उप्र में गन्ने की फसल बनी वरदान, अन्य राज्यों का खींचा ध्यान
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-गन्ने की विकास यात्रा पर गन्ना राज्यमंत्री सुरेश राणा की स्वदेश से वार्ता
-गन्ना समितियों का सीएजी से कराया जाएगा आॅडिट
आगरा/मधुकर चतुर्वेदी। प्रदेश के खेत-खिलिहानों में गन्ने की बंपर पैदावार और गन्ने की खेती से किसान लाभान्वित कैसे हुआ? यह जानने के लिए आजकल देश के कई राज्य, किसान, सरकारी महकमों के अफसर, कृषि विश्वविद्यालयों के छात्र और वैज्ञानिक आदि उप्र के गन्ना किसानों और प्रदेश सरकार के गन्ना विभाग की ओर जिज्ञासा भरी दृष्टि से देख रहे हैं। हालांकि प्रदेश में योगी सरकार को आए हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है लेकिन, उप्र में गन्ने की विकास यात्रा के धरातलीय शोध को समझने अन्य राज्यों की सरकारें उत्सुक हैं।
शनिवार को आगरा आए प्रदेश के गन्ना व शुगर मिल राज्यमंत्री सुरेश राणा ने स्वदेश से वार्ता में गन्ने की इस विकास यात्रा के गणित को समझाते हुए कहा कि लघु कृषक जो 2 हेक्टेयर जमीन का किसान है, न्यूनतम दशा में 1400 कुंटल था और अधिकतम 2000 कुंटल था। अब न्यूनतम 1600 और अधिकतम 2600 हो गया है। कुल मिलाकर 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल बढा है। उन्होंने कहा कि आज अन्य राज्य भी प्रदेश की गन्ना उत्पादन तकनीक को समझना व अपनाना चाहते है। उन्हें महाराष्ट्र सरकार की ओर से निमंत्रण मिला है और वह अगले माह दिसंबर में महाराष्ट्र के दौरे पर रहेंगे। मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि पिछले 6 महीने में ही सरकार ने 24,252 करोड़ रू. का गन्ना किसानों को भुगतान किया है। उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने चीनी मिलें के साथ किसानों के संयुक्त खाते खुलावाने का निर्णय लिया है। जिससे 1 रु. की चीनी पर 85 पैसे किसान के होंगे।
सीएजी से कराएंगे गन्ना समितयों का आॅडिट
मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि प्रदेश में गन्ने की खेती और मिलों का संचालन माफियाओं का शिकार रहा है। भष्ट्राचार के चलते किसान परेशान रहा है। सरकार ने निर्णय लिया है कि गन्ना समितियों में व्याप्त भष्ट्राचार को देखते हुए इन समितियों का सीएजी से आॅडिट कराया जाएगा।
बंद पड़ी मिलों को चलाने का निर्णय
गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने जानकारी दी कि सरकार द्वारा गन्ना किसानों को खेती से जुड़ी समस्याओं के व नए शोध के प्रति जागरूक करने हेतु एसएमएस भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश में बंद पड़ी चीनी मिलों को पुनः शुरू करेगी। दो चीनीं मिले तो पश्चिमी उप्र की शुरू भी कर दीं। साथ ही रावाड़ा चीनी मिल की क्षमता 2700 टीसीडी से बढ़ाकर 5000 टीसीडी कर दी है।
Updated : 20 Nov 2017 12:00 AM GMT
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