Home > Archived > अपने कक्ष को छोड़ दूसरों के साथ लगाते रहे गप्पें

अपने कक्ष को छोड़ दूसरों के साथ लगाते रहे गप्पें

अपने कक्ष को छोड़ दूसरों के साथ लगाते रहे गप्पें
X

-नहीं सुधर रहा चिकित्सकों का रवैया, बिना उपचार लौटे मरीज
-मामला किलागेट रोड स्थित सिविल अस्पताल का
ग्वालियर/सुजान सिंह बैस। सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं दुरुस्त करने और चिकित्सकों का रवैया सुधारने के लिए जिलाधीश से लेकर स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों द्वारा समय-समय पर औचक निरीक्षण किए जाते हैं, लेकिन उसके बाद भी न तो चिकित्सकों का रवैया सुधर रहा और न ही अस्पताल की व्यवस्थाएं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण बुधवार को सिविल अस्पताल में देखने को मिला, जहां चिकित्सक अपने कक्षों से गायब थे और मरीज उनके इंतजार में घण्टे लाइन में खड़े रहे।

किलागेट रोड स्थित सिविल अस्पताल में बुधवार को सुबह 9:30 बजे तक आॅपरेशन थियेटर में ताला लटका रहा। अस्पताल की ओपीडी में सिर्फ मेडिसिन और हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक ही बैठे थे, जबकि ईएनटी, टीबी एण्ड चेस्ट और नेत्र रोग विशेषज्ञों के कक्ष खुले ही नहीं थे।

ओपीडी में मेडिसिन के डॉ. एस.के. श्रीवास्तव, डॉ. सीमा जायसवाल और उनके सहयोगी पहुंचे थे, जबकि हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. उपेन्द्र कुशवाह देरी से पहुंचे। इतना ही नहीं, बच्चों के डॉ. ए.के सिंघल ओपीडी में तो पहुंचे, लेकिन कुछ बच्चों को देखने के बाद वह अपने कक्ष से गायब हो गए और दोपहर 12.30 बजे तक वापस नहीं आए। इसी तरह सर्जरी के डॉ. नारायण शिवहरे भी सिर्फ खानापूर्ति करने के लिए अपने कक्ष में बैठे और एक भी आॅपरेशन नहीं किए गए। रेडियोलॉस्टि डॉ. आर.के. चतुर्वेदी भी अल्ट्रासाउण्ड केन्द्र को छोड़कर डॉ. शिवहरे के कक्ष में गप्पें लगाते रहे। इस कारण अल्ट्रासाउण्ड कराने पहुंचीं महिलाओं को परेशान होना पड़ा। डॉ. सिंघल के चले जाने से भी महिलाएं अपने बच्चों को लेकर उनके कमरे के बाहर इंतजार करती रहीं। कुछ महिलाओं ने तो दूसरे कमरे में बैठे हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखा लिया तो कुछ बिना इलाज के ही अपने बच्चों को वापस ले गर्इं।

बायोमेडिकल वेस्ट का भी हो रहा उल्लंखन

केन्द्र सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से अस्पतालों से निकलने वाले बॉयोमेडिकल वेस्ट को नष्ट करने के लिए कड़े नियम बनाए हैं, लेकिन सिविल अस्पताल में इन नियामों का पालन नहीं किया जा रहा है। अस्पताल परिसर में खुले में ही पट्टियां, सिरिंज, खाली बोतल, टिश्यू आदि मेडिकल कचरे को फेंका जा रहा है। यहां बायोमेडिकल के निरस्तारण के निर्धारित प्रोटोकाल तक का पालन नहीं किया जा रहा है। इतना ही नहीं, यह वेस्ट अस्पताल में सामान्य कचरे के साथ ही रख दिया जाता है। अस्पताल के चिकित्सक यह सब देखकर भी अंजान बने रहते हैं।

इनका कहना हैं

‘‘चिकित्सक ओपीडी में क्यों नहीं बैठते हैं। इसकी जानकारी सिविल सर्जन से लेंगे। दंत सहायक का कोई पद ही नहीं होता है। चिकित्सक दंत रोगियों को कर्मचारियों से क्यों दिखवा रहे थे। इसकी जानकारी लेकर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।’’

डॉ. ए.के. दीक्षित
क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं

दंत सहायक कर रहे चिकित्सक का काम

सिविल अस्पताल में चिकित्सकों का गैर जिम्मेदाराना रवैया यहीं नहीं थमता। चिकित्सक अपने काम से बचने के लिए मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने में लगे हुए हैं। सिविल अस्पताल में दंत रोग विशेषज्ञ के रूप में पदस्थ डॉ. शिवेन्द्र राजपूत बुधवार को सुबह ओपीडी में तो बैठे थे, लेकिन दंत सहायक अनिल श्रीवास्तव मरीजों के दांत चैक कर रहे थे, जबकि दंत सहायक का काम सिर्फ डेंटल सर्जन की सहायता करना है न कि इलाज करना। इतना ही नहीं डॉ. राजपूत अपने सहायक से मरीजों के दांतों को उखड़वाने तक का काम कराते हैं।

Updated : 12 Oct 2017 12:00 AM GMT
Next Story
Top