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एनपीएफ की धमकी का नगालैंड सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं

एनपीएफ की धमकी का नगालैंड सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं
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एनपीएफ नेता तथा नगालैंड के वर्तमान मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने कहा था कि भाजपा नगालैंड में एनपीएफ के साथ गठबंधन को तोड़ती है तो मणिपुर की सरकार गिरा देंगे

कोहिमा। नगालैंड विधानसभा चुनाव में भाजपा-एनडीपीपी गठबंधन की सरकार बनने के ऐन मौके पर एनपीएफ नेता तथा नगालैंड के वर्तमान मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने भाजपा के सामने शर्त रख दी कि अगर भाजपा नगालैंड में एनपीएफ के साथ गठबंधन को तोड़ती है तो इसका असर मणिपुर की भाजपा गठबंधन की सरकार की सेहत पर पड़ेगा।

उल्लेखनीय है कि मणिपुर की 60 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा गठबंधन की वर्तमान सरकार के पास कुल 32 विधायकों की संख्या है। जिनमें से चार विधायक एनपीएफ के हैं। ऐसे में अगर एनपीएफ मणिपुर की भाजपा गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लेती है तो मणिपुर सरकार संकट में आ जाएगी। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। कारण मणिपुर के एनपीएफ के चारों विधायक भाजपा के साथ रहने का भरोसा जता चुके हैं। सोमवार तक टीआर जेलियांग ने इसी आशा में नगालैंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया और भाजपा के नेताओं के साथ उनकी बातचीत जारी रही।

इस संदर्भ में सोमवार को भाजपा-एनडीपीपी गठबंधन के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार नेफ्यू रियो के साथ सरकार गठन के संदर्भ में बातचीत करने के बाद नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (नेडा) के संयोजक तथा असम के वित्त आदि मामलों के मंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने स्पष्ट कर दिया कि एनपीएफ के साथ भाजपा का नगालैंड में कोई गठबंधन नहीं है। इस संदर्भ में एनपीएफ को औपचारिक रूप से पत्र लिखकर बता दिया गया है कि उनका गठबंधन नगालैंड में अब भाजपा के साथ नहीं है। बुधवार को नेफ्यू रियो गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। माना जा रहा है कि मणिपुर के चारों एनपीएफ के विधायक जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं।

हिमंत विश्वशर्मा ने कहा कि नगालैंड में एनपीएफ के साथ भाजपा का गठबंधन नहीं होने का असर मणिपुर की सरकार की सेहत पर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जेलियांग भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में हैं और इस संदर्भ में शीघ्र ही कुछ हल निकाल लिया जाएगा। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि नगालैंड में भाजपा का एनपीएफ के साथ कोई गठबंधन नहीं है और राज्य के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ही बनेंगे।

उल्लेखनीय है कि रविवार को नगालैंड के राज्यपाल पीवी आचार्य ने बहुमत प्राप्त कर चुके भाजपा-एनडीपीपी गठबंधन के नेता नेफ्यू रियो को 7 मार्च को राज्य में सरकार गठन करने का न्योता दिया था। लेकिन, वर्तमान मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग के पास बहुमत नहीं होने के बावजूद यह कहकर इस्तीफा देने को तैयार नहीं हुए की उनकी पार्टी का गठबंधन अब तक भारतीय जनता पार्टी के साथ है और उनकी बातचीत भाजपा के नेताओं के साथ चल रही है। हालांकि वे सोमवार को भी दिल्ली नहीं गए, लेकिन सूत्रों ने बताया कि भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं के वे संपर्क में थे।

उल्लेखनीय है कि नगालैंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम में नाटकीय परिवर्तन होने लगा था। राज्य के सभी दलों ने नगा होहो स्वयंसेवी संगठनों के साथ मिलकर नगा समस्या के समाधान नहीं होने तक चुनाव के बहिष्कार करने की घोषणा की थी। लेकिन, भाजपा द्वारा चुनाव में शामिल होने की घोषणा करने के बाद बारी-बारी से सभी दल चुनाव में शामिल हो गए और आखिरकार चुनाव संपन्न हुआ। मतगणना भी हुई और एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन का सरकार बनना निश्चित हुआ लेकिन टीआर जेलियांग द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देने की घोषणा करने के बाद स्थिति कुछ जटिल हो गई।

सबकी निगाहें भाजपा के नेतृत्व पर टिकी रहीं कि वह इस संदर्भ में आखिर फैसले क्या लेती है, लेकिन डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने इस उहापोह की स्थिति से पर्दा हटाते हुए भाजपा का स्टैंड क्लीयर कर दिया। एनपीएफ ने भाजपा को मणिपुर में सरकार गिराने की धमकी देकर जबरन नगालैंड में गठबंधन बनाने की कोशिश की, लेकिन उसको सफलता हाथ नहीं लगी।

Updated : 6 March 2018 12:00 AM GMT
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