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समाज शरीर है तो साहित्य उसकी आत्मा : डॉ. विन्देश्वर पाठक

समाज शरीर है तो साहित्य उसकी आत्मा : डॉ. विन्देश्वर पाठक
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ताजनगरी में शुरू हुआ ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का राष्ट्रीय अधिवेशन
विभिन्न राज्यों से 200 ख्यातिप्राप्त साहित्यकारों की सहभागिता

आगरा। साहित्य और साहित्यकार में समाज को एक को दिशा देने की अद्भुत क्षमता होती है। यदि समाज शरीर है तो साहित्य उसकी आत्मा। जन्म से मृत्यु तक मनुष्य समाज जुड़ा रहता है, वह चाहकर भी समाज से अलग नहीं हो सकता है। मनुष्य समाज में रहकर अनेक प्रकार का अनुभव ग्रहण करता है एवं जब वह प्राप्त अनुभव को शब्द द्वारा अभिव्यक्त करता है तो वह साहित्य बन जाता है। और यही अभिव्यक्ति की शक्ति उस व्यक्ति को आगे चलकर साहित्यकार बना देती है। यह कहना है देश के जाने-माने साहित्यकार व सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन के संस्थापक डॉ. विन्देश्वर पाठक का।

शनिवार को ताजनगरी में साहित्यकारों के सबसे बड़े कुंभ आथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का दो दिवसीय 42 वां राष्ट्रीय अधिवेशन प्रारंभ हुआ। उद्घाटन आथर्स गिल्ड के अध्यक्ष डॉ. विन्देश्वर पाठक, उपाध्यक्ष डॉ. सरोज गौरिहार व डॉ. सरोजिनी प्रीतम ने किया। महासचिव डॉ. एसएस अवस्थी ने संस्था की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. अरविंद दीक्षित ने लेखकों को समाज को नई दिशा देने वाला बताया। समारोह में सुलभ इंटरनेशनल की वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनीता झा, साहित्यकार अशोक रावत, कैप्टन व्यास चतुर्वेदी, डॉ.प्रणवीर चौहान, कवियत्री श्रुति सिन्हा, कमल आशिक, डॉ. रूचि अग्रवाल, महेश शर्मा, संजय तौमर, डॉ. रामअवतार शर्मा, प्रो. सोम ठाकुर, डॉ. अलका सेन आदि उपस्थित रहे। संचालन आथर्स गिल्ड के समन्वयक डॉ. अमी आधार निडर ने किया।

42 पुस्तकों का विमोचन
समारोह में देशभर के लेखकों की करीब 42 पुस्तकों का विमोचन मंच से किया गया। अधिवेशन में तीन सत्रों में शोधपत्रों का वाचन हुआ। प्रतिनिधियों द्वारा निर्वाचन एवं प्रमुख संकल्प पत्रों को पारित कराया गया। कार्यक्रम स्थल पर आगरा के लेखकों की एक पुस्तक प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र बनी रही। अधिवेशन में देशभर के विभिन्न राज्यों के करीब 200 ख्याति प्राप्त लेखक हिस्सा ले रहें हैं।

Updated : 19 March 2017 12:00 AM GMT
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