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घूसखोर लुटवा रहे हैं सरकार का खजाना, एसआईडीसी के प्रबंध संचालक डीपी आहूजा मौन

घूसखोर लुटवा रहे हैं सरकार का खजाना, एसआईडीसी के प्रबंध संचालक डीपी आहूजा मौन
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एसआईडीसी के प्रबंध संचालक डीपी आहूजा मौन

ग्वालियर| सरकार को करोड़ों का चूना लगाने वाली सोम डिस्टलरीज से सरकारी खजाने से लिए गए कर्ज की ब्याज सहित वसूली के आदेश कम्पनी कोर्ट, उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय से हो जाने के बावजूद एमपी एसआईडीसी के कमीशनखोर अधिकारी सोम डिस्टलरीज एण्ड ब्रेवरीज लिमिटेड को बचाने के लिए ऐढ़ी-चोटी का जोर लगाए हैं। खास बात यह है कि कार्रवाई के लिए जिम्मेदार एमपी एसआईडीसी के प्रबंध संचालक सोम डिस्टलरीज पर किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं देना चाहते।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1999 से 2001 के बीच एमपी एसआईडीसी के माध्यम से 12 करोड़, 13 लाख रुपये का कर्ज लेकर शराब कारोबार करने वाले सोम डिस्टलरीज एण्ड ब्रेवरीज लिमिटेड के संचालकों जगदीश अरोरा और अजय अरोरा ने निर्धारित समय में सरकारी कर्ज वापस नहीं किया। इस कर्ज की वसूली के लिए कम्पनी कोर्ट नई दिल्ली ने कम्पनी को राजसात कर कम्पनी की सम्पूर्ण संपत्तियों की नीलामी से वसूली के आदेश दिए थे। कम्पनी कोर्ट ने इस काम के लिए आॅफीसियल लिक्वेडेटर को भी नियुक्त किया था। लेकिन लिक्वेडेटर द्वारा न्यायालय के आदेश के अनुसार शीघ्र कम्पनी की संपत्तियों और लेखा संबंधी दस्तावेजों को अपने कब्जे में नहीं लिया। इस दौरान कम्पनी संचालकों द्वारा उच्च न्यायालय और बाद में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर किए जाने के कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया। हालांकि दोनों ही न्यायालयों ने पक्षों को सुनने के बाद सोम के संचालकों की याचिका खारिज कर शासकीय धन की वसूली करने के निर्देश दिए थे। लेकिन इस बीच सोम डिस्टलरीज के संचालकों ने अधिकारियों और राजनेताओं से सांठगांठ कर ली। यही कारण है कि सर्वोच्च न्यायालय से याचिका 26 सितम्बर 2016 को खारिज हो जाने के बाद से अब तक सोम डिस्टलरीज से वसूली की कार्रवाई आरंभ नहीं हो सकी है।

आखिर क्यों मौन हैं आहूजा

सोम डिस्टलरीज से सरकारी कर्ज की वसूली को लेकर एमपीएसआईडीसी के उदासीन रवैये को लेकर म.प्र. स्टेट इंडस्ट्रीज डेबलपमेंट कार्पोरेशन के प्रबंध संचालक डीपी आहूजा से मोबाइल पर संपर्क कर उनकी प्रतिक्रिया लेनी चाही, लेकिन शुक्रवार की तरह शनिवार को भी उन्होंने मोबाइल नहीं उठाया। मोबाइल पर शनिवार को पुन: भेजे गए संदेश को उन्होंने पढ़ा जरूर, लेकिन उत्तर देने के लिए न तो मोबाइल उठाया और न ही संदेश के माध्यम से प्रतिक्रिया दी।

खुला राजनीतिक संरक्षण

सरकारी खजाने से लिए कर्ज को दबाए बैठी सोम डिस्टलरीज के संचालकों पर कार्रवाई में जहां अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं। वहीं सरकार में बैठे प्रतिनिधि और राजनेता भी इस प्रकरण में रुचि नहीं ले रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि भारी फायदे का कारोबार कर रही सोम डिस्टलरीज के संचालक बिना कर्ज पटाए इस कम्पनी को अधिक से अधिक समय चलाना चाहते हैं। इसके लिए संचालकों ने साम और दाम दोनों प्रकार से प्रयास किए हैं। बताया जाता है कि शराब बेचकर हो रहे फायदे से मोटा कमीशन अधिकारियों और राजनेताओं को हर महीने पहुंचाया जाता है। इस कारण न सत्तापक्ष और न ही विपक्ष का कोई राजनेता सोम डिस्टलरीज से सरकारी धन वसूली के लिए खड़ा हो रहा है।

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Updated : 4 Jun 2017 12:00 AM GMT
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