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राष्ट्रपति पर टपकीं बूंद से शर्मसार हुआ ग्वालियर, निदेशक बोले-कोई बात नहीं

राष्ट्रपति पर टपकीं बूंद से शर्मसार हुआ ग्वालियर, निदेशक बोले-कोई बात नहीं
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ग्वालियर, न.सं.। मध्यप्रदेश सरकार के सभी विभागों और संस्थाओं से प्रतिवर्ष जारी होने वाले करोड़ों रुपए के विज्ञापनों पर भारी कमीशन और शासकीय आयोजनों की व्यवस्थाओं का ठेका लेने वाले अर्धशासकीय संगठन ‘माध्यम’ की गुणवत्ताहीन और लापरवाहीपूर्ण व्यवस्था ने रविवार के दिन केवल ग्वालियर को ही नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश को शर्मसार कर दिया। क्षणिक बे-मौसम बारिश में गिरीं दो-चार बूंदें ही सही, लेकिन देश के प्रथम नागरिक पर गिरीं इन बूंदों ने मध्यप्रदेश में कार्यों की गुणवत्ता से किए जा रहे उस समझौते को उजागर कर दिया, जो मध्यप्रदेश के अधिकारियों द्वारा किए जा रहे हैं। हद तो तब हो गई, जब मध्यप्रदेश को कलंकित कर देने वाली इस घटना पर ‘माध्यम’ के कार्यकारी निदेशक ‘कोई बात नहीं’ जैसी प्रतिक्रिया देते हैं।

रविवार 11 फरवरी को ग्वालियर में आयोजित ‘दिव्यांग एवं वृद्धजन सहायक उपकरण वितरण कार्यक्रम’ के उस भव्य मंच की शोभा देखते ही बन रही थी। इस मंच पर देश के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, मध्यप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ग्वालियर के सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत के अलावा प्रदेश के दो कद्दावर मंत्री श्रीमती मायासिंह और जयभान सिंह पवैया मौजूद थे। अति विशिष्ट और विशिष्ट अतिथियों से सुशोभित भव्य मंच और सामने बैठे विशाल जनसमूह को संभावित बारिश से बचाने के लिए पूर्व से जलरोधी टेंट की व्यवस्था भी ‘माध्यम’ से करवाई गई थी। खास बात यह रही कि शासन, प्रशासन के अलावा केन्द्रीय सचिव सामाजिक न्याय विभाग, एलिम्को और हरियाणा रेडक्रॉस सोसायटी के अधिकारी विगत कई दिनों से कार्यक्रम स्थल की व्यवस्थाएं देखने में दिन-रात एक किए हुए थे, लेकिन जलरोधी टेंट में मंच के ऊपरी हिस्से में वो भी ठीक मुख्य अतिथि राष्ट्रपति की कुर्सी के ठीक ऊपर एक बड़ा छेद होना, क्या लापरवाही नहीं है। न तो स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी और न ही माध्यम के कार्यकारी निदेशक एस.के. मिश्रा इसे लापरवाही अथवा बड़ी घटना मानने को तैयार हैं।

अधिकारियों के लिए यह सामान्य घटना है, जिसे मीडिया ने तिल का ताड़ बना दिया। अधिकारियों को चाहिए कि वह इस घटना को हल्के में न लें, क्योंकि लापरवाही के चलते जलरोधी टेंट से बूंद गिरने के स्थान पर बड़ी दुर्घटना भी हो सकती थी। इतने बड़े आयोजन में अति विशिष्टजनों की उपस्थिति में छोटी सी चूक को भी दुर्घटना के रूप में लिया जाना चाहिए। निश्चित ही जिला और राज्य स्तर पर घटनाक्रम की समीक्षा होना चाहिए तथा भविष्य में इस तरह की चूक न हो इसके लिए घटनाक्रम के दोषियों पर कार्रवाई भी की जाना चाहिए। माध्यम के कार्यकारी निदेशक श्री मिश्रा और सरकार में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस घटनाक्रम को गंभीरता से लेकर दोषियों पर कार्रवाई करना चाहिए।

इस गंभीर घटनाक्रम को पैनी नजरों से ताड़कर उजागर करने वाली मीडिया पर आरोप मढ़ने वाले अधिकारियों को चाहिए कि वह स्वयं मंथन करें कि टेंट के छेद से गिर रहीं बूंदों से राष्ट्रपति भींगे, लेकिन प्रशासन और आईबी जैसी संस्थाओं की इस पर नजर नहीं गई। मीडिया ने घटनाक्रम को फोटो सहित उजागर भी किया, लेकिन अधिकारियों ने फिर भी गंभीरता से नहीं लिया। क्षणिक बारिश की दो-चार बूंदें ही सही, यह बूंदें देश के प्रथम नागरिक को भिंगो गर्इं। सहज और सरल स्वभाव के राष्ट्रपति भले ही पानी की इन बूंदों से गीले न हुए हों, लेकिन महामहिम की कुर्सी के ठीक पास की कुर्सी पर बैठे प्रदेश के मुखिया के चेहरे के भाव बहुत कुछ कह गए। इसके बाद भी घटना की समीक्षा और दोषियों पर कार्रवाई नहीं होगी तो भविष्य में बड़ी दुर्घटना की संभावना बनी रहेगी।

इनका कहना है

‘वाटरपू्रफ टेंट की व्यवस्था की गई थी। फिर भी तेज बारिश में बूंदें गिर गई होंगी, कोई बात नहीं है। मैं पता करता हूं। (इतना कहकर फोन काट दिया)’

एस.के. मिश्रा, कार्यकारी निदेशक, माध्यम

‘पण्डाल वाटरपू्रफ था। फिर भी तेज बारिश में एक बूंद गिरी, जिसे सिर्फ मीडिया ने मार्क किया। ग्वालियर के सम्मान का ध्यान रखते हुए मीडिया को भी इसे हाईलाइट नहीं करना चाहिए था। प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई कार्रवाई अथवा रिपोर्ट नहीं भेजी जा रही है। राष्ट्रपति सचिवालय से इस संबंध में कोई शिकायत आएगी तो आगे की कार्रवाई करेंगे।’

राहुल जैन, जिलाधीश ग्वालियर


Updated : 13 Feb 2018 12:00 AM GMT
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