अज्ञात में बना रहे प्रकरण, कैसे रुके अवैध खनन
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-अपराधियों को सजा नहीं मिलेगी तो वह क्यों डरेंगे
*File Photo
ग्वालियर। वन मंडल ग्वालियर के वन क्षेत्रों में अवैध खनन का दायरा निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। यहां स्थानीय खनन माफिया के साथ पिछले एक-डेढ़ साल से मुरैना जिले के खनन माफिया भी अवैध खनन कारोबार में सक्रिय हैं। इनको रोकने के लिए हालांकि वन विभाग लगातार कार्रवाई भी कर रहा है, लेकिन फिर भी अवैध खनन क्यों फल-फूल रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ी जो वजह सामने आई है, उसके अनुसार आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों में अवैध खनन के जितने भी मामले पकड़े जाते हैं, उनमें से अधिकांश मामलों में अज्ञात में वन अपराध दर्ज किए जाते हैं। इस कारण अवैध खनन कारोबारियों में कार्रवाई का भय ही समाप्त हो गया है।
वन विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार सोनचिरैया अभयारण्य घाटीगांव के तत्कालीन अधीक्षक आर.सी. शर्मा के कार्यकाल में अभयारण्य के अंतर्गत जितने भी अवैध खनन के मामले पकड़े गए थे, उनमें से अधिकांश मामलों में नामजद लोगों के खिलाफ वन अपराध दर्ज किए गए थे, जिससे अवैध खनन करने वाले लोगों में भय का वातावरण बना था और अवैध खनन में खासी कमी भी आई थी, लेकिन श्री शर्मा के जाने के बाद नामजद मामले दर्ज करने की हिम्मत नहीं दिखाई गई, जिसके चलते पिछले दो सालों में अवैध खनन का दायरा निरंतर बढ़ता गया और आज हालत यह है कि इस अवैध कारोबार में पड़ोसी मुरैना जिले के खनन कारोबारी भी शामिल हो गए हैं, जिनके द्वारा वन क्षेत्रों से व्यापक स्तर पर फर्शी पत्थर मुरैना जिले के बानमौर में संचालित पत्थर की अवैध फड़ों पर पहुंचाया जा रहा है।
पहचानने के बाद भी बनाते हैं अज्ञात में मामला
ग्वालियर वन मंडल में कई मैदानी अधिकारी व कर्मचारी ऐसे हैं, जो यहां कई सालों से कार्यरत हैं, जो न केवल वन क्षेत्रों में अवैध खनन करने वालों को ठीक से पहचानते हैं बल्कि यह तक जानते हैं कि वन क्षेत्रों में अवैध रूप से संचालित कौन सी खदान किस खनन कारोबारी की है। इसके बाद भी अवैध खनन पकड़े जाने पर ज्यादातर मामलों में वन अपराध अज्ञात लोगों के खिलाफ ही दर्ज किया जाता है। वन विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार पिछले एक साल में अवैध खनन के जितने भी वन अपराध दर्ज हुए हैं, उनमें चुनिंदा वन अपराध ही नामजद होंगे। अधिकांश वन अपराध अज्ञात लोगों के खिलाफ ही दर्ज किए गए हैं। सूत्रों की मानें तो कई बार अवैध खनन करने वाले मजदूरों को पकड़ने की वजाय उन्हें मौके से भगा दिया जाता है और वन अपराध अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज कर लिया जाता है। सूत्र इसके पीछे मुख्य रूप से दो कारण बताते हैं।
इनमें पहला कारण यह है कि वन कर्मचारी खनन कारोबारियों से सीधे रंजिश नहीं पालना चाहते हैं और दूसरा कारण यह है कि यदि वे नामजद वन अपराध दर्ज करेंगे तो आरोपियों को गिरफ्तार करने और न्यायालय में चालान पेश करने का झंझट पालना पड़ेगा, इसलिए वन अधिकारी व कर्मचारी इन झंझटों से बचने के लिए अज्ञात में ही वन अपराध दर्ज करते हैं। सूत्रों के अनुसार खास बात यह भी है कि अज्ञात में दर्ज होने वाले वन अपराधों में तीन साल तक कोई कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में ऐसे मामले कालातीत सूची में डाल दिए जाते हैं।
झाला और कुआखोरा में फिर शुरू हुआ अवैध खनन
वन मंडल ग्वालियर के अंतर्गत कई ऐसे वन क्षेत्र हैं, जहां तत्कालीन अधिकारियों की सख्ती के चलते फर्शी पत्थर का अवैध खनन पूरी तरह बंद हो गया था, लेकिन पिछले एक साल से ऐसे वन क्षेत्रों में फिर से अवैध खनन शुरू हो गया है। उदाहरण के लिए सोनचिरैया अभयारण्य घाटीगांव की गैमरेंज तिघरा की लखनपुरा वन चौकी के अंतर्गत झाला वन क्षेत्र में पिछले कुछ समय से फर्शी पत्थर का अवैध खनन किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार यहां से प्रतिदिन तीन से चार ट्रॉली फर्शी पत्थर मुरैना जिले के बानमौर स्थित पत्थर की फड़ों पर पहुंचाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो झाला वन क्षेत्र में अवैध खनन का कारोबार एक ऐसा व्यक्ति कर रहा है, जिसकी गिनती वन विभाग के एक शीर्ष अधिकारी के विश्वस्त मुखबिरों में की जाती है। इसी प्रकार घाटीगांव उत्तर रेंज के अंतर्गत कुआखोरा वन क्षेत्र में भी पिछले कई सालों से अवैध खनन बंद था, लेकिन पिछले कुछ समय से यहां भी जनपद पंचायत के एक पदाधिकारी के बेटे द्वारा सरेआम अवैध खनन किया जा रहा है। हालांकि वन अमले ने हाल ही में दिखावे के लिए कुआखोरा में कार्रवाई कर लगभग तीन घनमीटर फर्शी पत्थर जब्त किया था, लेकिन उसके बाद वहां कोई झांकने तक नहीं गया है।