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हनुमान जयन्ती पर विशेष : दुख भंजन कष्ट हरेंगे

हनुमान जयन्ती पर विशेष : दुख भंजन कष्ट हरेंगे
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'रामा प्रति भक्ति, तुझी राम राखे अंतरी।
रामा साठी शक्ति, तुझी राम राम बोले वैखरी'


चै माह की पूर्णिमा के दिन महाकाल शिव के ग्यारहवें अवतार के रूप में महावीर हनुमान की जन्म जयंती पूरे देश में हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं। बजरंगबली अपने भक्तों की विपदा को हर कर उन्हें कष्ट मुक्त बनाते हैं। जीवन में आने वाली हर समस्या को चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक हो या आर्थिक हो। महावीर हनुमान को जो सच्चे हृदय से भजते हैं उनका पूर्ण कल्याण होता है। भगवान राम के परम भक्त ने माता अंजलि के उदर से जन्म लिया। एक कथा अनुसार सूर्य देव को फल समझकर खाने के उद्देश्य से बजरंगी ने जैसे ही मुंह खोला इंद्र ने वज्र प्रहार कर उनकी ठोड़ी टेढ़ी कर दी। वीर महावीर के रूप में अपने भक्तों के तारणहारा हनुमान भय व शोक से मुक्ति दिलाते हैं।

जो व्यक्ति नियमित भगवान हनुमान का पाठ करता है ,उसका मानसिक व शारीरिक स्तर औरों की तुलना मे बेहतर होता है। हनुमान जयंती बजरंगबली को पूजा अर्चना करने का अलौकिक पर्व है। ज्योतिष अनुसार जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह दूषित है या मंगल से पीड़ित है ,तो हनुमान जयंती के दिन यह उपाय कर ग्रह का शोधन संभव है। सर्वप्रथम हमारी सच्ची श्रद्धा हमारे हर कार्य को शुभारंभ देती है। पूर्ण समर्पण व विश्वास एक अद्वितीय मार्ग है लक्ष्य प्राप्ति का। हमारी ईश्वर पर पूर्ण श्रद्धा हमें हमारे हर कार्यों में विजय दिलाती है। इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें कर्म रहित रहना है। कर्म तो करना है किंतु ईश्वर को आगे रखते हुए, उनका हाथ पकड़कर चलना है। ईश्वर पर विश्वास एक शक्ति के रूप में हमें हमारे हर कार्यों में विजय दिलाती है।
अंजनी पुत्र हनुमान की जयंती पर हनुमान चालीसा ,बजरंग बाण व सुंदरकांड का पाठ करने से हमारे मस्तिष्क का शोधन होता है। बुरे विचार व नकारात्मक सोच से मुक्ति मिलती है। राम भक्त हनुमान की जीवनी को पढ़कर उसका पालन करना हर पूजा से श्रेष्ठ है। बिना समझे रटा-रटाया मंत्रोच्चारण निष्फल होता है। महावीर हनुमान को केसरिया चोला चढ़ाया जाता है। केसरिया रंग बौद्धिक उर्जा व शारीरिक बल प्रदान करता है। अवसाद से मुक्ति दिला कर तंत्रिका तंत्र को मजबूती व स्फूर्ति प्रदान करता है।

हनुमान जी को चमेली का इत्र अर्पण करते हैं। चमेली के तेल की गंध मनोभावों को स्थिरता देकर मन की भटकन को शांत करता है। जिससे एकाग्रता व कार्य क्षमता की बढ़ोतरी होती है। अनावश्यक विचार संप्रेषण व रोग-शोक को नष्ट करता है। साथ ही कई शारीरिक रोगों में भी लाभकारी है। जब हम यह इत्र महाबली हनुमान को अर्पण करते हैं तो जाने अनजाने में इसकी गंध हमारे असंतुलित हारमोंस का उपचार कर देती है। सरसों के तेल का दीपक जलाकर बजरंगबली का पाठ करने से शनि ग्रह का उपचार होता है। शुद्ध घी का दीपक जलाने से शुक्र ग्रह का शोधन होता है। अशांति, अग्नि कांड का भय ,अचल संपत्ति विवाद, लड़ाई-झगड़ा, रोग, रक्त विकार ,उच्च रक्तचाप आदि से मुक्ति मिलती है।

गुलाब के फूल की माला अर्पण करने से सहयोग व संतुलन की भावना विकसित होती है। जीवन में प्रेम, साहस व मैत्री भाव उत्पन्न होता है। अनार का प्रसाद चढ़ा कर वितरण करने से मंगल ग्रह की शुद्धि होती है। इस दिन गुड़ के दान का बहुत महत्व है। गुड़ का दान करने से मानसिक बल व वाणी संयमित होती है। क्रोध जैसे विकारों के त्याग का संकल्प लेते हुए गुण व तिल का दान करने से जीवन बाधा मुक्त हो जाता है। शांति व संयम की प्राप्ति होती है। केसरिया रंग की मिठाई व बूंदी का प्रसाद चढ़ा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों में वितरित करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। जो दान दे दिया वही हमारा है। सच्चे मन व श्रद्धा से की हुई प्रार्थना कभी विफल नहीं होती।


- दीप्ति जैन
आधुनिक वास्तु एस्ट्रो विशेषज्ञ

Updated : 31 March 2018 12:00 AM GMT
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