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प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी को गृह जिले में ही किया पदस्थ

मुरैना/ घनश्याम डंडोतिया। प्रदेश सरकार के स्थापना नियमों के अनुसार किसी भी प्रथम श्रेणी अधिकारी की उसके गृह जिले में पदस्थापना नहीं किये जाने की बंदिश के बावजूद जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मनमानी करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी के पद का प्रभार ऐसे अधिकारी को सौंप दिया है जिसे इस पद पर नियुक्ति की पात्रता ही नहीं हैं। प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी पद पर नियुक्त के बाद कार्यालय में मनमानी पूर्वक भ्रष्टाचार के कई कारनामों को अंजाम दिया जा रहा है। यही नहीं प्रभारी अधिकारी पर कार्यालय में जातिवादी मानसिकता के साथ काम करते हुए सजातीय कर्मचारियों को संरक्षण एवं अन्य जातियों के अधिकारियों के प्रति विद्वेषपूर्ण कार्रवाई किये जाने का भी आरोप लग रहे हैं। इस संबंध में आज महिला जागरूकता संदेश संगठन समिति मध्यप्रदेश की अध्यक्ष श्रीमती सुमन इन्दौरिया ने आयुक्त चंबल संभाग को शिकायती पत्र सौंपते हुए नियम विरूद्ध बनाये गये प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी की पात्रता नहीं होने के बावजूद गृह जिले में पदस्थापना को निरस्त कर प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की जा रहीं अनियमितताओं की जांच की मांग की है।

उल्लेखनीय है कि कुछ माह पूर्व ही जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में व्ही.एस.सिकरवार को जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में पदस्थ किया गया है। जानकारी के अनुसार सिकरवार मूल रूप से व्याख्याता खेल के रूप में कार्यरत हैं। विभागीय नियमों के अनुसार उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर नियुक्ति की पात्रता नहीं है। विभागीय नियमों के अनुसार क्रीड़ा व्याख्याता को सहायक संचालक खेल के पद पर नियुक्ति की जा सकती है। खास बात यह है कि सिकरवार मुरैना जिले की जौरा तहसील के बागचीनी के मूल निवासी है। इस कारण भी उनकी नियुक्ति गृह जिला होने के कारण विभागीय नियमों के अनुसार जिले में नहीं की जा सकती। बताया जाता है कि विभागीय अधिकारियों से सांठगांठ एवं लेनदेन कर प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा अपनी नियुक्ति गृह जिले में कराली है। महिला सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती सुमन इन्दौरिया ने मामले की शिकायत करते हुए आज आयुक्त शिवानंद दुबे को शिकायती पत्र सौंपकर सिकरवार की नियुक्ति आदेशों को निरस्त किये जाने की मांग की है। उन्होंने आयुक्त को सौंपे पत्र में कहा है कि सिकरवार अपनी पदस्थापना के बाद से कार्यालय में स्वेच्छाचारिता करते हुए सजातीय कर्मचारियों के माध्यम से भारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं। स्थानीय होने के कारण कार्यालय में कार्यरत स्टॉफ के साथ भी पक्षपात पूर्ण व्यवहार कर रहे हैं।

शैक्षणिक योग्यता पर भी लगाया प्रश्नचिन्ह

महिला नेत्री ने अपने आवेदन में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर नियुक्त किये गये सिकरवार की शैक्षणिक योग्यता पर भी सवाल उठाते हुए उनकी डिग्रियों की जांच कराने की मांग की हैै। आयुक्त को सौंपे पत्र में सिकरवार द्वारा व्यायाम निर्देशक उच्च वेतनमान एवं जिला क्रीड़ा अधिकारी के पद पर रहते हुए बगैर विभागीय स्वीकृति के दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से संचालित सी.पी.एड. एवं बी.पी.एड. की डिग्रियों को संदिग्ध बताते हुए उनकी जांच की मांग की है।

क्रीड़ा निरीक्षक के पद पर रहते लगे थे गबन के आरोप

प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी व्ही.एस.सिकरवार की नियुक्ति के बाद जिले में उनके क्रीड़ा निरीक्षक के पद पर रहते की गई आर्थिक अनियमितताओं के मामले भी चर्चित होने लगे हैं। आवेदन में कहा गया है कि सिकरवार द्वारा जिले में क्रीड़ा निरीक्षक के पद पर रहते हुए जिले के विद्यालयों से छात्रानुपात में लिये गये क्रीड़ा शुल्क की आधी राशि कार्यालयीन रिकार्ड में जमाकर आधी राशि हड़प ली थी। उनके द्वारा क्रीड़ा शुल्क की राशि नगद प्राप्तकर उक्त राशि को बैंक में जमा कराने के बजाय उसके फर्जी व्हाउचर डालकर राशि का गबन किया गया। आवेदन में कैशबुक पर तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर कराने के बजाय कैशबुक पर खुद ही हस्ताक्षर कर दिये। इस मामले की उस समय भी शिकायतें अधिकारियों को की गईं थीं।

अनुदान प्राप्त विद्यालयों के साथ हो रही है सौदेबाजी

प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी पर जिले के अनुदान प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों से एरियर एवं अनुदान के भुगतान के नाम पर अनुदान शाखा में लंबे समय से पदस्थ लिपिक के माध्यम से सौदेबाजी की जा रही है। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा विद्यालयों में निरीक्षण के नाम पर अपने चहेते कर्मचारियों का दल बनाकर विद्यालयों को भयभीत कर उनसे राशि बसूली जाने के आरोप भी महिला नेत्री द्वारा लगाये गये हैं।

Updated : 4 Oct 2017 12:00 AM GMT
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