ज्योतिर्गमय
क्या मोबाईल से गरीबी दूर होगी?
कुछ माह पूर्व ही केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम नरेश ने, देश में शौचालयों की संख्या से ज्यादा लोगों के पास मोबाईल फोन होने की बात कही थी, उनकी यह बात अब और मजबूत ह रही है, क्योंकि केन्द्र सरकार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले 60 लाख परिवारों को मोबाईल फोन देने का विचार कर रही है आज नि:संदेह संचार क्रांति का युग है, इसके माध्यम से जनता शिक्षित भी हो सकती है, देश दुनिया की खबरे भी उसको मिल सकती है किन्तु क्या यह उन लोगों की जिन्दगी में बदलाव ला सकता है, जिनको दो वक्त की रोटी नहीं मिल रही, जो आसमा तले अपना जीवन गुजार देते हैं। तन पर कपड़ा नहीं, स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकताएं उन से कोसो दूर हैं। ''हर हाथ में फोन योजना के क्रियान्वयन पर केन्द्र सरकार को 7000 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे, यदि इस राशि का उपयोग व्यक्ति की मूल भूत आवश्यकताओं की पूर्ति जैसे भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार व शौचालय निर्र्माण पर किया जाता तो निश्चित ही गरीबी को दूर किया जा सकता था। जहां एक ओर 17 रु. प्रतिदिन व्यक्ति कमा रहा है, वह कैसा अपनी जीवन यापन करता होगा वही दूसरी और सरकार हर हाथ में फोन देकर उसका खर्चा बढ़ा रही है। क्या इस प्रकार की योजनाएं हमारे देश के लिए लाभकारी हो सकती हैं? भारत आज भी ग्रामों में ही बसता है, कृषि व पशुपालन व मजदूरी ही रोजगार के मुख्य साधन है यदि सरकार इन पर ही ध्यान दे तो करीब को कुछ लाभ हो सकता है। अभी भारत में हर हाथ में फोन की आवश्यकता नहीं हर हाथ को काम, हर खेत को पानी की आवश्यकता है। तभी हमारे देश की गरीबी मिट सकती है। केन्द्र सरकार को अपने निर्णय पर पुर्नविचार करने की आवश्यकता है। देश का पैसा, देश के विकास में काम आना चाहिए ना कि उसका दुरपयोग होना चाहिए।
संजय जोशी, ग्वालियर