दुनियाभर में पैदा होगा नौकरियों का संकट

दुनियाभर में पैदा होगा नौकरियों का संकट
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$img_titleजेनेवा।
ग्लोबल आर्थिक मंदी के बाद कई देश आर्थिक विकास की पटरी पर लौट आए, लेकिन नौकरियों की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है। इसके मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन [आइएलओ] ने मई दिवस से एक दिन पूर्व दुनियाभर में रोजगार संकट पैदा होने की चेतावनी दी है। संगठन के मुताबिक, वर्ष 2008-09 तक चली मंदी के दौरान नौकरी गंवाने वाले करीब पांच करोड़ लोग अब भी बेरोजगार हैं।


आइएलओ ने 'व‌र्ल्ड ऑफ वर्क रिपोर्ट 2012 : बेटर जॉब्स फॉर अ बेटर इकोनॉमी' नामक रिपोर्ट में इस स्थिति को चिंताजनक बताया है। साथ ही कहा है कि निकट भविष्य में इसमें सुधार के कोई संकेत भी नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व के तमाम देशों की सरकारों ने कठोर वित्तीय नीति अपनाई है। साथ ही श्रम बाजार में भी सख्ती बरती है। इस कारण दुनियाभर में बेरोजगारी बढ़ रही है और नौकरी तलाशने वाले अपना आत्मविश्वास खो रहे हैं। विकसित देशों में ऐसे हालात कुछ ज्यादा ही हावी हैं। आगे चलकर यह सामाजिक अस्थिरता का एक बड़ा कारण साबित हो सकता है।

चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, 80 फीसद विकसित देशों में और दो-तिहाई विकासशील देशों में युवा बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है। विकसित मुल्कों में नौकरी की तलाश करने वाले औसतन 40 प्रतिशत लोग एक साल तक बेरोजगार रहे। वहीं, विकासशील देशों में भी स्थिति इससे बेहतर नहीं रही।

दो-तिहाई विकसित देशों में अंशकालिक और आधी से अधिक विकसित अर्थव्यवस्थाओं में अस्थाई रोजगार में वृद्धि दर्ज की गई है। करीब दो-तिहाई उभरती व विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अनौपचारिक रोजगार का प्रतिशत करीब 40 पर बना रहा। विकसित देशों, खासकर यूरोप में नौकरियों की स्थिति में सुधार की उम्मीद वर्ष 2016 के बाद ही की जा सकती है।

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