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कांग्रेस, कांग्रेस ही रहेगी

कांग्रेस, कांग्रेस ही रहेगी
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव के पहले 69 गणतंत्र निवास पर कांग्रेस ने एक बार फिर मनमोहन सिंह केप्रधानमंत्रित्व काल की संसाधनों पर अल्पसंख्यकों (मुस्लिम) का पहला अधिकार की उस घोषणा पर अमल करने के लिए कटिबद्ध हो गई है, जिसके कारण लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बराबर पराजय मिल रही है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अल्पसंख्यकों पर दंगा करने के मुकदमे वापिस लेने की घोषणा कर दिया जिसे पुलिस अधिकारियों और जनारोष के कारण अब संशोधित कर सभी निर्दोष लोगों के खिलाफ दायर मुकदमे वापिस लेने की बात कही गई है। प्रश्न यह है कि जो निर्दोष हैं उन्हें फंसाया ही क्यों गया। गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी की मंदिर-मंदिर परिक्रमा यहां तक कि पद्मावत फिल्म के विरोध में खड़े होकर कांग्रेस ने बहुमत अर्थात हिन्दुओं के साथ तादात्म दिखाकर अनुकूलता प्राप्त करने का प्रयोग किया था, वह मात्र छलावा है, यह कर्नाटक के मुख्यमंत्री की घोषणा से साबित हो गया है। कांग्रेस ने अपने सुलझे हुए नेता ए.के. एंटोनी के उस आंकलन का संज्ञान लेना भी छोड़ दिया है जिसमें उन्होंने पराजय का मुख्य कारण मुस्लिम तुष्टीकरण बताया था। एक ओर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की केंद्रीय और राज्यों की सरकार आम मुस्लिम नागरिकों के जीवन स्तर को समुचित बनाने के लिए बच्चों की शिक्षा और बड़ों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने की दिशा में काम कर रही है, ये दूसरी ओर कांग्रेस आतंकवादियों तक की रिहाई में जुट गई है। एक शताब्दी से चली आ रही इस अवधारणा पर वह कायम है कि समरसता के विरोधी मुल्ला मौलवी ही मुसलमानों के असली नेता हैं। उसने 1920 में खिलाफत आंदोलन का साथ देकर जिस तुष्टीकरण को अपनी नीति का आधार बना लिया था, उस पर मुस्लिम समुदाय का भयादोहन कर उन्हें जीवन की मुख्य धारा में अलग थलग कर रखा है अब उस समुदाय के आतंकवादियों की संख्या प्रदान कर अपने उस खोखलेपन को ही उजागर किया है जिसके कारण भारत कांग्रेस मुक्त होता जा रहा है। उसकी समझ में यह नहीं आ रहा है कि इस मुस्लिम तुष्टीकरण के कारण वह मुख्य धारा से कैसे दूर जाती संस्था बनती जा रही है। कांग्रेस से सर्वग्राही समग्रता की सोच की अब शायद ही किसी को भरोसा रह गया हो। गुजरात के निर्वाचन में जिस प्रकार मुस्लिम मतों को अपनी झोली में मानकर हिन्दू मतों को वर्गीय विभाजन को प्रोत्साहन देकर और मंदिर परिक्रमा से अपने को हिन्दू साबित कर कुछ सफलता प्राप्त किया है, संभवत: उसके उलट कर्नाटक में उसे हिन्दू मतों को अपनी झोली में मानकर मुस्लिम तुष्टीकरण का ऐसा खतरनाक कदम उठाया है। कर्नाटक के पूर्व उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार ने भी ऐसा ही कदम उठाया था, उसका परिणाम क्या हुआ? कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ने ही, उन लोगों को तरजीह दी है जो भारतीयता विरोधी हैं। मुसलमानों के लिए भी यह एक चुनौती है। उन्हें भी इस बात का उत्तर देना होगा कि क्या दंगाइयों या अन्य अपराधमूलक कृत्यों में संलिप्त लोगों के साथ है या प्रगति कर समरसता से सम्मान के साथ संस्थान बनाना चाहते हैं।
राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनने से पूर्व जनेऊधारी हिन्दू साबित करने का अभियान क्या केवल गुजरात के निर्वाचन के समय का मुखौटा भर था? नरेंद्र मोदी की सरकार ने साम्प्रदायिक और वर्गीय भेदभाव के बिना अर्थिक और सामाजिक अवस्था को संज्ञान में लेकर सबका साथ और सबका विकास की दिशा में काम करके संपूर्ण समाज में विशेषकर मुसलमानों में रूढ़िवादी घुटन से बाहर निकालने और बराबरी तथा स्वाभिमान के साथ खड़े होने की जागृति पैदा किया है, वह भारत विरोधियों को साल रहा है। पाकिस्तान निरंतर हमलावर बना है। आतंकी भेज रहा है। जहां जहां भी मुस्लिम समुदाय की संख्या बहुलता है, वहां जेहादी आतंकियों की गतिविधियां तेज हो रही है। उनके प्रयासों को नि:प्रभावी