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संगीत से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है: संत कृपाल सिंह

संगीत से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है: संत कृपाल सिंह
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तबला वादक उस्ताद अकरम खां ने विद्यार्थियों को दिया प्रशिक्षण, संगीत विवि में संगीत सभा आयोजित
ग्वालियर|
संगीत और आध्यात्म का बेहद ही घनिष्ठ संबंध है। हमारे शरीर के अंदर मूलाधार और आज्ञाचक्र जैसे कई केन्द्र हैं। जब नाभि से कोई नाम उठता है तो वह जाकर हमारी कुण्डली से टकराता है तो हमारी कुण्डली जाग्रत हो जाती है। इसी प्रकार शरीर में व्याप्त संगीत के माध्यम से भी कुण्डली की शक्ति जाग्रत हो जाती है। इसका तातपर्य यह है कि कुण्डली में भी संगीत विद्यमान है। यह बात शुक्रवार को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय तथा संस्कृति संचालनालय म.प्र. शासन भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगीत सभा में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित संत कृपाल सिंह महाराज ने कही।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में दैनिक स्वदेश के समूह संपादक अतुल तारे उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संगीत विवि की कुलपति प्रो. लवली शर्मा ने की। इस मौके पर संत कृपाल सिंह महाराज ने कहा कि जिस प्रकार से बाहरी संगीत होता है, उसी प्रकार से आंतरिक संगीत भी विद्यमान होता है। मीरा ने भी ईश्वर की प्राप्ति संगीत के माध्यम से की थी। अगर हम भी ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाएं तो अवश्य ही हम पर उसकी कृपा हो सकती है। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथ्यिों द्वारा द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वदेश के समूह सम्पादक एवं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अतुल तारे ने कहा कि जिन पर ईश्वर की कृपा होती है, वह संगीत के करीब होते हैं, यह एक अद्भुत सत्य है और हम सब इससे परिचित भी हैं। यह ईश्वर का आपको एक वरदान है कि आप संगीत के करीब होकर आध्यात्म की साधना कर रहे हैं क्योंकि ईश्वर का साक्षात्कार का सबसे सरल व सहज उपलब्ध माध्यम अगर कोई है तो वह संगीत की साधना है। श्री तारे ने कहा कि आज जीवन में जितनी भी उलझनों का हम सामना करते हैं तो उसमें निश्चित रूप से संगीत ही वह विधा है, जो हमारे जीवन को सरल और सुगम बना सकती है। कार्यक्रम का संचालन मनीष करवड़े एवं श्रीमती पारुल दीक्षित ने किया। इस अवसर पर प्रो. रंजना टोणपे, डॉ. विनोद कटारे, डॉ. संजय सिंह, डॉ. मुकेश सक्सेना, अनंत मसूरकर, डॉ. अरुण धर्माधिकारी सहित संगीत विश्वविद्यालय के समस्त विभागों के प्रभारी, संगतकार, शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

विद्यार्थियों को दिया वादन पद्धति का प्रशिक्षण
तबला कार्यशाला में अकरम खां ने तबला विषय के विद्यार्थियों को तबला वादन का प्रशिक्षण दिया, जिसमें उन्होंने बोलों के निकास, बोलों की शुद्धता एवं तैयारी के साथ वादन पद्धति का प्रशिक्षण दिया। अजराडा घराने के प्रमुख बोल समुदायों के बारे में भी उन्होंने विद्यार्थियों को जानकारी दी।

तबले पर दी अजराडा घराने की प्रस्तुति
संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में आयोजित संगीत सभा में अजराडा घराने के तबला वादक उस्ताद अकरम खां ने एकल तबला वादन की प्रस्तुति देकर सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने तीनताल में पेशकार के बाद अजराडा घराने के कायदे प्रस्तुत किए। अकरम खां ने अजराडा घराने के विशिष्ट कायदे ‘धात्रक धिकिट घेनधातिगेन धात्रक धिकिट घेनतिनगिन एवं तकधिन धागेतिरकिट धागेत्रक धिनगिन धागेतिट धागेत्रक धिनगिन’ प्रस्तुत किए। उन्होंने विलंबित लय के पश्चात मध्य लय में अनागत टुकड़े, मुखड़े परन, चक्रदार आदि बजाया। उनके साथ लहरा संगति अब्दुल हमीद खान ने की।

Updated : 17 March 2018 12:00 AM GMT
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