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ऐसा मंदिर जहां चुटकी भर मिट्टी से दर्द होता है छूमंतर

ऐसा मंदिर जहां चुटकी भर मिट्टी से दर्द होता है छूमंतर
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उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक ऐसा प्राचीन मंदिर है जहां की चुटकी भर मिट्टी से शरीर के सभी तरह के दर्द से छुटकारा मिल जाता है। गठिया रोग के लिये तो इस पवित्र स्थान की मिट्टी रामबाण है जिसे लगाने पर इस रोग से निजात मिल जाता है। यह स्थान मां भुवनेश्वरी देवी के नाम से विख्यात है। हमीरपुर जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर कालपी रोड पर झलोखर गांव स्थित है। यह गांव कुरारा ब्लाक में आता है। इस गांव में मां भुवनेश्वरी देवी का मंदिर बना है जो सैकड़ों साल पुराना है। यह मंदिर पूरी तरह छत विहीन है। किसी जमाने में यह पवित्र स्थान रिहायशी बस्ती से दूर था मगर समय बीतने के साथ अब यह मंदिर घनी आबादी के बीच हो गया है। मंदिर के बगल में ही एक बड़ा सरोवर है जहां मां भुवनेश्वरी देवी के दर्शन करने से पहले श्रद्धालुओं को इसमें स्नान करना होता है। इसके बाद पीड़ित व्यक्ति को, मंदिर के पीछे पड़ी चुटकी भर मिट्टी लगानी होती है। मिट्टी लगाते ही शरीर से दर्द भाग जाता है। यह प्रक्रिया सिर्फ रविवार को ही की जा सकती है।

गांव के राष्ट्रपति पदक से सम्मानित रिटायर्ड शिक्षक सरजू प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि इस मंदिर का अतीत बड़ा ही अद्भुत है। मां भुवनेश्वरी देवी की मूर्ति नीम के पेड़ से निकली थी। उस जमाने में झलोखर और आसपास के कई ग्रामों से लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। मूर्ति के दर्शन के साथ ही श्रद्धालु यहां की मिट्टी से तिलक भी लगाना शुरू कर दिया था। जिन लोगों ने मिट्टी का तिलक माथे पर लगाया था तो उन्हें बड़ा ही आराम हुआ। बस यहीं से मां देवी का चमत्कार शुरू हो गया और यह चमत्कार सैकड़ों साल से लगातार आज भी हो रहा है।

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात व राजस्थान के कई जनपदों से लोग यहां हर रविवार को मंदिर में आते हैं और सरोवर में स्नान करने के बाद गठिया व अन्य दर्द से निजात पाने के लिये पूरे शरीर में मिट्टी लगाते हैं। यहां रविवार को श्रद्धालुओं का मेला भी लगता है। खास बात तो यह है कि इस मंदिर में कोई पुजारी स्थायी नहीं होता है। मंदिर की पूजा और देखरेख की जिम्मेदारी गांव के प्रजापति समाज के लोग ही अपने पास रखते हैं। इसे साल में चार भागों में बांटा गया है। बारी-बारी से चार मोहल्ले में रहने वाले प्रजापति बिरादरी के लोग मंदिर के पुजारी बनते हैं जो एक सप्ताह तक अपना दायित्व निभाते हैं।

मौजूदा में मां भुवनेश्वरी देवी के मंदिर में निर्भय दास प्रजापति पुजारी है। उन्होंने बताया कि इस स्थान की चुटकी भर मिट्टी गठिया रोग के लिये रामबाण है। गठिया बीमारी से पीड़ित लोगों को मिट्टी लगाने के बाद दौड़ते हुये जाते देखा गया है। सरोवर में स्नान करने से भी शरीर में हर प्रकार की बीमारी भी छूमंतर हो जाती है। समाजसेवी सतेन्द्र अग्रवाल ने शनिवार को बताया कि इस पवित्र स्थान में कई इलाकों से बड़ी संख्या में गठिया और बात रोग से पीड़ित लोग आते हैं जो कई दिनों तक डेरा डालकर मिट्टी लगाते हैं फिर ठीक होने पर चले जाते हैं। मां भुवनेश्वरी देवी को भुईया माता भी कहा जाता है। जहां लोग कंडे की आग में भौरियां (रोटी) बनाकर गुड़ के साथ खाने की परम्परा है। इस स्थान की मिट्टी के बारे में वैज्ञानिक डा.एसपी सोनकर का कहना है कि कई बार मिट्टी की जांच की गयी मगर आज तक वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके। वाकई इस पवित्र स्थान की मिट्टी में बहुत ही दम है तभी तो बात और गठिया रोग के पीड़ित व्यक्ति को मिट्टी लगाते ही आराम मिल जाता है।

छत विहीन मंदिर में दिन में भी होते हैं चमत्कार

गांव के बुजुर्ग सरजू प्रसाद त्रिपाठी व पुजारी निर्भय दास प्रजापति ने शनिवार को बताया कि मां भुवनेश्वरी देवी का मंदिर बड़ा ही अद्भुत और चमत्कारी है क्योंकि यह मंदिर पूरी तरह छत विहीन है। कई बार छत डालने के लिये मंदिर के अगल-बगल दीवारें खड़ी की गईं लेकिन छत डालने से पहले ही दीवारें ढह जाती हैं। कई बार लोग इस स्थान को भव्य बनाने के लिये कारीगर लगाये थे। मंदिर के ऊपर छत डालने के लिये जैसे ही दीवारें बनायी तो वह तुरंत ही ढह गईं। इस चमत्कार को देख लोग पीछे हट गये।

Updated : 3 Feb 2018 12:00 AM GMT
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