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हजारों भक्तों ने हाथ उठाकर राम मंदिर निर्माण के लिए की घनघोर गर्जना

हजारों भक्तों ने हाथ उठाकर राम मंदिर निर्माण के लिए की घनघोर गर्जना
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आचार-विचार और संस्कार सिखाने वाली कथा है रामायण

ग्वालियर, न.सं.। हजीरा स्थित मनोरंजनालय परिसर में आयोजित राष्ट्रीय रामायण मेला में चल रही श्रीराम कथा में मंगलवार को श्रीराम कथा के सरस गायक संत प्रेमभूषण महाराज एवं अन्य विद्वान संतों ने रामनाम की आध्यात्म वर्षा के बीच पंडाल में उपस्थित हजारों भक्तों को अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण का संकल्प कराया। इस दौरान अंचल भर से आए रामायण रसिकों ने हजारों हाथ उठाकर रामलला के प्रति इस संकल्प के लिए घनघोर गर्जना की।

इस अवसर पर संत प्रेमभूषण महाराज ने सीता स्वयंवर की लीला का मनोहारी वर्णन किया। कथा में उन्होंने सुन सिय असीस चौपाई का भावार्थ सुनाते हुए कहा कि मां सीता की मनोकामना मां गौरी जानती हैं, इसलिए उन्होंने मां सीता को प्रभु श्रीराम जैसा अलौकिक वर देकर उनकी मनोकामना पूरी की। कथा व्यास ने सीता स्वयंवर की लीला में प्रभु श्रीराम एवं माता सीता के रूप एवं सुंदरता का मनोहारी वर्णन किया। कथा में इससे पूर्व श्रीरामचरित मानस की महिमा सुनाते हुए प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि यह परिवार, समाज, राष्ट्र एवं विश्व का मंगल करने वाली कथा है। यह वो कथा है, जो भारतीय संस्कृति, आचार-विचार एवं मूल्यों को सिखाती है।

बुजुर्गों की सेवा से प्रसन्न होते हैं भगवान- राजेश्वरानंद :- मानस सम्मेलन में संत राजेश्वरानंद महाराज ने कहा कि तो लोग अपने से बड़ों एवं बुजुर्गों की आज्ञा मानकर उनकी सेवा करते हैं। भगवान उन पर प्रसन्न होते हैं। श्रीराम कथा का हनुमान-जामवंत संवाद हमें यही शिक्षा देता है। आज देश में जवानी अंधी है और बुढ़ापा लंगड़ा है। अगर लंगड़े बुढ़ापे को देश का युवा हनुमान जी महाराज से शिक्षा लेकर अपने कंधे पर बैठा ले तो देश का कल्याण हो जाएगा।

यह भी कहा संतों ने:- देश को फैशन एवं व्यसन ने बिगाड़ा है। प्रभु की कथा इन दोनों अवगुणों को दूर करके जीवन निर्मल बनाती है।
4रामायण मेला में श्रीरामचरित मानस की भेंट असल में परिवार में संस्कारों की भेंट है।

-श्रीरामचरित मानस से जीवन जीने का समाधान मिलता है।
-जो अजर, अमर, अजन्मा है, उसे जानने के लिए जीवन को लगाना चाहिए।

राम वनवास की लीला में भावुक हुए भक्त:- राष्ट्रीय रामायण मेला में कैकई-दशरथ संवाद एवं राम वनवास की लीला हुई। मंच पर वृंदावन के प्रसिद्ध रामस्वरूप शास्त्री जी की मंडली ने कैकई-दशरथ संवाद का जीवंत मंचन किया। रामलीला में जब प्रभु श्रीराम पिता की आज्ञा पर सीता और भाई लक्ष्मण के साथ भगवा वस्त्रों में वन को जाने लगे तो पंडाल में बैठे दर्शक भावुक हो उठे। रामलीला में 21 फरवरी बुधवार को सीताहरण की लीला का करुण मंचन होगा।

सेवादार दे रहे हैं सेवाएं:- रामायण मेला में अंचल भर से 2000 युवा सेवादार विभिन्न कालखंडों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ये सेवादार पार्किंग से लेकर कथा पंडाल तक कथा रसिकों की आवश्यकता के अनुसार मदद करते हैं। पंडाल परिसर में संतों के भोजन सहित व्यवस्था पाने के लिए नित्य नए राम भक्त सेवा कार्य के लिए अपना पंजीयन करा रहे हैं।

आज ये होंगे शामिल:- रामायण मेला में बुधवार को जगद्गुरु रामनंदाचार्य, रामभद्राचार्य महाराज, साध्वी प्रज्ञा भारती, साध्वी दीपा भारती, ब्रह्मचारी महावीरदास एवं विश्वभूषणदास महाराज शामिल होंगे।

इन्होंने की आरती:- रामायण मेला में आरती करने वालों में राष्ट्रीय रामायण मेला के संस्थापक अध्यक्ष एवं उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया, महापौर विवेक शेजवलकर, संभागायुक्त बी.एम. शर्मा, धीरसिंह तोमर, पूर्व विधायक राकेश शुक्ला आदि उपस्थित थे।

प्रतिदिन योगा भी:- रामायण मेला स्थल पर महिला पतंजलि योग समिति द्वारा प्रतिदिन प्रात: योग भी कराया जा रहा है। उक्त जानकारी गायत्री शर्मा ने दी है।

कथाएं सिखाती हैं संयम और सदाचार: शांतिस्वरूप महाराज

मानस सम्मेलन में संत शांतिस्वरूप महाराज ने कहा कि देश में संयम और सदाचार का वातावरण रामायण और भागवत कथाओं के आयोजन से ही बनता है। अगर लोगों को नरक का भय एवं स्वर्ग का प्रलोभन न हो तो समाज में राक्षसी एवं विलासी प्रवृत्तियों का ही चौतरफा राज्य हो जाएगा। संतश्री ने चरित्र की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि धन चला जाए तो शोक मत करना, स्वास्थ्य चला जाए तो थोड़ी चिंता करना, अगर चरित्र चला जाए तो समझ लेना जीवन निरर्थक होकर पशुवत हो गया है। लोग गलत कहते हैं कि कथा बुढ़ापे में सुनी जाती है। असल में भगवान की कथा युवाओं के लिए ही कही जाती है।

संतों के दर्शन से होता है जीवन का कल्याण: प्रज्ञा भारती

मानस सम्मेलन में साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि श्रीराम कथा के पठन व श्रवण से साधक के पुण्य बढ़ते हैं। पुण्य बढ़ने से संतों के दर्शन होते हंैं और संतों के दर्शन होने के बाद जीवन का कल्याण शुरू हो जाता है। उन्होंने कहा कि जिसे सेवा करना होती है, वो स्थान नहीं ढूंढ़ता है, सेवा में जुट जाता है।

Updated : 21 Feb 2018 12:00 AM GMT
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