जनमानस
क्या? धन कमाना ही मीडिया का ध्येय है
अखबारों में ऐसे कई बोगस विज्ञापन दिए जाते है। जिन्हें पढ़कर आम आदमी लुटता है। जैसे सैक्सवर्धक दवाओं के, फोन पर रोमांटिक बात करें और चेहरा पहचानो लाखों कमाएं आदि। उक्त विज्ञापन की शिकायत के संदर्भ में एक प्रतिष्ठत अखबार के संपादक से भेंट कर समस्या बताई उन्होंने बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा विद्रोहीजी ये विज्ञापन से हमें धन मिलता है और हम इन्हें लगाते है। बिना यह विचार किए कि यह जनसामान्य के हित में है अथवा अहित में यह तो पाठक के स्वविवेक पर है कि वह इन विज्ञापन पर अमल करे या न करे। उनकी बात से ऐसा लगा कि वास्तव में आज के समय में मीडिया का ध्येय केवल और केवल धन कमाना रह गया है। समाज का चौथा स्तंभ समाज के प्रति इतना असंवेदनशील क्यों हो गया है। सनसनी खेज खबरें बोगस विज्ञापन कथित सैलीब्रिटिज के अस्लील चित्रों को प्राथमिकता से छाप रहे हंै। वहीं जन सामान्य की पीड़ा की खबरें। कुत्ते को आदमी ने काटा, ऐश्वर्या मां बनने वाली है, पूनम पाण्डे नग्न होकर क्रिकेट मैदान में दौड़ेगी, इस तरह की खबरों का क्या मतलब है। जैसे इस समय मीडिया के लिए आसाराम बापू सैक्स स्कैण्डल (काण्ड), चटपटी चाट बना कर परोस रहा है। मीडिया को शुचिता का परिचय देते हुए इस तरह की सनसनी खोज खबरों से परहेज करना चाहिए, यही सच्ची पत्रकारिता अखबार का धर्म है।
कुंवर वी.एस. विद्रोही, ग्वालियर