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अब चिकित्सा क्षेत्र में भी शुरू होगी पीएचडी

अब चिकित्सा क्षेत्र में भी शुरू होगी पीएचडी
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चिकित्सा क्षेत्र में शोध कार्यां को बढ़ावा देने आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने की पहल
ग्वालियर| गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय सहित प्रदेश भर के चिकित्सा महाविद्यालयों में अध्ययनरत चिकित्सा छात्रों को पीएचडी करने के लिए अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा। मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर ने चिकित्सा क्षेत्र में शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए पीएचडी कोर्स शुरू करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय सहित प्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को एक पत्र भेजा है, जिसमें आयुर्विज्ञान विवि प्रशासन ने कहा है कि जो चिकित्सा महाविद्यालय पीएचडी कोर्स शुरू करना चाहते है, वे आयुर्विज्ञान विवि को आवेदन कर सकते हैं। आवेदन देने वाले चिकित्सा महाविद्यालयों को इस कोर्स के लिए पूरी पड़ताल के बाद आयुर्विज्ञान विवि अनुमति देगा। यह पहली बार होगा, जब मेडीकल की हर विधा के चिकित्सा छात्र एवं चिकित्सक पीएचडी की उपाधि को हासिल कर सकेंगे।

दरअसल गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय सहित प्रदेश भर के चिकित्सा महाविद्यालयों के चिकित्सकों एवं चिकित्सा छात्रों को पीएचडी करने के लिए बाहर जाना पड़ता था। आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर ने चिकित्सा महाविद्यालयों में पीएचडी कोर्स शुरू कराने का प्रस्ताव कार्यपरिषद सदस्य एवं विद्या परिषद की बैठक में रखा था, जहां से इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गई है। इसी के चलते आयुर्विज्ञान विवि ने गत 16 मार्च को प्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को एक पत्र जारी करते हुए पीएचडी कोर्स शुरू कराने के लिए आवेदन करने के लिए कहा है, जिसकी अंतिम तिथि एक जुलाई शाम पांच बजे तक निर्धारित की गई है। चिकित्सा महाविद्यालयों के आवेदन मिलने के बाद आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय पीएचडी कोर्स के लिए संबंधित महाविद्यालय में इंस्पेक्शन के लिए एक टीम भेजेगी। यह टीम निर्धारित गाइड लाइन को देखने के बाद अपनी रिपोर्ट आयुर्विज्ञान विवि को सौंपेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही कोर्स कराने की अनुमति मिलेगी।

सख्त होगी गाइड लाइन, एमडी व एमसीएच ही कर सकेंगे आवेदन
आयुर्विज्ञान विवि द्वारा पीएचडी कराने के लिए बनाई गई गाइड लाइन काफी सख्त है। आयुर्विज्ञान विवि के कुलपति डॉ. आर.एस शर्मा ने बताया कि पीएचडी के लिए सिर्फ उन्हीं चिकित्सा महाविद्यालयों को मान्यता दी जाएगी, जिनके पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध होंगे। उन्होंने बताया कि पीएचडी सिर्फ वही चिकित्सक कर सकेंगे, जिनके पास एमडी व एमसीएच की डिग्री होगी। उन्होंने बताया कि चिकित्सा महाविद्यालय को मान्यता मिलने के बाद इंटेÑन्स परीक्षा, वायवा, पीएचडी थीसिस की जांच सहित अन्य प्रक्रिया आयुर्विज्ञान विवि ही करेगा।

अनुभवी बनेंगे गाइड
आयुर्विज्ञान विवि के कुलपति प्रो. शर्मा ने बताया कि पीएचडी कोर्स के लिए गाइड ऐसे प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर को बनाया जाएगा, जिनके पास कम से कम दस वर्ष का शिक्षण अनुभव हो।

इनका कहना है
‘‘अभी प्रदेश में चिकित्सा क्षेत्र में शोध कार्य बहुत कम हो रहे हैं। सिर्फ मरीजों को देखने का ही काम किया जा रहा था। इसी के चलते मध्यप्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों में पीएचडी कोर्स शुरू कराने का निर्णय लिया गया है। इस कोर्स से चिकित्सा छात्रों को ही नहीं बल्कि मरीजों को भी लाभ मिलेगा। महाविद्यालयों से आवेदन आने के बाद एक माह में पूरी प्रक्रिया कर मान्यता दे दी जाएगी।’’

डॉ. आर.एस शर्मा
कुलपति, आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर

Updated : 19 March 2018 12:00 AM GMT
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