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हमारी मानवता ही भारतीयता है

हमारी मानवता ही भारतीयता है
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-रामलीला मैदान मुरार में श्रीराम कथा का पांचवां दिन
ग्वालियर। जिसके मन में राम की भांति गुरु निष्ठा, मातृ-पितृ भक्ति और व्यापकता होती है वही धर्मात्मा कहलाता है। हमारा विचार, जीवन व स्वभाव राम ही है। हमारी मानवता ही भारतीयता है, व्यक्ति को अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। यह विचार राष्ट्र संत मां कनकेश्वरी देवी ने बुधवार को रामलीला मैदान मुरार में पांचवे दिन श्रीराम कथा सुनाते हुए व्यक्त किए। श्रीराम कथा की शुरूआत पोथी पूजन से की गई। तत्पश्चात राष्ट्र संत मां कनकेश्वरी देवी ने श्रीराम कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि श्रीराम ने अपने परिवार के सुख को सुख नहीं माना था बल्कि उन्होंने संसार के सुख को अपना सुख माना। राक्षसों की अयोध्या से कोई शत्रुता नहीं थी। अयोध्या को भी राक्षसों से कोई खतरा नहीं था। राजा दशरथ भी अयोध्या की सुरक्षा के प्रति निश्चित थे, लेकिन श्रीराम का सोचना था कि संसार को राक्षसों से खतरा है, इसलिए राक्षसों का संहार करना आवश्यक है।

राम और कृष्ण ने धर्म को जिया

श्रीराम कथा में मां कनकेश्वरी देवी ने कहा कि श्रीराम और कृष्ण ने जब जन्म लिया तो उन्होंने धर्म को जिया और धर्म के मार्ग पर ही चले। हमें भी धर्म को जीना चाहिए और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। धर्म को नहीं जीओगे तो धर्म बोझ बन जाएगा।

इन्होेंने की आरती

श्रीराम कथा में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की धर्म पत्नी किरण सिंह, पुत्र देवेन्द्र प्रताप सिंह, मुरैना के सांसद अनूप मिश्रा, महापौर विवेक शेजवलकर, अरुण तोमर, ओ. एन. शर्मा, अशोक प्रेमी, दीपक शर्मा, दिलीप सेंगर, रीना शर्मा आदि ने पोथी पूजन एवं आरती की।

व्यक्ति को संस्कृति पर गर्व होना चाहिए

मां कनकेश्वरी देवी ने कहा कि भारतीय संस्कृति काफी व्यापक है। व्यक्ति को धर्म और अपनी संस्कृति के साथ ही जीवन यापन करना चाहिए। जब तक जीवन में साधना नहीं आएगी, तब तक धर्म कैसे रहेगा। उन्होंने कहा कि सृष्टि के अस्तित्व के लिए वैदिक विद्या आवश्यक है। वेदों के द्वारा प्रकृति संतुलित रहती है। वेद विद्यालय जगत और प्रकृति की रक्षा करने का काम करते हैं।

Updated : 12 Oct 2017 12:00 AM GMT
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