जनमानस
चल अचल संपत्ति भी राजसात हो
950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले के मुख्य आरोपी लालू प्रसाद यादव की जिस तरह गिरफ्तारी हुई, इसके लिए हमारी न्यायपालिका सही मायने में कोटि-कोटि धन्यवाद की पात्र है। लालू की यह गिरफ्तारी हमारे लोकतंत्र की एक बहुत बड़ी जीत है। हालांकि लालू की इस गिरफ्तारी को एक लम्बे समय का इन्तजार करना पड़ा लेकिन, विजय सच्चाई की ही हुई इस घटना के बाद अपनी न्यायपालिका पर देश के जन साधारण का विश्वास और भी अधिक मजबूत हुआ है।
आज देश के समूचे राजनीतिक तंत्र को भ्रष्ट, घोटालेबाजों तथा दागी नेताओं ने पूरी तरह अपने जाल में फंसा रखा है। पूरी राजनीति भ्रष्ट और दागी मंत्रियों पर केन्द्रित हो चुकी है। ऐसे में देश की असहाय नजरों में हमारी न्यायपालिका ही एक आशा की किरण है। इस दिशा में हमारी न्यायपालिकाओं को और भी कठोर होने की आवश्यकता है, क्योंकि लालू की तरह असंख्य काले-नाग अभी भी देश की राजनीति में कुण्डली मारे बैठे हैं। ये देश को घुन की तरह चाट रहे हैं। राष्ट्रहित में इनके फन को कुचलना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। ऐसे भ्रष्ट लोगों के कारण ही समय-समय पर विश्व समुदाय के समक्ष देश को शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ता है।
केवल गिरफ्तार कर इन्हें जेल भेजने मात्र से इनके द्वारा की गई राष्ट्र की क्षति पूर्ति संभव नहीं हो सकती, क्योंकि जेल जाने तक ये घोटाले में अर्जित अरबों की संपत्ति अपने परिवार एवं परिजनों को भूमि, भवन और उद्योग के रूप में विभिन्न नामों से वितरित कर चुके होते हैं। जेल जाने की इन्हें कोई चिन्ता नहीं होती।
अत: देश में, कुछ ऐसे विधान की जरुरत है कि ऐसी दशा में इनकी पैविृक संपत्ति को छोड़ कर इनकी चल अचल जितनी भी संपत्तियां हैं उन्हें राजसात कर सरकारी खजाने में जमा कर देना चाहिए। इससे हमारे राजस्व घाटे पर कुछ तो अंकुश लगेगा ही। इसी घाटे के कारण ही हमारे प्रधानमंत्री को विदेशों में जाकर कहना पड़ता है कि मैं एक गरीब देश का प्रधानमंत्री हूं। मंै पुन: अपनी न्यायपालिका को नमन करते हुए यह कहना चाहता हूं कि देश अपनी न्यायपालिकाओं से पूरी तरह आस्वस्त है। इस दिशा में उन्हें और भी कठोरतम पहल की जरुरत है।
प्रवीण प्रजापति, ग्वालियर