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'राष्ट्रीयकृत बैंकों का जल्द हो निजीकरण'

राष्ट्रीयकृत बैंकों का जल्द हो निजीकरण
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नई दिल्ली। 11,400 करोड़ का पीएनबी घोटाला सामने आने के बाद अब तक का सबसे बड़ा बयान सामने आया है। गोदरेज ग्रुप के चेयरमैन आदि गोदरेज ने सुझाव दिया है कि बैंकों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए सरकारी बैंकों का निजीकरण कर दिया जाना चाहिए। इससे पहले फिक्की की ओर से भी इस तरह की सिफारिश की जा चुकी है।

गोदरेज ने कहा कि सरकार अगर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करना चाहती है तो उसे इन्हें निजी हाथों में सौंप दें। नई दिल्ली में आयोजित आईएएमए समिट में उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता है कि इतने सारे सरकारी बैंकों की हमें जरूरत है। मेरे हिसाब से हमारे देश में बहुत से सार्वजनिक क्षेत्र हैं और फिलहाल इनके निजीकरण की जरूरत है। बेहतर बात यह है कि सरकार अब एयर इंडिया का निजीकरण करने जा रही है। सरकारी बैंकों का निजीकरण करना अच्छा फैसला होगा। मैंने कोई बड़ा घोटाला प्राइवेट बैंक में नहीं सुना है। वैसे तो कंपनियों में हमेशा कुछ न कुछ गलत होता रहा है लेकिन अगर बेहतर प्रबंधन हो तो प्राइवेट सेक्टर में ऐसा कम ही होता है।' भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने भी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुए बड़े घोटाले के बाद बैंक का निजीकरण करने पर जोर दिया है। बैंकों के निजीकरण की आवश्यकता को जायज बताते हुए संस्था ने कहा कि पिछले 11 वर्ष से बैंकों का पुनर्पूंजीकरण किया जा रहा है लेकिन उसका प्रभाव अभी तक सीमित ही रहा है। निजीकरण के लिए तर्क देते हुए उद्योग संगठन ने कहा कि भारत को सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए टिकाऊ व उच्च विकास की दरकार है जो एक मजबूत वित्तीय तंत्र के बैगर संभव नहीं है।
उद्योग संगठन के अध्यक्ष राशेष शाह ने कहा, 'बैंकों के खराब प्रदर्शन के कारण सरकारी खजाने पर पड़ने वाले दबाव को देखते हुए इनके निजीकरण पर विचार किया जाना चाहिए। इससे खजाने पर दबाव कम होगा और बचने वाले धन का इस्तेमाल विकास योजनाओं एवं सरकारी कार्यक्रमों में किया जा सकेगा।'

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हालत को सुधारने के लिए उनमें दी जा रही पूंजी पर सख्त निगरानी और अनुशासन की जरूरत है। यह केवल निजी क्षेत्र के सहयोग ही संभव हो सकता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यन ने यह बात कही। वह गुरुवार को मद्रास मैनेजमेंट एसोसिएशन के वार्षिक सम्मेलन, 2018 को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'भारत में बैंकिंग सेक्टर के विकास की राह में सबसे बड़ी बाधा दोहरी बैलेंस शीट है। मुझे लगता है कि इस समस्या के समाधान के लिए चार 'आर' की जरूरत है। रिकॉग्निशन यानी पहचान, रिजॉल्यूशन यानी समाधान, रीकैपिटलाइजेशन यानी पुनर्पूंजीकरण और रिफॉर्म यानी सुधार।'

Updated : 23 Feb 2018 12:00 AM GMT
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