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नि:स्वार्थ भाव से समाज को देने का संस्कार सिखाता है संघ: वैद्यजी

नि:स्वार्थ भाव से समाज को देने का संस्कार सिखाता है संघ: वैद्यजी
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अधिवक्ता परिषद की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक का समापन


ग्वालियर, न.सं.। संघ समाज में निरपेक्ष भाव से काम करता है। संघ नि:स्वार्थ भाव से समाज को देने का संस्कार सिखाता है। संघ के पास सत्व की शक्ति है। इसी कारण संघ लगातार बढ़ रहा है।
यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य ने मंगलवार को लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शरीरिक शिक्षा संस्थान ग्वालियर में आयोजित अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी को समापन अवसर पर संबोधित करते हुए कही।
श्री वैद्य ने कहा कि संघ की शाखाओं पर भले ही महिलाएं दिखाई नहीं देतीं, लेकिन संघ परिवार और समाज को जोडऩे का काम करता है। पारिवारिक और सामाजिक जीवन में भारतीयता के भाव का दर्शन कराना संगठन का काम है।

श्री वैद्य ने कहा कि अंग्रेजों ने राजाओं के अखिल भारतीयता के भाव को तोड़ दिया था। उन्हें अलग-अलग अपने राज्यों तक सीमित कर दिया था। इसी व्यक्तिगत अहंकार, मोह के कारण उनके साम्राज्य और समृद्धि का पतन हुआ।
श्री वैद्य ने कहा कि अधिवक्ता परिषद के कार्यकर्ता भारतीयता पर विचार करें। संगठन में भारतीयता का महत्व है। भारत का एक जीवनदर्शन है, जो आध्यात्मिकता पर आधारित है। इस जीवनदर्शन को संगठन के माध्यम से समूह तक पहुंचाना है। जिसका प्रभाव समाज पर होगा। आभार प्रदर्शन राष्ट्रीय मंत्री मनोज द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम का समापन ‘राष्ट्रीय गीत’ के साथ हुआ। कार्यक्रम में अभा अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनायक दीक्षित, राष्ट्रीय संगठन मंत्री जयदीप रॉय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीनिवास मूर्ति, किशोर भाई कोटक, श्रीमती ज्योति कालरा, राष्ट्रीय महामंत्री डी. भरत कुमार, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री अरोरा सहित परिषद के अन्य राष्ट्रीय व प्रांतीय पदाधिकारी एवं शहर के गणमान्य नागरिक एवं अधिवक्ता उपस्थित रहे।

संघ के समक्ष तीन चुनौतियां
एक विदेश यात्रा का उल्लेख करते हुए श्री वैद्य से संघ की चुनौतियों के बारे में पूछे गए सवाल और दिए गए उत्तर को दोहराते हुए बताया कि भारत में संघ के पास तीन चुनौतियां हैं। भारत में जाति विचार को आज भी अधिक बढ़ावा दिया जाता है। संघ समाज को संगठित करना चाहता है। प्रयास होगा कि बंटवारे हमारे समाज और मन में न रहें। इसी प्रकार दूसरी चुनौती समाज में व्यक्तिवाद और भौतिकतावाद बढ़ रहा है। अशिक्षा आदि कारणों से बढ़ते इस व्यक्तिवाद और भौतिकतावाद को समाप्त करना संघ के समक्ष चुनौती है। तीसरी चुनौती का उल्लेख करते हुए उन्होंनेे कहा कि समाज को आज सरकार पर आश्रित होकर जीने की आदत पड़ गई है। हर काम के लिए सरकार पर आश्रित रहना चाहते हैं, हम खुद कुछ नहीं करना चाहते। यह ठीक नहीं है। समाज में जागृति लाकर उसे उत्तरदायी बनाना है।

सबसे पहले सफाई कर्मी हुए सम्मानित
अभा अधिवक्ता परिषद की तीन दिवसीय राष्ट्रीय परिषद में व्यवस्थाओं से जुड़े कई लोगों

को मंच से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में सबसे पहले उन चार सफाई कर्मचारियों को श्री मनमोहन जी वैद्य ने मंच से उतरकर शॉल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया, जिन्होंने पूरे कार्यक्रम के दौरान परिसर को पूरी तरह साफ और स्वच्छ रखा। इन सफाई कर्मियों के सम्मान के दौरान सभागार देर तक तालियों से गूंजता रहा। इसके बाद व्यवस्थाओं से जुड़े प्रमुख कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया।

अतिथियों का हुआ सम्मान
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य, लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान के कुलपति प्रो.दिलीप कुमार दुरेहा, महापौर विवेक शेजवलकर, पूर्व महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता का शॉल-श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया।

मंच पर बुलाए व्यवस्थाओं में जुटे कार्यकर्ता
अभा राष्ट्रीय कार्य परिषद में विभिन्न व्यवस्थाओं में दायित्व निभाने वाले सभी कार्यकर्ताओं को संयोजक और परिषद के प्रदेश महामंत्री दीपेन्द्र सिंह कुशवाह ने नाम लेकर मंच पर बुलाया और अतिथियों के साथ छाया चित्र निकलवाए।

‘सोशल मीडिया’ पर हुई चर्चा
अभा अधिवक्ता परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अंतिम सत्र में ‘सोशल मीडिया’ विषय पर चर्चा हुई। इस परिचर्चा में आज के समय में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और उपयोगिता एवं संगठन के हित में इसका उपयोग किस प्रकार करें। इस पर वक्ताओं ने आवश्यक सुझाव दिए।

पहले कलेक्शन, सिलेक्शन फिर कंस्ट्रक्शन: कुशवाह
अधिवक्ता परिषद की राष्ट्रीय परिषद के समापन अवसर पर प्रांतीय महामंत्री दीपेन्द्र सिंह कुशवाह ने कहा कि संगठन ने उन्हें बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन कार्यकर्ताओं की मेहनत और लगन के चलते यह आयोजन सहज ही सम्पन्न हो गया। उन्होंने कहा कि हमारे संगठन में इस तरह के आयोजनों का उद्देश्य सिर्फ भीड़ जुटाना नहीं होता। मैंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के रूप में सीखा था कि इस तरह के आयोजन ‘कलेक्शन, सिलेक्शन और फिर कंस्ट्रक्शन’ की प्रक्रिया है। अर्थात इन आयोजनों के माध्यमों से पहले कार्यकर्ताओं को एकत्रित किया जाता है। फिर संगठन में कार्य करने योग्य कार्यकर्ताओं का चयन कर उन्हें तैयार किया जाता है। इसके बाद इन चयनित कार्यकर्ताओं के द्वारा संगठन को खड़ा किया जाता है। श्री कुशवाह ने कहा कि इस आयोजन से उन्हें अच्छे एवं निष्टावान कार्यकर्ताओं की एक टीम मिली है। श्री कुशवाह की इस बात पर सभागार में उपस्थित सभी लोगों ने जोरदार तालियां बजाईं।

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Updated : 28 Dec 2016 12:00 AM GMT
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