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दादी व नानी बन चुकीं 1968 बैच की छात्राएं पहुंचीं सिंधिया कन्या विद्यालय

दादी व नानी बन चुकीं 1968 बैच की छात्राएं पहुंचीं सिंधिया कन्या विद्यालय
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13 छात्राओं ने मंच पर एक साथ दी घूमर नृत्य की प्रस्तुति

ग्वालियर, न.सं.। हम लोगों की कितनी भी उमर हो जाए, लेकिन बचपन से जुड़ी स्कूली यादें हम जीवन भर नहीं भूल सकते। सिंधिया कन्या विद्यालय ने हम लोगों का जीवन बनाया है। इसी के फलस्वरूप हम लोग आज समाज के लिए कुछ न कुछ कर पा रहे हैं। शुक्रवार को दादी व नानी बन चुकीं सिंधिया कन्या विद्यालय की छात्राएं 50 साल के लंबे समय के बाद एक बार फिर जब स्कूल परिसर में मिलीं तो भूली बिसरी यादें फिर से ताजा हो गर्इं। 1968 बैच की ये छात्राएं एल्युमनि मीट फॉर गोल्डन जुबली समारोह में शामिल होने आई हैं।

एल्युमिनी मीट के पहले दिन शुक्रवार शाम को इनके स्वागत में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। एसकेव्ही की छात्राओं ने हे गोविंद हे गोपाल... की भव्य प्रस्तुति दी। तत्पश्चात एक दर्जन छात्राओं ने कत्थक तथा भरतनाट्यम के प्यूजन को दर्शाया, जिसमें शिव को तांडव करते तथा पार्वती को श्रृंगारित रूप में दिखाया गया। वैस्टर्न कॉयर में 84 छात्राओं ने मिलकर फिनी क्युला और डांसिंग सूज जैसे गीतों की प्रस्तुति दी। स्कूल की 13 छात्राओं ने राजस्थानी घूमर नृत्य की प्रस्तुति दी। रात्रि में उक्त छात्राओं को रात्रि भोज के लिए ऊषा किरण होटल में ले जाया गया। शनिवार को पौधारोपण, श्लोक, प्रस्तुुति, शॉर्ट फिल्म तथा स्पेशल ऐसे बली का आयोजन होगा। इस अवसर पर स्कूल की प्राचार्य निशि मिश्रा, उप प्राचार्य नैना ढिल्लन, मयंक मधुकर, वैशाली श्रीवास्तव मौजूद उपस्थित थीं।

इनका कहना है

‘‘ जब स्कूल का लंच होता था तो हम लोग बाहर बगीचे में लगे अमरूद चुराते थे और जब पकड़े जाते थे तो डांट भी पड़ती थी। यहां तक कि हमारे घर तक शिकायत पहुंच जाती थी, लेकिन घर वालों ने कभी हमें इस बात को लेकर डांटा नहीं।’’

निहारिका अवस्थी

‘‘जब हम स्कूल में थे तो राजमाता भी यहां पर आती थीं और वह हमेशा भारतीय संस्कृति पर जोर देती थीं। हम यहां आकर बहुत खुश हैं। हमें अपना स्कूल सदा याद रहेगा।’’

डॉ मृदुला आनंद

Updated : 24 Feb 2018 12:00 AM GMT
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