Home > Archived > चरित्र को चाक करती राजनीति

चरित्र को चाक करती राजनीति

चरित्र को चाक करती राजनीति
X

- राकेश सैन, जालंधर
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दुनिया में सब तरह के भय से बड़ा बदनामी का भय होता है परंतु उस प्रवृति को क्या कहा जाए जो जानबूझ कर दूसरों को बदनाम करती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल आदतन दूसरों के मुखमलिन की प्रवृति से ग्रस्त हैं। पंजाब में विधानसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल ने तत्कालीन अकाली दल बादल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को ड्रग माफिया बताते हुए कहा था कि सरकार बनी तो मजीठिया जैसे लोगों को कॉलर पकड़ कर जेल में डालेंगे। मजीठिया केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के भाई हैं। इस पर मजीठिया ने केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का वाद दायर किया था जिस पर केजरीवाल ने अब माफी मांगी है। अपने माफीनामे में केजरीवाल ने लिखा- बीते दिनों मैंने आप पर ड्रग कारोबार में शामिल होने के आरोप लगाए थे। इन बयानों को राजनीतिक रूप दिया गया। अब मुझे यह समझ आया है कि मैंने जो आरोप आपके खिलाफ लगाए थे वह बेबुनियाद हैं। इसलिए अब इस विषय पर कोई भी राजनीति नहीं होनी चाहिए। आपके खिलाफ मैंने जो भी बयान दिए थे, उसके लिए मैं माफी मांगता हूं। इन आरोपों से आपको, परिवार को और समर्थकों के मान-सम्मान को जो ठेस पहुंची है, उसके लिए मुझे खेद है। पिछले साल अगस्त में भी उन्होंने हरियाणा के बीजेपी नेता अवतार सिंह भड़ाना को माफीनामा भेजा था।
इससे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मांफी मांग चुके हैं और वित्त मंत्री अरुण जेतली पर लगाए गए आरोपों के चलते अदालतों के चक्कर काट रहे हैं। विगत चुनाव दौरान कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी ने मजीठिया व तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को खलनायक बताने का पूरा प्रयास किया। इसी तरह के आरोप अकाली-भाजपा सरकार की विदाई का बहुत बड़ा कारण बने। आज जहां केजरीवाल ने मजीठिया से माफी मांग ली है वहीं सत्ता में आने के एक साल बाद भी नशों के खिलाफ कुछ खास नहीं कर पाने के कारण कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी सवालों के घेरे में आगए हैं। प्रश्न पैदा होता है कि क्या उस समय विपक्ष ने प्रकाश सिंह बादल की सरकार पर नशे को प्रोत्साहन देने व मंत्रियों के शामिल होने के झूठे आरोप लगाए थे? क्या लोकतंत्र में सार्वजनिक रूप से झूठ बोलना जनता से विश्वासघात नहीं? निजी चरित्र की हत्या पर तो माफ किया जा सकता है परंतु जो लोकतंत्र की हत्या हुई उस पर क्या कहा जाए।
लोकतंत्र में विपक्ष का काम सरकार व सत्ताधारी लोगों की कमियों, नीतिगत विरोध को जनता के सामने लाना और इस आधार पर जनमत हासिल करना होता है और सत्तापक्ष का का काम अपनी उपलब्धियां गिनवाना। लेकिन यह काम करते हुए न तो झूठ बोला जा सकता है और न ही तथ्यों से छेड़छाड़ करने की अनुमति दी जा सकती। किसी के चरित्र की हत्या की अनुमति तो संविधान भी नहीं देता,इसी कारण भारतीय दंड संहिता के तहत इसे दंडनीय अपराध माना गया है। दुर्भाग्य से आज दोनों पक्षों की ओर से लोकतंत्र की आत्मा का गला घोटा जा रहा है। इसकी ताजा उदाहरण केजरीवाल हैं जिन्होंने नशा तस्करी में मजीठिया के खिलाफ सबूत होने का भी दावा किया और कहा कि सत्ता में आते ही एक सप्ताह के भीतर मजीठिया जेल के भीतर होंगे। आज उन्होंने माफी मांग कर साबित कर दिया है कि उनके आरोप व कथित सबूत केवल और केवल झूठ थे। आज चाहे केजरीवाल ने बेबस हो कर माफी मांग ली है परंतु माफी से क्या बीता समय लौटाया जा सकता है। मजीठिया ने ऊर्जा मंत्री रहते हुए सौर ऊर्जा पर प्रशंसनीय कार्य किया और राज्य के अतिरिक्त बिजली उत्पादक प्रांतों की श्रेणी में खड़ा कर दिया, लेकिन उनको लेकर फैलाए गए झूठ के चलते उनकी उपलब्धियों को विस्मृत कर दिया गया। क्या माफी मांगने से उन्हें न्याय मिल जाएगा। केजरीवाल के आरोपों को आधार बना समाचारपत्रों, सोशल मीडिया, मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर जो मजीठिया पर कीचड़ उछाला क्या उसको माफी के दो शब्द साफ कर पाएंगे।
केवल आम आदमी पार्टी ही नहीं, नशों को लेकर जो दुष्प्रचार कांग्रेस ने किया क्या कांग्रेसी भी इसके लिए माफी मांगेंगे। सीमावर्ती राज्य होने के कारण पंजाब में नशा अंतरराष्ट्रीय व सामाजिक समस्या थी परंतु कांग्रेस ने इस पर खूब राजनीति की। चुनाव प्रचार के दौरान वर्तमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पवित्र पुस्तक गुटका साहिब को हाथ में लेकर कसम ली थी कि सरकार गठन के चार सप्ताह बाद ही नशे की कमर तोड़ दी जाएगी। लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद राज्य में नशा ज्यों का त्यों बरकरार है। राज्य में पिछले एक साल में ही 241 किलोग्राम हैरोईन, 13.266 किलोग्राम स्मैक, 91 किलोग्राम चरस बरामद हो चुकी है। राज्य के थानों में 13485 केस दर्ज करके 15353 लोगों को गिरफ्तार किया गया है परंतु सच्चाई यह भी है कि पकड़े गए अधिकतर लोग केवल नशा करने वाले हैं। बड़े सप्लायर अभी भी खुले घूम रहे हैं। भिखीविंड में नशे की ओवरडोज से मारे गए युवक के परिजनों ने पूरे गांव में शवयात्रा निकाली और सरकार को आइना दिखाते हुए बैनर भी शवयात्रा में शामिल किया गया जिसमें लिखा था -कफन बोल पड़ा, नशे से बेटों की मौत जिम्मेवार सरकार। कैप्टन सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के ड्रग्स रैकेट में शामिल होने के आरोप साबित नहीं कर पाई। स्पष्ट है कि चुनावी फायदे के लिए नशों को लेकर इन दलों ने सत्ता पक्ष के लोगों के चरित्र को चाक करने में झिझक नहीं दिखाई। लोकतंत्र में जहां सरकार की जिम्मेवारी सुनिश्चित है वहीं विपक्षी दल भी इसकी मर्यादा से बंधे हैं, यह नहीं भूलना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने समाचारपत्रों को लेकर कहा था कि संशोधन या भूल सुधार प्रकाशित करना अच्छी बात है परंतु ऐसा मौका आए ही क्यों जब किसी प्रकाशक को यह करना पड़े। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कहीं न कहीं यह सिद्धांत राजनीति पर भी लागू होता है।

Updated : 16 March 2018 12:00 AM GMT
Next Story
Top