बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है पूर्वोत्तर रेलवे
यमुना रेलवे पुल गैलरी की प्लेट कई स्थानों पर हुई क्षतिग्रस्त
मथुरा। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन की लापरवाही के चलते यमुना पुल की गैलरी में लगी लोहे की चादर कई स्थानों से गल चुकी है। कई सपोर्टिंग एंगिल भी टूटे पड़े है। ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
यमुना के ऊपर बना रेलवे पुल संख्या 555 शहर को यमुना पार के करीब एक दर्जन से अधिक गांवों से जोड़ता है। वर्ष 1980 में रेलवे ने इस पुल पर पैदल आवागमन के लिए एक गैलरी का निर्माण कराया था। इसके रखरखाव की जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन ने ली इसके एवज में वो राज्य सरकार के लोकनिर्माण विभाग से अनुरक्षण शुल्क की धनराशि ले रहा है।
रखरखाव के अभाव में पुल तक जाने वाला मार्ग ऊबड़ खाबड़ हो रहा है। ऐसे में आने-जाने वाले लोग पत्थरों से टकराकर चोटिल हो जाते है। बंगालीघाट से पुल पर चढऩे के साथ ही पहली लोहे चादर कई स्थानों से गल गई है। इसमें जगह-जगह छेद हो रहे है। जो कभी भीड़ का दबाव बढ़ा तो बड़े हादसे की संभावना को न्यौता दे रहे हैं।
पुल पर कई स्थानों पर गार्डरों को जोडऩे वाली सपोर्टिंग एंगिल उखड़ी पड़ी है। इतना ही नहीं रेल प्रशासन इस बात से भी अनजान बना हुआ है कि गैलरी पर अगर भीड़ का दबाव बना तो इन टूटी एंगिलों के रास्ते बच्चे या फिर यात्री रेल पटरी तक पहुंच सकते है। ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
लापरवाही का आलम ये है कि स्थानीय लोगों की लगातार शिकायतों के बाद चीफ इंजीनियर ब्रिज के हस्तक्षेप के बाद इज्जतनगर से लोहे की प्लेट तो आ गई। लेकिन स्थानीय अफसरों को उसे बदलवाने का वक्त नहीं मिल पा रहा है। जब कभी शिकायत की जाती है तो उसे एक दूसरे पर टाल दिया जाता है।