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चोला छोड़ 500 वर्ष पुराने स्वरूप में लौटे मोटे गणेश जी

चोला छोड़ 500 वर्ष पुराने स्वरूप में लौटे मोटे गणेश जी
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दर्शनों के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़
ग्वालियर|
चावड़ी बाजार स्थित श्री सिद्धि विनायक मोटे गणेश जी मंदिर में मंगलवार को चमत्कार देखने को मिला। इस मंदिर में विराजमान गणेश जी ने अचानक अपना चोला छोड़ दिया। चोला छोड़ने के उपरांत मोटे गणेश जी अपने 500 वर्ष पुराने स्वरूप में लौट आए। मोटे गणेश जी द्वारा चोला छोड़े जाने की खबर मिलते ही शहर के कौने-कौने से मंदिर पर सैकड़ों की संख्या में भक्तों का पहुंचना शुरू हो गया।

यह चमत्कार देखने के लिए भक्तों की भीड़ देर रात तक लगी रही। भीड़ इतनी अधिक थी कि कई बार पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा। मोटे गणेश जी के बारे में कहा जाता है कि यह मूर्ति यहां अपने आप ही प्रकट हुई थी। चावड़ी बाजार में मोटे गणेश जी का मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है। मंदिर के पुजारी कमल किशोर भार्गव ने बताया कि हमारी कई पीढ़ियां इस मंदिर की पूजा-अर्चना करती आ रही हैं। कमल किशोर ने बताया कि मंगलवार को दोपहर 12.30 बजे अचानक गणेश जी का चोला चटकना शुरू हो गया और कुछ ही देर में गणेश जी ने पूरा का पूरा चोला छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि गणेश जी का यह स्वरूप पहली बार देखने को मिला है।

भक्तों की उमड़ी भीड़: मोटे गणेश जी द्वारा चोला छोड़ने की खबर जैसे ही शहर में फैली वैसे ही गणेश जी के भक्तों ने वहां पहुंचना शुरू कर दिया। देखते ही देखते सैकड़ों की संख्या में भक्त मंदिर पर इकट्ठा हो गए और गणेश जी की पूजा-अर्चना करने लगे। वहीं कई लोगों ने मोटे गणेश जी के फोटो भी खींचे। भीड़ इतनी अधिक थी कि पुलिस को कई बार वहां की व्यवस्था संभालना पड़ी। भक्तों की भीड़ देर रात तक लगी रही।

चोला छूटते ही दिखे शेषनाग
मोटे गणेश जी द्वारा चोला छोड़ने के उपरांत वह अपने पुराने स्वरूप पत्थर की मूर्ति के रूप में लौट आए हैं। चोला छोड़ने के उपरांत गणेश जी के सीधे हाथ में तुलसी की माला, उल्टे हाथ में गीता, मूर्ति से लिपटे शेषनाग और गणेश जी के दोनों दांत दिखने लगे हैं। पुजारी कमल किशोर भार्गव ने बताया कि गणेश जी द्वरा छोड़े गए चोले का विसर्जन विधि विधान से किया जाएगा।

इन्होंने कहा है
‘मोटे गणेश जी मंदिर के पीछे रियासत काल का एक दरवाजा है जो एक खजाने की तरफ जाता है। रियासत काल के दौरान खजाने की रखवाली करने वाले एक कर्मचारी ने कुछ परिस्थितियों के कारण खजाने के मुख्य द्वार पर ताला लगाकर इसकी चाबी को कहीं फेंक दिया एवं दरवाजे के बाहर मोटे गणेश जी की स्थापना की है। यह मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है। ’

पं. सतीश सोनी
ज्योतिषाचार्य

Updated : 21 March 2018 12:00 AM GMT
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