Home > Archived > हठधर्मिता से कोई आगे नहीं बढ़ सकता: वाजपेयी

हठधर्मिता से कोई आगे नहीं बढ़ सकता: वाजपेयी

हठधर्मिता से कोई आगे नहीं बढ़ सकता: वाजपेयी
X

साहित्य अकादमी भोपाल एवं मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा के तत्वावधान में ऋषि गालव पर हुआ व्याख्यान

ग्वालियर|
साहित्य अकादमी भोपाल एवं मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा ग्वालियर के संयुक्त तत्वावधान में वैदिक ऋषि गालव पर आधारित व्याख्यान एवं परिचर्चा का आयोजन बुधवार को पड़ाव स्थित कला वीथिका में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में जबलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ए.डी.एन. वाजपेयी एवं मुख्य अतिथि के रूप में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर उपस्थित थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश तोमर ने की। व्याख्यान का मुख्य विषय ‘वैदिक ऋषि परंपरा और गालव’ था। इस मौके पर साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित ज्योत्सना सिंह की ‘अंतहीन पथ’ पुस्तक का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजन के साथ किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता की आसंदी से बोलते हुए श्री वाजपेयी ने कहा कि ऋषि जो एक शब्द है, वह साधु से बनता है। साधु एक त्रिकालदर्शी होता है, जो भूत, भविष्य और वर्तमान को जानता है। ऐसे ही ऋषि गालव थे। श्री वाजपेयी ने कहा कि हठधर्मिता से कोई आगे नहीं बढ़ सकता है। जिसे अपनी भलाई करना है, उसे दूसरों की भी सुनना चाहिए। श्री वाजपेयी ने बायोटेक्नोलॉजी पर बोलते हुए बताया कि इसे ऋषि विश्वामित्र ने अपने तप से शुरू किया था। इस अवसर पर उन्होंने ऋषि गालव के संपूर्ण वृतांत पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए श्री पराड़कर ने कहा कि जब तक आप पुराना और आधुनिक नहीं जानेंगे, तब तक आपका संतुलन नहीं बनेगा। जिससे हमारा जीवन चल रहा है, वह हमारी काल गणना है और जिससे हमारा जीवन नहीं जुड़ा है, वह आधुनिक है। अत: ऋषि परंपरा का स्मरण बहुत जरूरी है। श्री पराड़कर ने कहा कि जब तक हम भारतीय परंपरा को नहीं समझेंगे, तब तक अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि आध्यात्म से ही आत्मा की बात होती है।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि की आसंदी से रामकृष्ण विद्या मंदिर सीबीएसई के प्राचार्य स्वामी सुप्रदीप्तानंद जी महाराज ने कहा कि गुरु शिष्य की जो परंपरा है, उसे जीवंत रखने के लिए गुरु का आदर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु और शिष्य से जो ऊर्जा आती है, वह सात्विक होती है। इससे लोगों की मदद की जा सकती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जगदीश तोमर ने कहा कि ऋषियों ने अपने समय में अपने विचारों के माध्यम से आमजन का विकास किया। उन्होंने कहा कि दर्शन और धर्म पर किसी एक विद्वाान का अधिकार नहीं है। इस मौके पर ऋषि गालव पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता के विजयी बच्चों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह एवं साहित्य सभा ग्वालियर के मंत्री अविनाश साहू सहित शहर के गणमान्य नागरिक और साहित्यकार उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वंदना कुशवाह ने एवं आभार मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा के उपाध्यक्ष राजकिशोर वाजपेयी ने व्यक्त किया।

Updated : 18 Jan 2018 12:00 AM GMT
Next Story
Top