फेसबुक की विश्वसनीयता पर संदेह
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सोशल मीडिया के रुप में प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराने वाली फेसबुक पर अब अविश्वसनीयता के बादल मंडराने लगे हैं। फेसबुक विवरण लीक करने को लेकर भारत में जिस तरह से राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया को लेकर हंगामा मचाया है, उससे फेसबुक की जमीनी सच्चाई से साक्षात्कार भी हुआ है। हम जानते हैं कि वर्तमान में फेसबुक के माध्यम से कई लोग आपस में जुड़े हैं, ऐसे में बहुत सारी जानकारी भी फेसबुक पर रहती है। इसके कारण फेसबुक के मित्रों की पूरी जानकारी भी उसके खाते में रहती है। फेसबुक से डेटा चोरी होने का प्रमाण उस समय मिला, जब फेसबुक के अधिकारियों ने ही डेटा चोरी की बात को स्वीकार कर लिया और भविष्य में ऐसा न करने का भी भरोसा दिलाया। फेसबुक आज संदेह के घेरे में है। न्यूजीलैंड के सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट डिलन मैके ने दावा किया है कि फेसबुक यूजर की मोबाइल कॉल्स, संदेश और जगह को भी हर समय ट्रैक करता रहता है। कैम्ब्रिज एनालिटिका द्वारा डेटा चोरी करने का मामला सामने आने के बाद मैके ने अपना फेसबुक प्रोफाइल हटाने का प्रयास किया। इस दौरान उन्हें एक सुझाव मिला, जिसमें लिखा था कि शायद आप फेसबुक से अपनी जानकारी की एक कॉपी डाउनलोड करना चाहेंगे। यह जानकारी डाउनलोड करने के बाद मैके हैरान हो गए।
मैके ने अक्टूबर 2016 से जुलाई 2017 के बीच की जानकारियां ट्विटर के जरिए साझा भी की है। मैके का दावा है कि फेसबुक ने उनके फोन की पूरी संपर्क सूची हासिल कर ली। फेसबुक ने मैके की हर कॉल का हिसाब-किताब रखा। उनके फोन की बाहर जाने वाली कॉल, आने वाली काल और प्राप्त नहीं होने वाली कॉल की जानकारी दर्ज की। साथ ही काल समय भी रिकॉर्ड की गई। हम यह भी जानते हैं कि सोशल मीडिया साइट्स अक्सर उपयोगकर्ता को अपना खाता समाप्त करने के बजाए निष्क्रिय करने के लिए भी प्रोत्साहित करती हैं। प्रोफाइल निष्क्रिय करने से सारा निजी डेटा वेबसाइट के सर्वर में ही बरकरार रहता है। न्यूजीलैंड के साइबर एक्सपर्ट का दावा है कि फेसबुक बरसों पुरानी जानकारी भी स्टोर करके रखता है। मैके के मुताबिक वे जहां भी गए, उसकी जानकारी फेसबुक के पास थी। उनके दोस्तों के जन्म दिन और फेसबुक यूज करने के बाद मोबाइल से किया गया पहला संदेश भी दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट के पास मौजूद मिला। डेटा चोरी के आरोपों के बाद फेसबुक चौतरफा आलोचनाओं में घिरा हुआ है। कैम्ब्रिज डाटा एनालिटिका नाम की ब्रिटिश कंपनी और फेसबुक की सांठगांठ के बाद कई लोग फेसबुक पर अपना खाता समाप्त कर रहे हैं। इसके लिए डिलीट फेसबुक नाम का अभियान भी चल रहा है। बढ़ते दबाव के बीच फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने माफी मांगते हुए ब्रिटिश अखबारों में विज्ञापन दिया।
इसमें कहा गया कि आपकी सूचनाओं की हिफाजत करना हमारी जिम्मेदारी है। अगर हम ऐसा न कर पाएं तो हम इसके काबिल नहीं हैं। जकरबर्ग ने माफीनामे में यह भी कहा कि भविष्य में इस तरह की डेटा चोरी नहीं होगी। लेकिन लोग अब इस पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। फेसबुक के सामने साख का संकट गहराता जा रहा है। पहले ये खबर आई कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को गलत ढंग से प्रभावित करने में सहायक बना। एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि फेसबुक भारत के राजनीतिक दल कांगे्रस को डेटा दे रहा है। हालांकि इसकी सत्यता क्या है, यह जांच का विषय है, लेकिन इस कारण फेसबुक की विश्वसनीयता पर संदेह के बादल मंडरा रहे हैं।