करने के लिए एक ओर सरकार अथक प्रयास कर रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल चाहे तीन तलाक पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार कानून बनाने की बात हो या आर्थिक सुधार की दिशा में देश को ले जाना हो, अथवा विदेशों से सम्बन्ध सुधारने बढ़ाने के लिए शपथग्रहण से लेकर ईसाई गणतंत्र दिवस पर दक्षेस देशों के राष्ट्राध्यक्षों को एक साथ मुख्य अतिथि बनाने का, सभी में बाधक बनने या उसका माखौल बनाकर ही मूल्यांकन किया है, करते जा रहे हैं। कांग्रेस जो इस आदत को छोड़ने का संकेत गुजरात विधानसभा चुनाव में दे रही थी, कर्नाटक का चुनाव नजदीक आने पर फिर से पुरानी बयार चल पड़ी है। कर्नाटक की एक पत्रकार मानी जाने वाली गौर लंकेश हैं। हत्या होने के घंटे भर के भीतर ही राहुल गांधी ने दक्षिणपंथियों का हाथ होने की बात कहकर जो अफवाह फैलायी थी, वह सबूत के अभाव में जब तिरोहित हो चुकी है, तो एक बार फिर उसे हवा देने का काम सिद्धारमैया ने यह कहकर दे दिया है कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनकी हत्या के पीछे हैं। दशकों तक देश की जनता को इस धोखेबाजी के नारों से भ्रमित कर जिन लोगों ने लूट भ्रष्टाचार, परिवार पोषण और समाज विखंडन से भयादोहन कर सत्ता पर कब्जा बनाये रखा था अब उसकी पूरी तरह पोल खुल चुकी है। लेकिन उन तत्वों की हरकतों में कमी नहीं आई है। एक न्यायाधीश की मृत्यु को संदिग्ध बनाकर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में विभाजन का सार्वजनिक स्वस्थ इस अभियान की असफलता की बौखलाहट का ही उदाहरण है। एक अच्छी बात यह है कि उनके इन प्रयासों का असर अब उसी प्रकार हो रहा है जैसा भेड़िया आया भेड़िया आया बगैर कर गांव वालों को दौड़ाते बालक का उस समय हुआ जब भेड़िया सचमुच आ गया।
भारत के एक पूर्व निर्वाचन आयुक्त कुरैशी ने पिछले दिनों कहा है कि भारत इसलिए सेक्युलर है क्योंकि यहां हिन्दू बहुमत में है। लेकिन हमारे देश की राजनीति की प्राथमिकता हिन्दू हितों की अनदेखी कर उन तत्वों को देती रही है जो आज इस्लाम के नाम पर जेहादी बनकर हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं, मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं। इनका साथ रूढ़िवादी मुसलमान भी दे रहे हैं। जो मुसलमान इनके विरूद्ध खड़ा हो रहा है उसे किसी का दलाल बताकर समाज में नाकारा बनाने की साजिश हो रही है जैसे तीन तलाक के विरोध में खड़ी मुस्लिम महिलाओं के साथ किया जा रहा है। सबूत सहित पकड़कर अदालत में खड़े कर दिए गए ऐसे लोगों को दोषमुक्त कर छोड़ देने का परिणाम उन सुरक्षा संस्थाओं को कुंठित कर रहा है जो अपनी जान जोखिम में डालकर उनको पकड़ते हैं। कांग्रेस इनको संरक्षण देने के लिए भगवा आतंक संघ भाजपा को जबरदस्ती घसीट रही है। उसके इन प्रयासों की पोल खुल चुकी है यह संपूर्ण मीडिया जगत के समीक्षाओं से स्पष्ट है। फिर भी कांग्रेस को यथार्थ समझ में क्यों नहीं आ रहा है। सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर किसी विचारक ने कहा था, जो संस्था एक विदेशी मूल के व्यक्ति ने स्थापित किया है उसका विसर्जन एक विदेशी मूल के व्यक्ति द्वारा ही होगा। उनकी भविष्यवाणी यथार्थ साबित हुई है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतिपय टीवी चैनल के साक्षात्कार में कहा था उनके कांग्रेस मुक्त भारत के नारे का आशय था, उनके शासनकाल में भयादोहन, वर्गीय जातीय विभाजन, भ्रष्टाचार, कुशासन, कुनबापरस्ती आदि जो रोग फैला उससे मुक्ति। कांग्रेस को स्वयं भी इन रोगों से मुक्त होने का प्रयास करना चाहिए। ऐसी इच्छा उन्होंने यह कहकर कर दिया कि कांग्रेस को स्वयं कांग्रेसमुक्त होना चाहिए। लेकिन राहुल गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस में वही रोग ग्रस्तता बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री की इच्छा के मुताबिक राहुल गांधी कांग्रेस को कांग्रेस मुक्त नहीं कर सकते लेकिन जिस रास्ते पर कांग्रेस बढ़ रही है जनता अवश्य ही देश को कांग्रेस मुक्त कर देगी।

Updated : 3 Feb 2018 12:00 AM GMT
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