Home > Archived > यही हाल रहा तो कैसे स्मार्ट बनेगा ग्वालियर शहर, करोड़ों रुपए की बर्बादी

यही हाल रहा तो कैसे स्मार्ट बनेगा ग्वालियर शहर, करोड़ों रुपए की बर्बादी

यही हाल रहा तो कैसे स्मार्ट बनेगा ग्वालियर शहर, करोड़ों रुपए की बर्बादी
X

चुनावी साल, फिर भी शहर को स्मार्ट बनाने में ढील


ग्वालियर, न.सं.। शहरवासियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय नेताओं के अथक प्रयासों से ग्वालियर महानगर भले ही स्मार्ट सिटी योजना में शामिल हो गया है, लेकिन स्मार्ट सिटी के अधिकारियों की सुस्ती से शहर में स्मार्ट सिटी योजना के तहत होने वाले विकास कार्यों के नाम पर केवल कागजी कार्रवाई चल रही है।

स्मार्ट सिटी योजना के वर्तमान सीईओ पूर्व सीईओ द्वारा बनाई गई योजनाओं पर ही खाका खींचने में व्यस्त हैं। नगर निगम और स्मार्ट सिटी विभाग में आपसी तालमेल नहीं होने के कारण इस योजना के सभी विकास कार्य ठंडे पड़े हुए हैं। निगमायुक्त और स्मार्ट सिटी के सीईओ वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक को शहर को स्मार्ट बनाने के नाम पर सिर्फ सपने दिखा रहे हैं। चुनावी साल होने के बाद भी विकास कार्यों को लेकर अधिकारियों के कानों पर जू तक नहीं रेंग रही है। स्मार्ट सिटी की पूर्व सीईओ के समय जिस तेजी से स्मार्ट सिटी योजना के तहत होने वाले कार्यों की योजना तैयार की गई थी। वर्तमान सीईओ की सुस्ती के कारण शहर में स्मार्ट सिटी के तहत कोई भी विकास कार्य होता नजर नहीं आ रहा है।

जिलाधीश ने कहा था, मार्च तक पूरी करें टेंडर प्रक्रिया

विगत 27 फरवरी को कलेक्ट्रेट में आयोजित हुई स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के संचालक मंडल की बैठक में जिलाधीश राहुल जैन ने अधिकारियों से कहा था कि मार्च माह तक टेंडर प्रक्रिया पूरी कर लें, साथ ही जो काम पूरे होने वाले हैं, उनका लोकार्पण भी करें, लेकिन दोनों में से कुछ भी होता दिखाई नहीं दे रहा है। .

पैसा होने के बाद भी नहीं हो रहे काम

पहले तो अधिकारियों का यह रोना था कि जब पैसा आएगा, तब काम शुरू होंगे। स्मार्ट सिटी योजना में करीब 2300 करोड़ रुपए खर्च होना हैं। इसमें से लगभग 346 करोड़ रुपए बीते आठ माह से बैंकों में पड़े हैं। नगरीय विकास मंत्री मायासिंह की नाराजगी के बाद भी बीते दो सालों में लगभग छह करोड़ रुपए ही खर्च हो सके हैं। इसी तरह अमृत योजना के 750 करोड़ रुपए में से 93 करोड़ रुपए बीते छह माह पहले मिल चुके हैं, लेकिन इनमें से एक भी रुपया किसी भी विकास कार्य पर खर्च नहीं किया गया है।

निगमायुक्त व सीईओ के बीच नहीं बन पा रहा तालमेल

बताया गया है कि स्मार्ट सिटी योजना के तहत होने वाले कार्यों को लेकर जिलाधीश ने निगमायुक्त विनोद शर्मा से स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले कार्यों पर ध्यान देने को कहा था, लेकिन सूत्रों की मानें तो स्मार्ट सिटी के सीईओ और निगमायुक्त के बीच आपसी तालमेल नहीं बैठ पाने के कारण विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं।

पार्षदों को नहीं है स्मार्ट सिटी के बारे में जानकारी

शहर के पार्षदों को भी स्मार्ट सिटी योजना के तहत होने वाले कार्यों की जानकारी नहीं है, जिसके चलते नगर निगम परिषद की बैठक में पार्षदों ने कई बार स्मार्ट सिटी व अमृत योजना के मुद्दे उठाए, लेकिन अभी तक पार्षदों को यह तक नहीं पता है कि शहर में क्या नया होने वाला है।

यह योजना सिर्फ हवा में है

स्मार्ट सिटी योजना में लेडीज पार्क, नेहरू पार्क, शिवाजी पार्क, वन सिटी वन एप, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, कटोराताल सौंदर्यीकरण के काम शामिल हैं। इनमें से सिर्फ पार्कों में तो काम हो रहा है, लेकिन वह भी सुस्ती से चल रहा है। इसी तरह लगभग 59 करोड़ की लागत के जिन कार्यो की टेंडर प्रक्रिया प्रचलन में हैं, उनके टेंडर अभी तक नहीं हुए हैं। इन कार्यों में टाउन हॉल, स्मार्ट क्लासेस, अपग्रेडेड खेल मैदान, पब्लिक वाईक शेयरिंग, स्मार्ट साइनेज, स्मार्ट पार्किंग, स्मार्ट सिटी बस सेवा आदि शामिल हैं।

इनका कहना है

‘‘शुरूआती दौर में टेंडर की शर्तों के अनुसार काम करने वाले ठेकेदार नहीं मिल पा रहे थे। इस कारण काम में देरी र्हु है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला के बाद कई टेंडर आए हैं। शीघ्र ही काम शुरू होंगे।’’

राहुल जैन, जिलाधीश

Updated : 29 March 2018 12:00 AM GMT
Next Story
Top