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कोई सुने या न सुने... न्यायालय और मीडिया बुलंद आवाज में अपनी बात कहें

कोई सुने या न सुने... न्यायालय और मीडिया बुलंद आवाज में अपनी बात कहें
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सेवानिवृत्ति के बाद कोई सरकारी पद नहीं लेंगे : न्यायमूर्ति कुरियन


नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ का कहना है कि न्यायालय और मीडिया को अपनी बात हमेशा बुलंद आवाज में कहना चाहिए, फिर चाहे कोई सुने या न सुनें। हालांकि, आगे उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोकतंत्र की खातिर यह जरूरी है। इसी दौरान उन्होंने ये भी बताया कि वे अपने सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी सरकार द्वारा कोई भी दिया हुआ कार्य स्वीकार नहीं करेंगे। इससे पहले न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर ने भी सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी सरकारी काम या उनके दिए पद को स्वीकार करने से इनकार किया था। न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने दिल्ली में केरल मीडिया अकेडमी में छात्रों से बातचीत के दौरान ये बातें कहीं। छात्रों से बातचीत के दौरान उन्होंने लोकतंत्र के दो स्तंभों मीडिया और न्यायालय को लेकर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि इन दोनों स्तंभों को लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए चौकन्ना रहना होगा। उल्लेखनीय है कि 12 जनवरी को न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने पत्रकार वार्ता के जरिए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए थे। छात्रों ने जब इस पत्रकार वार्ता को लेकर सवाल किया गया तो न्यायमूर्ति कुरियन ने कहा कि वे लोग अपने लिए नहीं बल्कि संस्थागत मुद्दों को लेकर लड़ रहे हैं।

Updated : 11 April 2018 12:00 AM GMT
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