Home > Archived > पॉस्को एक्ट में बदलाव के अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी

पॉस्को एक्ट में बदलाव के अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी

पॉस्को एक्ट में बदलाव के अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी
X

नई दिल्ली| राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म पर फांसी की सजा को मंजूरी दी है। कल केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बच्चियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा का प्रावधान करने वाले ‘आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश 2018’ के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया था। इस अध्यादेश के जरिए चार कानूनों में संशोधन किये गये हैं। बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया। संबंधित अधिसूचना जारी होने के बाद इससे संशोधित कानूनों के प्रस्ताव लागू हो जाएगें। इस अध्यादेश को संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। अध्यादेश से बाल यौन शोषण संरक्षण अधिनियम (पोक्सो), भारतीय दंड संहिता, साक्ष्य अधिनियम, आपराधिक कानून प्रक्रिया संहिता में संशोधन किया गया है।

सूरत, उन्नाव और कठुआ में पिछले दिनों हुई दुष्­कर्म की घटना के बाद ऐसे आरोपियों को सख्­त सजा देने की मांग की गई। कानून में बदलाव के बाद 12 साल तक बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा होगी। पॉक्सो के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, दोषियों के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है और न्­यूनतम सात साल की जेल है। अध्यादेश के मुताबिक, नाबालिगों से दुष्कर्म के मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की व्यवस्था की जाएगी तथा फॉरेंसिक जांच के जरिए सबूतों को जुटाने की व्यवस्था को और मजबूत बनाया जाएगा। पूरे मामले की सुनवाई दो माह में करनी होगी तथा छह महीने के भीतर अपील का निपटारा करना होगा। पूरा मामला कुल 10 महीने में निपटाना अनिवार्य किया गया है।

अध्यादेश में 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों को न्यूनतम 20 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसे मामलों के आरोपियों को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। दुष्कर्म के अन्य मामलों में न्यूनतम सात साल के सश्रम कारावास को बढ़ाकर 10 वर्ष किया है जिसे अधिकतम आजीवन कारावास में बदला जा सकता है। इस मामले में जमानत की अपील पर फैसला देने से पहले अदालत सरकारी वकील तथा पीड़तिा के प्रतिनिधि को 15 दिन का नोटिस देगी। सरकारी वकील के नए पद सृजित होंगे तथा दुष्कर्म मामलों के लिए सभी थानों और अस्पतालों को विशेष फॉरेंसिक किट दी जाएंगी।

दुष्कर्म मामलों के लिए सभी राज्यों में विशेष फॉरेंसिक लैब बनेंगे। ये सभी कदम तीन महीने के भीतर उठाए जाएगें। अध्यादेश में यौन अपराधियों की निगरानी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर डेटाबेस बनाने का भी प्रावधान किया गया है। राष्ट्रीय अपराध नियंत्रण ब्यूरो (एनसीआरबी) को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यौन अपराधियों का डेटाबेस बनाने वाला भारत दुनियाभर में नौवां देश होगा। फिलहाल अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, त्रिनिडाड और टोबेगो में यौन अपराधियों का इस तरह का डेटाबेस रखा जाता है।

Updated : 22 April 2018 12:00 AM GMT
Next Story
Top