दिल्ली दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने कहा बेटी यही चाहती थी हैवान को जिंदा जला दो'
नई दिल्ली | दिल्ली गैंगरेप के छठे आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा नाबालिग करार दिए जाने से पीड़िता के पिता काफी आहत हैं। आक्रोश भरे लहजे में उन्होंने कहा कि जब से उसके नाबालिग होने का फैसला सुना है सिर चकरा रहा है। बेटी का चेहरा सामने आ रहा है। कम से कम फैसला देते वक्त यह तो सोचना चाहिए था कि आरोपी ने किस प्रकार से घिनौनी वारदात को अंजाम दिया है। वैसे भी गांव में जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तभी स्कूल जाना शुरू करते हैं।
जब अस्पतालों का प्रमाण पत्र न हो तो उस स्थिति में स्कूल में नामांकन के वक्त उम्र भी कम लिखाई जाती है। इसलिए मैं ऑसिफिकेशन टेस्ट (हड्डी जांच के द्वारा उम्र का पता लगाना) की मांग करता हूं। अगर इसमें भी वह नाबालिग निकलता है तो भी इस मामले को एक नजीर मानते हुए अदालत को अपना नजरिया बदलना चाहिए और उसे सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए। उसे जला कर मार देना चाहिए। मेरी बेटी भी यही चाहती थी। पीड़ित युवती के पिता ने कहा कि दिल्ली पुलिस अपना काम कर रही है, यदि जरूरत महसूस हुई तो कोर्ट भी जाएंगे। फांसी से कम स्वीकार नहीं पीड़ित युवती के भाई ने कहा कि हम कानूनी विशेषज्ञों से राय लेंगे और फैसले के खिलाफ संबंधित कोर्ट में जाएंगे। हम सभी आरोपियों की फांसी से कम सजा नहीं चाहेंगे। उससे कम हमें स्वीकार नहीं। हम यह कैसे स्वीकार कर लें कि वह महज तीन साल में ही छूट जाए। जुवेनाइल बोर्ड के फैसले पर उन्होंने कहा कि यह शैक्षणिक दस्तावेज पर आधारित है, उसका चिकित्सकीय परीक्षण जरूरी है।
ऐसा माना जाता है कि नाबालिग का मन कोमल होता है। उसके द्वारा किया गया अपराध नियोजित नहीं होता है। आवेश में आकर वह अपराध करता है। लेकिन, फिजियोथेरेपिस्ट युवती के साथ तो नाबालिग ने ही दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी। जिस तरह से उसने आवाज लगाकर पीड़ित युवती और उसके दोस्त को बस में बैठाया और बाद में दरिंदगी पर उतर आया उससे उसके शातिर और हैवानियत भरे दिमाग का अंदाजा लगाया जा सकता है। उसी ने युवती से सबसे ज्यादा दरिंदगी की थी। पुलिस का भी बयान आया था कि अपराध में नाबालिग बराबर का हिस्सेदार है। पीड़ित युवती की मां ने कहा था कि किस तरह से उसकी बेटी के साथ पाशविकता की गई थी, उसमें नाबालिग भी काफी सक्रिय था। यहां तक कहा गया था कि ले मर।