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भारत के भौगोलिक संकेतों के लिए लोगो तथा टैग-लाइन प्रतियोगिता लांच

भारत के भौगोलिक संकेतों के लिए लोगो तथा टैग-लाइन प्रतियोगिता लांच
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नई दिल्ली। वस्तु एवं उत्पाद से जुड़े स्थान विशेष के महत्व को दर्शाने के लिए बने भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) (उदाहरण : दार्जिलिंग-चाय) से जुड़े लोगो तथा टैग-लाइन व स्लोगन तैयार करने के लिए प्रतियोगिता आयोजित की गई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के तत्वाधान में बौद्धिक संपदा अधिकार संवर्धन औऱ प्रबंधन सेल (सीआईपीएएम) ने ‘माय-गोव’ वेबसाइट पर भारत के भौगोलिक संकेतों के लिए बुधवार को यह प्रतियोगिता लॉन्च की है।

कृषि, प्राकृतिक या तैयार किए गए उत्पाद (दस्तकारी तथा औद्योगिक वस्तुएं) का किसी क्षेत्र विशेष की पहचान बन जाना भौगोलिक संकेत माना जाता है। यह उस स्थान की विलक्षणता को दर्शाता है और गुणवत्ता का आश्वासन देता है। पंजीकृत भारतीय संकेतों के कुछ उदाहरण हैं – दार्जिलिंग-चाय, तिरुपति-लड्डू, कांगड़ा-पेंटिंग, नागपुर-संतरा, कश्मीर-पाश्मीना आदि।

मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘भौगोलिक संकेत न केवल हमारी समृद्ध संस्कृति और सामूहिक बौद्धिक विरासत का हिस्सा हैं बल्कि हमारे किसानों, बुनकरों, दस्तकारों, हस्तशिल्पियों की आय के साधन भी। भारत सरकार के मेक इन इंडिया अभियान के अनुरूप भौगोलिक संकेत का संवर्धन करना है और इसकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है।’’

मार्क व लोगो और टैग-लाइन व स्लोगन का इस्तेमाल सभी श्रेणियों के पंजीकृत भौगोलिक संकेतकों की पहचान में किया जाएगा। इससे अधिक से अधिक लोग भौगोलिक संकेत से जुड़ेंगे औऱ भौगोलिक संकेत टैग का लाभ उठाएंगे।
प्रतियोगिता के लिए प्रविष्टियां प्राप्त करने की अंतिम तिथि 17 नवम्बर है। भौगोलिक संकेत के लिए लोगो डिजाइन तथा स्लोगन में प्रत्येक के लिए 50 हजार रुपये का नकद पुरस्कार विजेता प्रविष्टि को दिया जाएगा। “डिजाइन, लोगो एंड सजेस्ट ए टैग-लाइन कॉम्पिटीशन” का विस्तृत ब्यौरा ‘माय-गोव’ से हासिल किया जा सकता है।

Updated : 19 Oct 2017 12:00 AM GMT
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