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एक तमाचा, वो जिंदगी भर नहीं भुला सका

एक तमाचा, वो जिंदगी भर नहीं भुला सका
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एक बार दो दोस्त रेगिस्तान के रास्ते अपने घर जा रहे थे। रास्ते में दोनों में कुछ कहा-सुनी हो गई। बात इतनी बढ़ गई की उनमे से एक मित्र ने दूसरे के गाल पर जोर से तमाचा मार दिया। जिस मित्र को तमाचा पड़ा उसे दु:ख तो बहुत हुआ किंतु उसने कुछ नहीं कहा। वह झुका और उसने वहां रेत पर ही लिख दिया, आज मेरे सबसे अजीज मित्र ने मुझे तमाचा मारा।



दोनों मित्र आगे चलते रहे रास्ते में उन्हें एक पानी का तालाब दिखाई दिया और उन दोनों ने पानी में उतर कर नहाने की योजना बनाई। जिस मित्र को तमाचा पड़ा था, वह दलदल में फंस गया और डूबने लगा। किंतु उसके दूसरे मित्र ने उसे बचा लिया।
जब वह बच गया तो बाहर आकर उसने एक पत्थर पर लिखा, आज मेरे निकटतम मित्र ने मेरी जान बचाई। तब दूसरे मित्र ने पूछा, जब मैंने तुम्हें तमाचा मारा था तो तुमने बालू में लिखा और जब मैंने तुम्हारी जान बचाई तो तुमने पत्थर पर लिखा, ऐसा क्यों?

इस पर दूसरे मित्र ने उत्तर दिया, जब कोई हमारा दिल दुखाए, तो हमें उस अनुभव के बारे में बालू में लिखना चाहिए क्योंकि उस चीज को भुला देना ही अच्छा है, क्षमा रुपी वायु शीघ्र ही उसे मिटा देगी। किंतु जब कोई हमारे साथ कुछ अच्छा करे। हम पर उपकार करे तो हमे उस अनुभव को पत्थर पर लिख देना चाहिए जिससे कि कोई भी जल्दी उसको मिटा न सके।

Updated : 9 Jan 2017 12:00 AM GMT
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