किया जाता है - लैपीस लजूली से लेकर स्केल कीड़ों के छोटे शरीरों को अंडों के टेम्पेरे के उत्पादन के लिए कुचला और अंडे की जर्दी के साथ मिलाया जाता है। अंडे के एलबुमेन का उपयोग अभी तक कलाकारों द्वारा पिगमेंट हेतु बाइंडर के रूप में वाटरप्रूफ ग्लू तथा वार्निश के रूप में एक अवयव के तौर पर किया जाता है। अंडे के सफेद हिस्से में पाया जाने वाला एक एन्जाइम लाइसोजाइम का उपयोग कुछ यूरोपियाई प्रकार के पके हुए पनीरों में किया जाता है। लाइसोजाइम का उपयोग दवा उत्पादों में एक एंटीमाइक्रोबियल एजेंट के रूप में किया जाता है।

अंडों में पाए जाने वाले वसा वाली बूंद लिपोसोम्स का उपयोग विभिन्न दवाओं में एक नियंत्रित डिलीवरी तंत्र के रूप में किया जाता है। अंडे की जर्दी के एक सरल प्रोटीन इम्यूनोग्लोबुलिन जर्दी (आईजीवाई) का उपयोग भोजन उत्पादों में एक एंटी-मानव रोटावाइरस (एचआरवी) के रूप में किया जाता है।
जुड़ी हुई टिशु कोशिकाओं को बनाने हेतु और जापान में इनका उपयोग सौन्दर्य प्रसाधनों में किया जा रहा है।

अंडे के सफेद हिस्से से निकलने वाला एक अन्य प्रोटीन ओवोट्रान्सफेरिन अथवा कोनालब्यूमिन है जिसका उपयोग पेय जल से लौह तत्व को हटाने के लिए किया जाता है। ओवालबूमित अंडे के सफेद हिस्से में प्रभुत्व में पाया जाने वाला प्रोटीन है और इसका उपयोग नैदानिक उद्योग में किया जाता है।
40 से अधिक वर्षों से ऊर्वर अंडों का उपयोग वैक्सीन बनाने के लिए इन्फ्लुएन्जा वाइरस हेतु एक कल्चर मीडियम के रूप में किया जाता है। इन्फ्लुएन्जा वाइरस को विकसित हो रहे भ्रूण में डाला जाता है। तीन दिनों तक यह अंडों में बढ़ता रहता है। अंडे को फिर तोड़ा जाता है, द्रव्य को निकाला जाता है तथा वाइरस का उपयोग वैक्सीन के रूप में किया जाता है। अंडे की जर्दी को प्रयोगशालाओं में प्रजनन किए गए सूक्ष्मजीवों को बढ़ाने के लिए अगार कल्चर में मिलाया जाता है। अंडे के सफेद हिस्से का प्रयोग भोजन, रसायन तथा दवा उद्योग में अवयवों हेतु खाने योग्य पैकिंग, फिल्मों के निर्माण के लिए किया जाता है।

भोजन में अंडे शाकाहारियों के लिए सबसे बड़ी समस्या है। पास्ता तथा ब्रेड, कन्फेक्शनरी इनमें से अधिकांश में अंडा होता है। वस्तुत: चमक रहित ब्रेड लेने का ही सुनिश्चय करें। स्पॉन्ज केक, मेरींगू या सोफल्स में अंडे का फेंटा गया सफेद हिस्सा होता है। अंडे फैले हुए भुरभुरे अवयवों को एक साथ मिला कर रखते हैं जिससे कि उनका उपयोग पैटीज, क्रोकेट, फ्रिटर तथा फिलिंग्स में किया जा सकता है। फेंटे गए अंडे का उपयोग पाई फिलिंग, कस्टर्ड सॉसेस तथा बेक किए गए कस्टर्ड में किया जाता है। मेयोनीज को अंडे की जर्दी से बनाया जाता है। पेस्ट्री में अंडे का सफेद हिस्सा नीचे की ओर उपयोग में लाया जाता है। अंडों को वाणिज्यिक आइसक्रीमों, बच्चों के भोजन, सॉस तथा डेयरी उत्पादों में डाला जाता है। अंडों के चूरे मांस उत्पादों (सॉसेज, हैमबर्गर, हैम) तथा साथ ही साथ शाकाहारी वस्तुओं (सोया सॉसेज, हैमबर्गर) में एक प्रमुख अवयव है।

अंडों तथा मांस से बचना एक बारूदी सुरंग जैसा हो गया है। गैरजिम्मेवार तथा संवेदनारहित तथाकथित वैज्ञानिक अपने उत्पाद के उपयोग के नए तरीकों को ढूंढने के लिए अंडा उद्योग के साथ मिल कर कार्य करते हैं। बड़े दावे किए जाते हंै परंतु होने वाली पीड़ा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उदाहरण के लिए, चिकन में अनुवांशिक रूप से बदलाव के लिए कार्य जारी है ताकि वे ह्यूमन सीरम एल्बूमिन (एचएसए) की बड़ी मात्रा वाले अंडों को पैदा कर सके, जो अस्पतालों में सलाइन ड्रिप में प्रयोग किया जाने वाला एक प्रोटीन है। वर्तमान में इस प्रोटीन को मानव के रक्त प्लास्मा से लिया जाता है। ट्रांसजेनिक चिकन का उपयोग करके, वाणिज्यिक कंपनियों द्वारा हैपेटाइटिस तथा कैंसर का प्रतिरोध करने वाली एंटीबॉडीज को उत्पन्न करने के लिए भी अनुसंधान किया जा रहा है।

अंडा उद्योग द्वारा स्वत: ही यह दावा किया जा रहा है कि अंडे के तत्व को मुर्गी का भोजन बदल कर बदला जा सकता है। उनका कहना यह है कि: अंडा देने वाली मुर्गी के भोजन में बदलाव से फैटी एसिड, वसा में घुलनशील विटामिन तथा आयोडीन, फ्लूओरीन, मैगनीज तथा बी विटामिन जैसे मिनरलों की प्रोफाइल को बदला जा सकता है। खिलाए जाने वाले अंडों में अलसी या सरसों अथवा मछली के तेल आधारित भोजन से उन्हें ओमेगा-3 तथा ओमेगा-6 फैटी एसिड से प्रचुर किया जा सकता है। अंडों में विटामिन ई तथा आयोडीन के स्तर बढ़ाए जा सकते हैं। कन्ज्यूगेटिड लिनोलिक एसिड (सीएलए) को मिलाने के लिए अनुसंधान किया जा रहा हैं।

यदि यह सत्य है तो भारत में मुर्गियों को खिलाया जाने वाला कचरा, जिसमें गत्ता, ग्रेनाइट का चूरा, अन्य मुर्गियों के कुचले हुए शरीर, फिप्रोनिल जैसे कीटनाशक कुछेक अवयव हैं - का भी अंडों को लगभग बेअसर तथा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनाने का प्रभाव होता होगा। हमारे एफएसएसएआई को बाजार में मौजूद अंडों की गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए।

Updated : 21 Feb 2018 12:00 AM GMT
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