Home > Archived > कम उम्र में ज्यादा तजुबेर्दार हैं प्रधान

कम उम्र में ज्यादा तजुबेर्दार हैं प्रधान

कम उम्र में ज्यादा तजुबेर्दार हैं प्रधान
X


नई दिल्ली/विशेष प्रतिनिधि। केन्द्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का मप्र से बहुत पुराना नाता है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भाजयुमो राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में प्रधान ने राज्य में नई पीढ़ी के ढांचागत विकास में अहम भूमिका निभाई है। दीनदयाल शोध संस्थान के संस्थापक श्रद्धेय नानाजी देशमुख के कारण भी राज्य के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन से वह अभी तक जुड़े हुए हैं। उनके मप्र से राज्यसभा सदस्य बनने से गतिशील राज्य को और शक्ति मिलेगी।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से प्रधान का सामाजिक क्षेत्र का सफल शुरू हुआ। छात्रों के बीच संगठनात्मक कार्य करते हुए वह आगे बढ़े और विद्यार्थी परिषद में विभिन्न जिम्मेदारियों का बेहतर निर्वहन देख उन्हें संघ की तरफ से भाजपा में भेजने का फैसला लिया गया। शुरूआत भाजयुमो से हुई। राष्ट्रीय पदाधिकारी रहते उन्होंने विभिन्न राज्यों में मोर्चा को मजबूती देने का काम किया। उनकी इस कार्यशैली को देख भाजयुमो राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। यह जिम्मेदारी मिलने के बाद प्रधान संगठनात्मक कार्य में उसी तरह से रमे रहे। राज्य में नए युवाओं को जोड?े का काम किया। इस दौरान मप्र से भी उनका जुड़ाव बढ़ा। विद्यार्थी परिषद में काम करते हुए उन्हें राज्यों का मिजाज समझने का मौका मिला। प्रधान ने उन राज्यों में काम किया, जहां भाजपा का आधार काफी कमजोर रहा है। भाजयुमो से प्रधान को भाजपा की मुख्यधारा में लाकर नई जिम्मेदारी दी गई। उन्हें कई राज्यों का अलग-अलग समय पर प्रभार दिया गया। जिसमें प्रधान हर चुनौती पर खरे उतरे। उन्होंने उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनवाई। कर्नाटक में सत्ताधारी भाजपा की अंत:कलह खत्म करके सरकार बचाने का काम किया। बिहार प्रभारी के रूप में भी प्रधान के काम के चलते राज्य में भाजपा को मजबूती मिली। जद (यू)- भाजपा गठजोड़ में भी उनकी भूमिका रही है। बतौर झारखंड प्रभारी प्रधान की रणनीति ने भाजपा को सत्ता तक पहुंचाया। अक्सर कांग्रेस के बोलवाला वाले इस राज्य को कांग्रेस मुक्त करने में प्रधान की अहम भूमिका मानी जाती है। हाल के उत्तराखंड चुनाव में भी वह प्रभारी थे। लम्बें समय तक राज्य में काम करने के कारण उन्हें उस राज्य का मिजाज पता है, इसलिए मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलने पर उन्होंने जनता की जरूरतों को समझते हुए काम को आगे बढ़ाया। 2014 में केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद उन्हें पेट्रोलियम मंत्रालय (स्वतंत्र प्र•ाार) जैसी अहम जिम्मेदारी दी गई। पिछले तीन साल में प्रधान ने इस मंत्रालय को नया मुकाम दिया है। पहल और उज्जवला योजना के जरिए उन्होंने देश के उस वर्ग का सरकार के प्रति विश्वास हासिल किया, जो आजादी के सात दशक बाद •ाी काफी पीछे खड़ा था। पहल को जहां गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकार्ड में स्थान मिला, वहीं उज्जवला योजना ने प्रधान को श्रेष्ठ मंत्रियों की कतार पर लाकर खड़ा कर दिया।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल में प्रधान, प्रधानमंत्री मोदी की विश्वसनीय टोली के सदस्य माने जाते हैं। मोदी उनसे कई मुद्दों पर सीधी बात करते हैं। पड़ोसी देशों के साथ पेट्रोलियम पदार्थ को लेकर बनी साझेदारी की रणनीति में भी प्रधान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गैस पाइल लाइन के उलझे हुए मसले को सुलझा कर उन्होंने प्रशासनिक समझ को स्पष्ट किया है। उनके संगठनात्मक कार्य को देखते हुए सरकार के साथ संगठन की जिम्मेदारी भी उनके कंधों पर डाली गई है। प्रधान जहां मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट उज्जवला योजना से गरीब महिलाओं के जीवन में रोशनी लाने का काम कर रहे हैं, वहीं ओड़िशा और केरल राज्य में भाजपा को मजबूती देने का काम भी वह कर रहे हैं। समझा जाता है कि मोदी और शाह की तरफ से प्रधान को मिशन 2019 के तहत इन दोनों राज्यों का काम दिया गया है। उनके मप्र से राज्यसभा सदस्य बनने के कारण इस बात की संभावना बढ़ गई है कि गतिशील राज्य को प्रधान के आने से और गति मिलेगी।


Updated : 8 March 2018 12:00 AM GMT
Next Story
Top