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बिलौआ खनन क्षेत्र में करोड़ों की भूमि शासकीय घोषित

बिलौआ खनन क्षेत्र में करोड़ों की भूमि शासकीय घोषित
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ग्वालियर, न.सं.। 43 साल पहले पटवारी से सांठगांठ कर बिलौआ खनन क्षेत्र में स्थित सर्वे क्रमांक 3293 की रकवा 4.807 हेक्टेयर बेशकीमती शासकीय भूमि को शासकीय अभिलेखों में निजी दर्ज कर करा लिया गया था। इस शासकीय भूमि को फर्जी तरीके से कब्जाने एवं इस पर अवैध रूप से उत्खनन किए जाने को लेकर श्रीमती पूनम सिंह पत्नी बी.पी.सिंह राजावत द्वारा दायर याचिका के आदेश के परिपालन में जिलाधीश राहुल जैन द्वारा कराई गई जांच में सामने आया कि इस शासकीय भूमि को फर्जी तरीके से निजी दर्ज कराया गया। इस तरह जिलाधीश न्यायालय द्वारा बुधवार 27 फरवरी को आदेश जारी कर इस भूमि को अभिलेखों में शासकीय दर्ज करने का आदेश पारित किया गया।

उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर में दायर रिट पिटीशन क्रमांक 122/2017 में पारित आदेश दिनांक 9 जनवरी 2017 के निर्देशों के परिपालन में जिलाधीश राहुल जैन ने बिलौआ की विवादित भूमि सर्वे क्र. 3717 का सीमांकन एवं पट्टे से प्राप्त भूमि के संबंधित पक्षकारों को सुनवाई का अवसर प्रदान किया। जिलाधीश के आदेश पर नायब तहसीलदार वृत्त बिलौआ तहसील डबरा द्वारा प्रकरण दर्ज कर पक्षकारों की सुनवाई की गई। कलेक्टर न्यायालय के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि ग्राम बिलौआ के अंतर्गत सर्वे क्रमांक 3293 का कोई विधिक पट्टा जारी नहीं हुआ है और उसका भूमि स्वामी हक भी वैधानिक नहीं है। इसलिए सर्वे क्र.-3293 में वर्णित जमीन एवं उसके विनिमय से प्राप्त भूमि सर्वे क्र.-3717 पर किए गए समस्त पश्चातवर्ती अंतरण शून्यवत घोषित किए जाते हैं। ग्राम बिलौआ के सर्वे नम्बर-3293 की 4.807 हैक्टेयर जमीन की नोहियत पहाड़ जंगलात के विनिमय से प्राप्त ग्राम बिलौआ की भूमि सर्वे क्र.-3717 रकबा 4.807 हैक्टेयर पर वर्तमान राजस्व अभिलेख में अंकित भूमि स्वामियों की प्रविष्टी को विलोपित किया जाता है। साथ ही गत 25 मार्च 1988 को पारित किए गए आदेश के पूर्व की स्थिति कायम करते हुए पुन: शासकीय मद में यह जमीन दर्ज करने का आदेश दिया जाता है। संबंधित नायब तहसीलदार को शासकीय अभिलेखों में इस आदेश का अमल कर प्रतिवेदन देने का आदेश कलेक्टर न्यायालय ने दिया है। साथ ही वर्ष 1974-75 में ग्राम बिलौआ में पदस्थ तत्कालीन पटवारी के विरुद्ध राजस्व अभिलेख में फर्जी प्रविष्ट कर शासकीय भूमि को खुर्द-बुर्द करने के आरोप में वैधानिक कार्रवाई करने का आदेश भी दिया गया है।

समर्पित डकैत को आवंटित थी भूमि!

जिलाधीश राहुल जैन के न्यायालय द्वारा अभिलेखों में शासकीय दर्ज कराई गई बिलौआ की सर्वे क्र. 3717 को लेकर चर्चाएं हैं कि करीब 45 वर्ष पूर्व में यह भूमि पर तत्कालीन प्रदेश सरकार ने एक आत्मसमर्पित डकैत को पट्टा आवंटित किया था। चूंकि आत्मसमर्पित डकैत फिर से बंदूक थाम चुका था, इस कारण यह भूमि फिर से शासकीय घोषित हो गई थी। लेकिन बाद में इस भूमि पर स्थानीय लोगों ने कब्जा कर लिया था।

शिकायत पर नहीं हुई कार्रवाई तो ली न्यायालय की शरण

बिलौआ की सर्वे क्र. 3717 की भूमि को फर्जी तरीके से अभिलेखों में निजी दर्ज किए जाने एवं अवैध उत्खनन की शिकायत श्रीमती पूनम सिंह पत्नी बी.पी.सिंह राजावत निवासी मिलेनियम प्लाजा, विश्वविद्यालय रोड द्वारा अधिकारियों से शिकायत किए जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश जिला प्रशासन को दिए थे। इस पर जिलाधीश राहुल जैन ने नायब तलसीलदार से जांच कराई, तो दस्तावेज खुलते ही फर्जीवाड़े की परतें उखड़ती गर्इं।

उत्खनन के लालच में फर्जी पट्टा, फर्जी विनिमय

ग्राम बिलौआ की शासकीय भूमि सर्वे क्र. 3293 रकवा 4.807 हेक्टेयर नाईयत पहाड़ जंगलात को शासकीय अभिलेखों में वर्ष 1974-75 में बिना किसी न्यायालयीन प्रकरण व सक्षम अधिकारी द्वारा पारित आदेश के होतम सिंह पुत्र रघुवीर मिर्धा निवासी लधेरा की शासकीय पट्टेधारी के रूप में फर्जी प्रविष्टि अंकित की गई। होतम सिंह की मृत्यु के बाद इस भूमि का नामांतरण 29.07.1985 को होतम के वरिसों रामाधार सिंह, गोतम सिंह, रामेश्वर सिंह और भाई रामाधार सिंह के नाम दर्ज की गई। वर्ष 1985 में ही 22.08.1985 को नामांतरण पंजी पर भू-स्वामी स्वत्व प्रदान करने की प्रविष्टि अंकित की गई। जबकि इस दिनांक से 9 दिन पहले ही इस भूमि की रजिस्ट्री श्रीमती राधारानी पत्नी मोतीलाल चौरसिया के नाम कर दी गई। 1987-88 में तत्कालीन कलेक्टर के आदेश दिनांक 25.03.1988 के आधार पर फर्जी पट्टे से प्राप्त शासकीय भूमि सर्वे क्र. 3293 रकवा 4.807 हे. नोईयत पहाड़ जंगलात का विनियम ग्राम बिलौआ की शासकीय भूमि सर्वे क्र. 3717 नोईयत पहाड़ के रकवा 4.807 से किए जाने की प्रविष्टि अंकित की गई।

Updated : 1 March 2018 12:00 AM GMT
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