Home > Archived > तीन घंटे बैठक के बाद किसान आन्दोलन खत्म करने को राजी, जून 2017 तक का कर्ज होगा माफ

तीन घंटे बैठक के बाद किसान आन्दोलन खत्म करने को राजी, जून 2017 तक का कर्ज होगा माफ

तीन घंटे बैठक के बाद किसान आन्दोलन खत्म करने को राजी, जून 2017 तक का कर्ज होगा माफ
X

मुंबई। अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में नासिक से मोर्चा निकालने वाले किसानों के साथ सरकार की तीन घंटे वार्ता चली। इस दौरान सरकार जून 2017 तक किसानों के सभी कर्जे को माफ करने पर सहमत हो गई है। मैराथन बैठक के बाद सरकार की ओर से किसानों की मांगों का एक ड्रॉफ्ट तैयार किया गया है। सरकार के आश्वासन के बाद किसान आंदोलन खत्म करने पर राजी हो गए हैं।

बैठक के दौरान किसानों को सरकार ने वन जमीन के संदर्भ में अगले 6 महीने के भीतर निर्णय लेने का भरोसा दिया है। मंत्रियों का एक समूह इस मामले को देखेगा। स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिफारिशों को पूरा करने, वन जमीन पर खेती करनेवाले किसानों की समस्याएं सुलझाने और पूर्ण कर्जमाफी यानी कर्जमुक्ति जैसी कई मांगों को लेकर 6 मार्च को नासिक से किसानों का एक काफिला रवाना हुआ था। करीब 200 किलोमीटर की पदयात्रा के बाद किसान सोमवार को मुंबई पहुंचे थे।

सोमवार को विधानसभा की बैठक शुरू होते ही किसानों की कर्जमाफी के मसले पर विपक्ष ने सरकार को घेरने का प्रयास किया। सुबह के सत्र के दौरान विधानसभा में मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा था किसानों की मांग को लेकर मंत्रियों की समिति और प्रतिनिधियों के साथ चर्चा होने के बाद सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने किसानों की मांगों पर एक समय-सीमा तय करने की बात कही लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण सभा स्थगित कर दी गई।

इसके बाद किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ छह सदस्यीय समिति के सदस्यों ने लगभग तीन घंटे से ज्यादा समय तक बैठक की। आंदोलनरत किसानों की ओर से विधायक जे. पी. गावित, अजित नवले, अशोक ढवले समेत विपक्षी नेता धनंजय मुंडे, सुनील तटकरे, अजित पवार, राधाकष्ण विखे पाटील समेत 12 लोगों के शिष्टमंडल व सरकार की ओर से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, समिति में शामिल छह मंत्री एवं सचिव स्तर के अधिकारियों के बीच वार्ता हुई। तीन घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद फडणवीस सरकार और किसानों में सहमति बनती हुई दिखाई दी। सरकार की ओर से किसानों की मांगों का एक ड्रॉफ्ट तैयार किया गया है। सरकार की ओर से लगभग 80 फीसदी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिए जाने के बाद आंदोलन को खत्म करने की बात कही गई।

सीएम फडणवीस ने कहा कि कर्ज माफी के दौरान अपात्र किए गए प्रकरणों की जांच की जाएगी और दस्तावेज की जांच के बाद उसे मंजूर किया जाएगा। इस बैठक में लिए गए निर्णय लागू करवाने के लिए विशेष टीम का गठन किया जाएगा। मुख्य सचिव इस समिति की रिपोर्ट पर नजर रखेंगे और अगले छह महीने में इन मामलों को सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने संजय गांधी, श्रावणबाल लाभार्थीं मानधन के संदर्भ में भी सकारात्मक निर्णय लेने की बात कही है।

विधायक जेपी गावित ने कलवण-सुरगाणा निर्वाचन क्षेत्र में 1200 करोड़ रुपये की लागत से 32 सिंचाई योजना शुरू करने के साथ ही नदी जोड प्रोजेक्ट को भी शुरू करने की मांग की। संजय गांधी योजना, श्रावणबाल योजना के लाभार्थियों की समस्याओं पर भी सकारात्मक चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी इलाकों में नए राशन कार्ड का वितरण व बदलवाने का काम अगले तीन महीने में पूरा कर दिया जाएगा। इस बैठक में बोंडअली कीट प्रकोप के कारण फसल नुकसान और पीडि़त किसानों की समस्याओं को सुलझाने के विषय को भी उठाया गया। सरकार की ओर से कहा गया कि 33 फीसदी किसानों के संदर्भ में उनके फसल नुकसान की जांच के बाद रिपोर्ट आने के बाद निर्णय लिया जाएगा। किसानों को फसलों की वाजिब कीमत दिलाई जाएगी। केंद्र सरकार ने जो फसलों की न्यूनतम कीमत तय की है, उसको लागू करवाया जाएगा। हालांकि डेढ़ गुना कीमत फिलहाल दिए जाने की बात पर चर्चा हुई। कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष पाशा पटेल की समिति को ज्यादा अधिकार देने की मांग भी इस अवसर पर की गई। सीएम ने कहा कि लगभग 80 फीसदी किसानों का कर्ज माफ कर दिया गया है। पूरी तरह से कर्जमाफी के लिए आर्थिक परिस्थिति ठीक नहीं होने की बात भी सरकार ने कही। कृषक दम्पत्ति के लिए सरकार ने डेढ़ लाख रुपये तक की कर्जमाफी देने का निर्णय लिया है और जल्द ही नई अधिसूचना जारी की जाएगी। हालांकि पूर्ण कर्जमाफी का विकल्प भी विचाराधीन है और इसके लिए समिति का गठन किया जाएगा।

गौरतलब है कि विपक्ष ने राज्य के किसानों के साथ सरकार पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया था। किसानों ने नुकसान भरपाई और कर्ज माफी के लिए जो आवेदन जमा किए थे, उसमें से कई हजार दावों को अपात्र ठहरा दिया गया था। सरकार ने कागजी कार्रवाई पूरी न होने व दस्तावेज की कमी की बात कहते हुए 1 लाख 23 हजार 632 दावों में से 74 हजार 985 दावों को नामंजूर कर दिया था। इसके अलावा 11 हजार दावों का संबंध वन जमीन से है। समिति का कहना था कि एक ही वन जमीन के लिए अनेक किसानों ने अपना अधिकार जताया था, कई किसानों के पास आदिवासी के रूप में दस्तावेज नहीं थे। दस्तावेज की पड़ताल के बाद सरकार ने राज्य भर से कुल 2 लाख 30 हजार 495 दावे खारिज कर दिए थे। सबसे ज्यादा दावे आदिवासी बहुल गढ़चिरोली जिले से प्राप्त हुए थे। नंदुरबार, पालघर, नाशिक, धुलिया, शाहपुर समेत कई अन्य पिछड़े जिलों से भी दावे भेजे गए थे।

Updated : 13 March 2018 12:00 AM GMT
Next Story
Top