भारत जैसा परमाणु करार चाहता है पाकिस्तान
इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ संबंधों के भविष्य को लेकर कई सख्त शर्तें सामने रखी हैं। पाकिस्तान की एक संसदीय समिति ने मंगलवार को ड्रोन हमलों के खात्मे और भारत-अमेरिका करार जैसे असैन्य परमाणु समझौते की मांग की है। इसके अलावा पाकि स्तान की ओर से 38 अन्य मांगें रखी गईं हैं। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की ओर से बुलाए गए सीनेट व नेशनल असेंबली के संयुक्त सत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित संसदीय समिति की इन 40 सिफारिशों पर चर्चा की जाएगी।
समिति ने सिफारिश की है कि पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम और परमाणु संपत्तियों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। समिति ने कहा, 'भारत और अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु करार से इस क्षेत्र में सामरिक संतुलन की स्थिति बदल गई है। ऐसे में पाकिस्तान को कुछ इसी तरह की व्यवस्था में अमेरिका का साथ तलाशना चाहिए।' बीते साल नाटो के 26 नवंबर को पाकिस्तानी सैन्य कैंप पर हमले और अन्य कई घटनाओं की वजह से दोनों देशों के बीच संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।
प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने नवंबर में नाटो के हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने के बाद द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा के आदेश दिए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों की संसदीय समिति की सिफारिशों का उल्लेख बुधवार को संसद के संयुक्त सत्र में किया गया। समिति के प्रमुख रजा रब्बानी ने कहा कि अमेरिका को पाकिस्तान के भीतर कदमों और उनके असर की समीक्षा करनी चाहिए।
रब्बानी ने कहा, 'समिति का मानना है कि पाकिस्तान की सीमा में ड्रोन हमलों का अंत, पाकिस्तानी सीमा में नहीं घुसना, निजी सुरक्षा कंपनियों की गतिविधियों का पारदर्शी होना और इनका पाकिस्तान के कानून के दायरे में आना आवश्यक है।' इसमें नाटो हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को इंसाफ की जद में लाने की बात भी की गई है। समिति ने कहा कि पाकिस्तान सरकार को नाटो हमले के लिए अमेरिका से बिना शर्त माफी की मांग करनी चाहिए। संयुक्त सत्र में समिति की सिफारिशों पर चर्चा की जा रही है।